Saturday 4 November 2017

यह Monkey Business क्या होता है ? .....

यह Monkey Business क्या होता है ? ......
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आजकल की सारी मार्केटिंग और स्टॉक मार्केट का धंधा एक Monkey Business यानि बंदरों का व्यापार ही है| एक व्यापारी एक गाँव में आया जहाँ बहुत सारे जंगली बन्दर थे, और घोषणा कर दी कि वह एक सौ रूपये में एक बन्दर खरीदेगा| कई लोगों ने सोचा कि यह पागल हो गया है, फिर भी लोभवश उन्होंने एक एक बन्दर पकड़ कर उस व्यापारी को बेच दिये| व्यापारी ने तुरंत नकद सौ सौ रूपये का भुगतान सब को कर दिया| यह समाचार आसपास के सारे गाँवों में फ़ैल गया| लोग जंगलों से बन्दर पकड़ पकड़ कर लाने लगे|
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अगले दिन उस व्यापारी ने घोषणा की कि आज से वह दो सौ रुपये का एक बन्दर खरीदेगा| सबको उसने नकद दो सौ दो सौ रुपयों का भुगतान देना शुरू कर दिया| लोगों ने पागलों की तरह बन्दर पकड़ने शुरू कर दिए|
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तीसरे दिन उसने घोषणा कर दी कि प्रति बन्दर अब वह पाँच सौ रूपये नकद देगा| लोगों ने ढूंढ ढूंढ कर सारे बन्दर बेच दिए, अब जंगल में एक भी बंदर नहीं बचा| लोग अगली घोषणा की प्रतीक्षा करने लगे|
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जब सारे बन्दर बिक गए तब उसने घोषणा की कि बंदरों के व्यापार में उसने खूब रुपये कमाए हैं अतः एक महीने के बाद वह प्रति बन्दर पूरे दो हज़ार रुपये नकद देगा, तब तक वह किसी काम से एक माह के लिए अन्य स्थान पर जा रहा है| एक माह के बाद लौटने का वचन देकर सारे बन्दर वह अपने मुनीम और नौकरों के भरोसे छोड़ गया|
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लोग चिंतित हो गए कि अब और बन्दर कहाँ से लायें| धीरे धीरे उसके नौकरों ने यह अफवाह फैला दी कि मुनीम जी दो नंबर में यानी Black में एक हज़ार रुपये में एक बन्दर बेचने को तैयार हैं| यह अफवाह सारे फ़ैल गयी| लोगों ने मुनीम जी के पास आना शुरू कर दिया| मुनीम जी का उत्तर होता कि चिंता मत करो, अभी तो मैं ब्लैक में एक हज़ार का एक बन्दर बेच रहा हूँ जिसके सेठ जी पूरे दो हज़ार दे देंगे| अंततः लाभ तो आपको ही है|
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लोगों ने अब पागलों की तरह बन्दर खरीदने शुरू कर दिए| जिनके पास रुपये नहीं थे उन्होंने ब्याज पर रुपये उधार लिए और खूब बन्दर खरीदे| जिन जिन लोगों ने बन्दर खरीदे वे सब उनको अच्छी तरह खिला-पिला कर सम्भाल कर रखते हुए सेठ जी के आने की प्रतीक्षा करने लगे|
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जिस दिन सेठ जी को आना था, उस दिन सेठ जी नहीं आये| लोग उनके मुनीम जी के पास गए तो पाया कि मुनीम जी और उनके सब नौकर गायब हो गए हैं| लोगों ने सारे ढूँढा, पर न तो सेठ जी मिले और न उनके नौकर|
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इस धंधे का पुराना नाम Monkey Business था, अब इसे Stock Market और Marketing कहते हैं| इस धंधे में कई लोग करोड़पति हो गए और कई लोग पूरे कंगाल| यह तो एक सूत्र यानि Formula है| सारी Marketing ऐसे ही होती है| अतः अपने विवेक से काम लें|
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ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!


रानी पद्मावती का अपमान हर हिन्दू का अपमान है .....

