Saturday 23 April 2022

ईसाई रिलीजन मुख्यतः दो काल्पनिक सिद्धांतों पर खड़ा है ---

  ईसाई रिलीजन मुख्यतः दो काल्पनिक सिद्धांतों पर खड़ा है ---

.
(१) मूल पाप (Original Sin) की अवधारणा --
मनुष्य जन्म से ही पापी है क्योंकि अदन की वाटिका में आदम ने भले/बुरे ज्ञानवृक्ष से परमेश्वर की आज्ञा की अवहेलना कर के वर्जित फल को खा लिया| इससे परमेश्वर बहुत नाराज हुआ, और उस की दृष्टि में आदम की सारी औलादें जन्म से ही पापी हो गईं| आदमी का हर पाप अदन की वाटिका में आदम के पाप का सीधा परिणाम है| परमेश्वर ने करुणा कर के इंसान को इस पाप से मुक्त करने के लिए अपने एकमात्र पुत्र यीशु (Jesus) को पृथ्वी पर भेजा ताकि जो उस पर विश्वास करेंगे, वे इस पाप से मुक्त कर दिये जाएँगे, और जो उस पर विश्वास नहीं करेंगे उन्हें नर्क की अनंत अग्नि में शाश्वत काल के लिए डाल दिया जाएगा|
.
(२) पुनरोत्थान (Resurrection) की अवधारणा --
सूली पर मृत्यु के बाद यीशु मृतकों में से जीवित हो गए, और अन्य भी अनेक मृतकों को खड़ा कर दिया| ईसाई मतावलंबी ईसा के पुनरुत्थान को ईसाई रिलीजन के केंद्रीय सिद्धांत के रूप में मानते हैं| यह चमत्कार उनके अवतार होने को मान्यता प्रदान करता है|
.
सत्य क्या है मुझे पता नहीं| सत्य का अनुसंधान करना जिज्ञासु विद्वानों का काम है| पश्चिमी जगत में दो-तीन तरह के विचार फैल रहे हैं --
कुछ तो परंपरागत श्रद्धालु हैं|
कुछ पश्चिमी विद्वान कह रहे हैं कि -- ईसा मसीह नाम के व्यक्ति ने कभी जन्म ही नहीं लिया| इनके बारे में कही गई सारी बातें सेंट पॉल नाम के एक पादरी के दिमाग की उपज हैं|
कुछ विद्वान कह रहे हैं कि ईसा मसीह ने भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षाओं का ही प्रचार किया| उनकी पढ़ाई-लिखाई और मृत्यु भारत में ही हुई थी|
प्रमाणों और विवेक के आधार पर सत्य का अनुसंधान होना चाहिए| आँख मीच कर किसी की कोई बात नहीं माननी चाहिए|
.
वास्तव में चर्च पश्चिमी साम्राज्यवादियों की सेना का अग्रिम अंग था| अपना साम्राज्य फैलाने के लिए साम्राज्यवादियों की सेना जहाँ भी जाती, उस से पूर्व, चर्च के पादरी पहुँच कर आक्रमण की भूमिका तैयार करते थे| विश्व में सबसे अधिक नरसंहार और अत्याचार चर्च ने किए हैं| इसका एक उदाहरण दे रहा हूँ ---
.
यह सन १४९२ ई.की बात है| एक बार पुर्तगाल और स्पेन में लूट के माल को लेकर झगड़ा हो गया| दोनों ही देश दुर्दांत समुद्री डाकुओं के देश थे जिनका मुख्य काम ही समुद्रों में लूटपाट और ह्त्या करना होता था| दोनों ही देश कट्टर रोमन कैथोलोक ईसाई थे अतः मामला वेटिकन में उस समय के छठवें पोप के पास पहुँचा| लूट के माल का एक हिस्सा पोप के पास भी आता था| अतः पोप ने सुलह कराने के लिए एक फ़ॉर्मूला खोज निकाला और एक आदेश जारी कर दिया| ७ जून १४९४ को "Treaty of Tordesillas" के अंतर्गत इन्होने पृथ्वी को दो भागों में इस तरह बाँट लिया कि यूरोप से पश्चिमी भाग को स्पेन लूटेगा और पूर्वी भाग को पुर्तगाल|
.
वास्कोडिगामा एक लुच्चा लफंगा बदमाश हत्यारा और समुद्री डाकू मात्र था, कोई वीर नाविक नहीं| अपने धर्मगुरु की आज्ञानुसार वह भारत को लूटने के उद्देश्य से ही आया था| कहते हैं कि उसने भारत की खोज की| भारत तो उसके बाप-दादों और उसके देश पुर्तगाल के अस्तित्व में आने से भी पहिले अस्तित्व में था| वर्तमान में तो पुर्तगाल कंगाल और दिवालिया होने की कगार पर है जब कि कभी लूटमार करते करते आधी पृथ्वी का मालिक हो गया था|
.
ऐसे ही स्पेन का भी एक लुटेरा बदमाश हत्यारा डाकू था जिसका नाम कोलंबस था| अपने धर्मगुरु की आज्ञानुसार कोलंबस गया था अमेरिका को लूटने के लिए और वास्कोडीगामा आया था भारतवर्ष को लूटने के लिए| कोलंबस अमेरिका पहुंचा तब वहाँ की जनसंख्या दस करोड़ से ऊपर थी| कोलम्बस के पीछे पीछे स्पेन की डाकू सेना भी वहाँ पहुँच गयी| उन डाकुओं ने निर्दयता से वहाँ के दस करोड़ लोगों की ह्त्या कर दी और उनका धन लूट कर यूरोपियन लोगों को वहाँ बसा दिया| वहाँ के मूल निवासी जो करोड़ों में थे, वे कुछ हजार की संख्या में ही जीवित बचे| यूरोप इस तरह अमीर हो गया|
.
कितनी दुष्ट राक्षसी सोच वाले वे लोग थे जो उन्होंने मान लिया कि सारा विश्व हमारा है जिसे लूट लो| कोलंबस सन १४९२ ई.में अमरीका पहुँचा, और सन १४९८ ई.में वास्कोडीगामा भारत पहुंचा| ये दोनों ही व्यक्ति नराधम थे, कोई महान नहीं जैसा कि हमें पढ़ाया जाता है|
.
आज का अमेरिका उन दस करोड़ मूल निवासियों की लाश पर खडा एक देश है| उन करोड़ों लोगों के हत्यारे आज हमें मानव अधिकार, धर्मनिरपेक्षता, सद्भाव और सहिष्णुता का पाठ पढ़ा रहे हैं|
.
ऐसे ही अंग्रेजों ने ऑस्ट्रेलिया में किया| ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में वहाँ के सभी मूल निवासियों की ह्त्या कर के अंग्रेजों को वहाँ बसा दिया गया| भारत में भी अँगरेज़ सभी भारतीयों की ह्त्या करना चाहते थे, पर कर नहीं पाए|
.
यह हम सब अपने विवेक से तय करें कि सत्य क्या है| सभी को धन्यवाद!
ॐ तत्सत !! ॐ नमो भगवते वासुदेवाय !!
१० अप्रेल २०२२

No comments:

Post a Comment