मैंने पिछले बीस वर्षों में एक भी सिनेमा नहीं देखा है। सिनेमा देखने का शौक भी नहीं है, और न ही फिल्म जगत में कोई रुचि है। सिनेमा के नट-नटनियों को जानता भी नहीं हूँ। इसलिए किसी भी फिल्म पर कोई टिप्पणी करना मेरे लिए उचित नहीं है।
Friday, 21 February 2025
मैंने पिछले बीस वर्षों में एक भी सिनेमा नहीं देखा है ---
हमें धर्म-अधर्म, पाप-पुण्य और त्रिगुणात्मक प्रकृति से ऊपर उठना है। कोई कुछ भी कहे, उसकी परवाह मत करो ---
हमें धर्म-अधर्म, पाप-पुण्य और त्रिगुणात्मक प्रकृति से ऊपर उठना है। कोई कुछ भी कहे, उसकी परवाह मत करो ---
कुछ दिनों पूर्व की ही बात है ---
कुछ दिनों पूर्व की ही बात है। ध्यान में मुझे एक अति गहन अनुभूति हुई और आदेश/उपदेश प्राप्त हुये जिन्हें मैं लौकिक शब्दों में लिखने का प्रयास कर रहा हूँ ---
मैं इसी क्षण स्वयं को सब तरह के संकल्पों-विकल्पों मुक्त करता हूँ ---
मैं इसी क्षण स्वयं को सब तरह के संकल्पों-विकल्पों, धारणाओं-विचारधाराओं, दायित्वों, पाप-पुण्य, और धर्म-अधर्म से सदा के लिए मुक्त करता हूँ। मेरी चेतना में मैं इस समय ईश्वर की सर्वव्यापक विराट अनंतता व उससे भी परे हूँ। किसी के साथ मेरा कोई विशिष्ट संबंध नहीं है। मुझे न तो किसी से कुछ पूछना है, और न किसी को कुछ बताना। किसी से कुछ लेना-देना भी नहीं है। परमशिव सदा मेरे समक्ष ही नहीं, मेरे साथ एक हैं। उनके सिवाय कोई अन्य विचार मेरे मानस में इस समय नहीं है, और भविष्य में कभी न आये तो ही अच्छा है। .
ॐ स्वस्ति !! शिव शिव शिव शिव शिव ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ !! हरिः ॐ तत्सत् !!
मैं धर्म-अधर्म, और पाप-पुण्य से परे हूँ, मेरा कोई कर्तव्य नहीं है ---
३० मई २०२३
पुरुषार्थी कौन है? ---
पाप-पुण्य और धर्म-अधर्म भी बंधन हैं, जिनसे परे जाकर हमें मुक्त होना होगा ---
पाप-पुण्य और धर्म-अधर्म भी बंधन हैं, जिनसे परे जाकर हमें मुक्त होना होगा ---
बुद्धि और कुबुद्धि का युग समाप्त होकर धर्म और अधर्म पर चर्चा और विमर्श का युग आरंभ होने वाला है ---
बुद्धि और कुबुद्धि का युग समाप्त होकर धर्म और अधर्म पर चर्चा और विमर्श का युग आरंभ होने वाला है। मनुष्य की बुद्धि और कुबुद्धि ने जितने भी मत-मतांतर और वाद उत्पन्न किए हैं, वे महत्वहीन होकर सब समाप्त हो जाएँगे।
आने वाला समय सत्य-सनातन-धर्म का है ---
आने वाला समय सत्य-सनातन-धर्म का है। अधिक प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ेगी। शीघ्रातिशीघ्र ही समय समीप आ रहा है। एक महाविनाशलीला के भी हम साक्षी होंगे, लेकिन जो स्वधर्म का पालन करेंगे, उनकी रक्षा होगी। हम शाश्वत आत्मा हैं, यह भौतिक देह नहीं। आत्मा का स्वधर्म है -- परमात्मा को परमप्रेम और समर्पण।
राम लला तो बिराजमान हो गये हैं, अब रावण का वध भी होगा ---
राम लला तो बिराजमान हो गये हैं। अब रावण का वध भी होगा।