रानी पद्मावती का अपमान हर हिन्दू का अपमान है ......
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रानी पद्मावती का अपमान हर हिन्दू का अपमान है| रानी पद्मावती अकेली ही चितौड़ गढ़ की जौहर-बावड़ी के विराट अग्निकुंड में नहीं कूदी थीं, उनके साथ समस्त मातृशक्ति की हजारों हिन्दू महिलाऐं भी थीं जिन्होनें सामूहिक बलात्कार के इच्छुक नर पिशाचों से अपने धर्म और स्वाभिमान की रक्षा के लिए जीवित ही अग्नि कुंड में कूद कर अपने प्राण देना स्वीकार किया|
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इन हज़ारों हिन्दू महिलाओं ने अपने विवाह के समय के सर्वश्रेष्ठ सुहाग वस्त्र पहिन कर, सुहागिनों का सा शृंगार कर, गीत गाते हुए, पुरोहितों से तिलक करवा कर हँसते हँसते अपने पति-परमेश्वर का स्मरण करते हुए जौहर-बावड़ी के अग्निकुंड में कूद कर धर्मंरक्षार्थ अपने प्राण देना स्वीकार किया, न कि आतताइयों की कुत्सित काम वासना का शिकार बनना| यह मानव इतिहास की सबसे बड़ी गौरवशाली घटना थी| इस इतिहास को कालान्तर में भी अनेक बार दोहराया गया|
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ऐसी प्रातः स्मरणीया देवी के साथ एक आततायी लुटेरे नीच राक्षस का अपमानजनक काल्पनिक प्रणय प्रसंग और काल्पनिक आलिंगन-चुम्बन के दृश्य दिखाना समस्त हिन्दू जाति के धर्म और स्वाभिमान का अपमान है| लानत है हमारे ऊपर यदि हम ऐसे दृश्यों को कला के नाम पर चित्रण और प्रदर्शित करने की अनुमति दें|
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हिन्दुओं का अपमान करने वाले इन तथाकथित हिन्दू सेकुलर कुलकलंकियों और बिकी हुई विदेशी स्वामित्व की प्रेस वालों को यदि रोमांटिक दृश्यों का ही आनंद लेना है तो ऐसे दृश्य अपने परिवार की बुजुर्ग महिलाओं ...... अपनी दादी, माँ और बहिनों के साथ करें| इन्हें दूसरों के पूर्वजों के अपमान करने का कोई अधिकार नहीं है|
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यह विरोध सिर्फ राजपूत जाती का नहीं है, पूरे हिन्दू समाज का है| रानी पद्मावती सभी हिन्दुओं के लिए माता के समान है| अपनी माता को फिल्म में फूहड़ नृत्य कराते हुए और एक लुटेरे राक्षस से प्रणय और चुम्बन कराते हुए देखना हमारे लिए तो मृत्यु के सामान है|
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जिन हिन्दू नारियों ने धर्मारक्षार्थ अपना उच्चतम बलिदान दिया वे हिन्दू सभ्यता और संस्कृति की प्रतीक हैं, कोई मनोरंजन का साधन नहीं| हमारे लिए हमारा धर्म सबसे बड़ा है, न कि फूहड़ आत्मघाती मनोरंजन| अपने धर्म पर हो रहे इस मर्मान्तक प्रहार का प्रतिकार करें| भगवान हमारे धर्म व संस्कारों की रक्षा करे|
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ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर
०४ अप्रेल २०१७

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पुनश्चः :---  महाराणी पद्मिनी भाटियाणी सही नाम था, न कि रानी पद्मावती| जन्म सन १२८५ ई.| भाटी राजपूतों की बेटी थी इसलिए भाटियाणी थी| जन्म स्थान .. पूगल, बीकानेर| पिता का नाम रावल पुनपाल भाटी और माँ का नाम जामकँवर देवड़ी| भाई ... राजकुमार चरड़ा,राजकुमार लूणराव| मामा ...गोरा चौहान, और ममेरा भाई बादल चौहान| नाना ... राजा हमीर देवड़ा चौहान|
चितौड़ के राजा रावल रतन सिंह जी के साथ परिणय सन १३०० ई.के लगभग हुआ| महाराणी पद्मिनी ने अपने मान सम्मान की रक्षा के लिए लगभग १६ हज़ार क्षत्राणियों के साथ जौहर किया था| धूर्त शैतान नरपिशाच अल्लाउद्दीन खिलजी महाराणी पद्मिनी को छूना तो दूर, देख तक नही पाया था|
(स्त्रोत : विभिन्न लेख) (कहीं पर जन्म स्थान जैसलमेर भी लिखा है)

इंडोनेशिया का अम्बोन (Ambon) द्वीप ........

इंडोनेशिया का अम्बोन (Ambon) द्वीप ........
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मसालों में हम जायफल और जावित्री का जो उपयोग करते हैं वे इंडोनेशिया के अम्बोन द्वीप से आते हैं| वहाँ और भी अनेक मसाले प्रचूरता में होते हैं जिनके लिए यह और आसपास के कुछ अन्य द्वीप बहुत प्रसिद्ध हैं, पर पूरे विश्व में जायफल और जावित्री का सर्वाधिक उत्पादन अम्बोन द्वीप पर ही होता है|
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इस द्वीप के स्वामित्व के लिए साम्राज्यवादी शक्तियों में अनेक संघर्ष और युद्ध हुए हैं| सबका एक ही लक्ष्य था .... मसालों की लूट| द्वितीय विश्व युद्ध में जापान ने इस द्वीप पर अपना अधिकार कर लिया था| अब तो यह इण्डोनेशिया के मालुकू द्वीपसमूह का एक हरा-भरा और उपजाऊ द्वीप है|
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जायफल और जावित्री ये दोनों एक ही वृक्ष पर होते हैं| मुख्य फल तो जायफल होता है, और उसके चारों ओर एक गहरे लाल रंग का जाल सा होता है, वह जावित्री होता है| दोनों की तासीर अलग अलग होती है|
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इससे कुछ कुछ मिलती जुलती जलवायु भारत के निकोबार द्वीप समूह में भी है जहाँ अब मसालों की खेती को वैज्ञानिक ढंग से विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है| पर अब भी हमें अधिकाँश मसालों का आयात ही करना ही पड़ता है|
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लौंग की बेल को सुपारी के वृक्ष पर चढ़ा कर लौंग उगाई जाती है| भारत में जो लौंग हमें मिलती है वह जन्जीवार से आयातित की हुई हल्की गुणवत्ता की होती है| श्रीलंका में सबसे अच्छी गुणवत्ता की लौंग होती है पर वह भारत आ ही नहीं पाती है|
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पहले ताड़ का खाद्य तेल (Palm oil) मलयेशिया से आयातित किया जाता था| पर अब तो भारत में ही इसका उत्पादन होने लगा है| भारत में निकोबार के कुछ द्वीपों में खूब ताड़ के वृक्ष लगाए गए हैं जो भारत में आवश्यक Palm oil को बनाने में पर्याप्त हैं|
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मसालों की खेती यदि वैज्ञानिक पद्धति से की जाए तो बहुत लाभदायक है|


०३ नवम्बर २०१७