यह सृष्टि परमात्मा की है, मेरी नहीं .....
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यह सृष्टि परमात्मा की है, मेरी नहीं अतः मैं इसका जिम्मेदार नहीं हूँ| भगवान अपनी सृष्टि चलाने में सक्षम हैं अतः उन्हें मेरे सुझाव या सलाह की कोई आवश्यकता नहीं है| संसार में हो रही बुराइयों का कारण या जिम्मेदार मैं नहीं हूँ, अतः मैं इनका शिकार न बनूँ| विश्व में हो रहे घटनाक्रम का नियंत्रण मेरे हाथ में नहीं है, अतः मुझे इन के परिणामों की चिंता भी नहीं करनी चाहिए|
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चारों ओर छाये हुए नकारात्मक तामसी विचारों, संकल्पों व भावनाओं से मैं अत्यधिक आहत था| ये मुझे दुखी और बहुत अधिक प्रभावित कर रहे थे| भगवान से मैनें प्रार्थना की जिसके परिणामस्वरूप मुझे प्रेरणा मिल रही है कि संसार में अत्यधिक तामस और नकारामकता है, पर मुझे इनका भाग नहीं बनना चाहिए? मैं ही अपना सबसे बड़ा मित्र हूँ और शत्रु भी, पर क्या बनना है इसका निर्णय मेरा ही होगा, किसी अन्य का नहीं| मुझ द्वारा संपादित कर्म ही नहीं, विचारों व भावनाओं का स्वामी भी मुझे ही बनना है, ऐसी भगवान की ही इच्छा है|
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भगवान की इच्छा है कि मैं वह कार्य ही करूँ जिसके लिए उन्होंने मुझे यहाँ भेजा है| क्या करना है? यह मुझे स्वयं भगवान द्वारा अच्छी तरह समझाया जा चुका है| कोई संदेह या शंका नहीं है| अतः मुझे अन्यत्र कहीं दृष्टी भी नहीं डालनी है| मेरा लक्ष्य सदा मेरे सामने रहे, यही भगवान चाहते हैं| मुझे भगवान की इच्छा का ही पालन करना है|
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ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
३ नवम्बर २०१८
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यह सृष्टि परमात्मा की है, मेरी नहीं अतः मैं इसका जिम्मेदार नहीं हूँ| भगवान अपनी सृष्टि चलाने में सक्षम हैं अतः उन्हें मेरे सुझाव या सलाह की कोई आवश्यकता नहीं है| संसार में हो रही बुराइयों का कारण या जिम्मेदार मैं नहीं हूँ, अतः मैं इनका शिकार न बनूँ| विश्व में हो रहे घटनाक्रम का नियंत्रण मेरे हाथ में नहीं है, अतः मुझे इन के परिणामों की चिंता भी नहीं करनी चाहिए|
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चारों ओर छाये हुए नकारात्मक तामसी विचारों, संकल्पों व भावनाओं से मैं अत्यधिक आहत था| ये मुझे दुखी और बहुत अधिक प्रभावित कर रहे थे| भगवान से मैनें प्रार्थना की जिसके परिणामस्वरूप मुझे प्रेरणा मिल रही है कि संसार में अत्यधिक तामस और नकारामकता है, पर मुझे इनका भाग नहीं बनना चाहिए? मैं ही अपना सबसे बड़ा मित्र हूँ और शत्रु भी, पर क्या बनना है इसका निर्णय मेरा ही होगा, किसी अन्य का नहीं| मुझ द्वारा संपादित कर्म ही नहीं, विचारों व भावनाओं का स्वामी भी मुझे ही बनना है, ऐसी भगवान की ही इच्छा है|
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भगवान की इच्छा है कि मैं वह कार्य ही करूँ जिसके लिए उन्होंने मुझे यहाँ भेजा है| क्या करना है? यह मुझे स्वयं भगवान द्वारा अच्छी तरह समझाया जा चुका है| कोई संदेह या शंका नहीं है| अतः मुझे अन्यत्र कहीं दृष्टी भी नहीं डालनी है| मेरा लक्ष्य सदा मेरे सामने रहे, यही भगवान चाहते हैं| मुझे भगवान की इच्छा का ही पालन करना है|
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ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
३ नवम्बर २०१८