इस सृष्टि में सद्भाव और एकता संभव है सिर्फ परमात्मा से प्रेम और ध्यान साधना से ही, अन्यथा यह संसार एक मृग-मरीचिका है| संसार में सबसे अधिक मार-काट, हिंसा और अन्याय, मज़हब के नाम पर ही हुए हैं, और हो रहे हैं| जीवन में सुख-शांति और सुरक्षा चाहिए तो दिन में जब भी समय मिले, भगवान की उपासना करो, ध्यान-साधना करो, अन्यथा जीवन में कुछ भी मिलने वाला नहीं है|
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भारत में कल ही एक व्यक्ति ने आत्म-हत्या की, जो हिमाचल प्रदेश का पुलिस महानिर्देशक, सीबीआई का निर्देशक, दो राज्यों का राज्यपाल, और एक विश्वविद्यालय का उपकुलपति भी रह चुका था| उसने संसार की उच्चतम उपलब्धियाँ प्राप्त कीं, और खूब रुपया-पैसा और सम्मान भी कमाया| किसी भी प्रकार की कमी उसके पास नहीं थी, पर जीवन में सुख-शांति नहीं थी| यह सुख-शांति जीवन में भिखारियों के पीछे-पीछे भागने से या दूसरों से नहीं, सिर्फ परमात्मा के प्रेम और ध्यान-साधना से ही मिल सकती है|
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संसार में अधिकांश लोग उचित-अनुचित हर प्रकार से धन एकत्र करते हैं, और संसार से अपेक्षा व माँग करते हैं कि संसार उन का सम्मान करे| पर ऐसे लोगों को जीवन में निराशा के अतिरिक्त अन्य कुछ भी नहीं मिलता| यह संसार हमें सुख की आशा देता है, पर अंततः निराशा ही हाथ लगती है|
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ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !! आप सब को नमन और शुभ कामनायें !!
कृपा शंकर
८ अक्टूबर २०२०