Tuesday, 31 January 2017

मदर टरेसा को संत की उपाधि दी किस आधार पर ? .....

मदर टरेसा को संत की उपाधि दी किस आधार पर ? .....
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आधार ये है की मदर टरेसा ने एक बार किसी महिला के शरीर पर हाथ रखा और उस महिला का गर्भाशय का कैंसर ठीक हो गया तो POP का कहना था की मदर टरेसा मे चमत्कारिक शक्ति है
इसलिए वो संत होने के लायक है !

अब आप ही बताए क्या ये scientific है ???
की उन्होने ने किसी महिला पर हाथ रखा और उसका गर्भाशय का कैंसर ठीक हो गया ?
इस लिए मदर टरेसा संत होने के लायक है !

ये 100% superstition है अंध विश्वास है ! लेकिन भारत सरकार ने इसके खिलाफ कुछ नहीं किया !
अब अगर भारत के कोई साधू -संत ऐसा करे तो वो जेल के अंदर ! क्योंकि वो अंध विश्वास फैला रहे है !!

अब आप ही बताएं मदर टरेसा से बड़ा अंध विश्वास फैलाने वाला कौन होगा ??
अगर उसमे चमत्कारिक शक्ति होती तो उसने pop john paul के ऊपर हाथ क्यों नहीं रखा ???
अजीब बात ये है कि pop john paul को खुद parkinson नाम की बीमारी थी ! और 20 साल से थी !
(इस बीमारी मे व्यकित के हाथ पैर कांपते रहते हैं ! )
तो उस पर हाथ रख मदर टरेसा ने उसको ठीक क्यों नहीं किया ??

मदर टरेसा का एक मात्र उदेश्य सेवा के नाम पर भारत को ईसाई बनाना था !!

अल्पसंख्यकवाद से मुक्ति कैसे मिले ????? .......

अल्पसंख्यकवाद से मुक्ति कैसे मिले ????? .......
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मैं कुछ बातें प्रबुद्ध पाठकों से जानना चाहता हूँ| यदि हो सके तो कृपया मुझे इसकी जानकारी दें| यह मैं मात्र अपनी जानकारी के लिए पूछ रहा हूँ, किसी के प्रति द्वेष की भावना मेरे में नहीं है| मैं यही जानना चाहता हूँ की अल्पसंख्यकवाद का वैधानिक आधार क्या है जिसे मैं अपनी अल्प और सीमित बुद्धि से समझ नहीं पाया हूँ|
(1) विश्व के किस देश में हिन्दुओं को अल्पसंख्यक का आधिकारिक व संवेधानिक दर्जा प्राप्त है, और उन्हें अल्पसंख्यक के नाम पर क्या सुविधा मिलती है ? क्या भारत के भी किसी प्रांत में हिन्दुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा प्राप्त है ?
(2) भारत में जब धर्म के नाम पर अल्पसंख्यकों को विशेष सुविधा प्राप्त है तो यह सुविधा यहूदी व पारसी धर्म के अनुयायियों को क्यों नहीं है ? अल्पसंख्यक आयोग में एक भी यहूदी नहीं है|
(3) जब धर्म के नाम पर कुछ अल्पसंख्यकों को भारत में विशेष सुविधाएं प्राप्त हैं तो ये सुविधाएँ उन लोगों को क्यों नहीं है जो स्वतंत्र विचारक हैं और किसी भी धर्म में आस्था नहीं रखते ? वे भी तो धार्मिक अल्पसंख्यक है|
(4) भारत सरकार ने जैन मतावलंबियों को अल्पसंख्यक घोषित किया है| यहाँ मैं एक प्रश्न पूछना चाहता हूँ| श्रमण परम्परा में भगवान महावीर स्वामी तो जन्मजात वर्ण व्यवस्था के घोर विरुद्ध थे| उनका कथन था कि बिना कैवल्य पद को प्राप्त किये कोई सत्य का बोध नहीं कर सकता| जैन धर्म का लक्ष्य ही 'वीतरागता' है, और जैन वह है जो जितेन्द्रिय है| अतः 'जैन' कोई जाति नहीं हो सकती, अपितु एक मत है| जैन धर्म का पालन करने के लिए जैन परिवार में जन्म लेना अनिवार्य नहीं है, कोई भी जैन धर्म का पालन कर सकता है और नहीं भी कर सकता| अतः जैन मतावलम्बी किस आधार से अल्पसंख्यक हुए यह मेरी समझ से परे है| मेरा निवेदन है की कोई इस पर प्रकाश डाले|
(5) कई वर्षों पूर्व 'रामकृष्ण मिशन' और 'आर्य समाज' ने स्वयं को धार्मिक अल्पसंख्यक घोषित किये जाने का अनुरोध किया था जिसे ठुकरा दिया दिया गया था| जिस आधार पर वह ठुकराया गया था वह भी मेरी समझ से परे है| मेरा अनुरोध है कि कोई मुझे समझाये|
(6) इस प्रकार से तो सनातन वैदिक धर्म को मानने वाले भी भारत में धार्मिक अल्पसंख्यक हैं|
उन को भी अल्पसंख्यक की श्रेणी में सम्मिलित किये जाने के लिए आन्दोलन करना चाहिए|
इतना ही नहीं जितने भी सम्प्रदाय और मत-मतान्तर भारत में हैं उन सब को अपने आप को धार्मिक अल्पसंख्यक घोषित करवाने के लिए आन्दोलन करना चाहिए|
(7)जब सभी अपने आप को अल्पसंख्यक घोषित करवाने की चेष्टा करेंगे तभी भारत को अल्पसंख्यकवाद से मुक्ति मिलेगी| अन्य कोई मार्ग नहीं है| भारत में सभी लोग धार्मिक अल्पसंख्यक हैं क्योंकि यह स्पष्ट नहीं है कि अल्पसंख्यक होने का मापदंड क्या है|
मेरा अनुरोध है की इस विषय पर एक राष्ट्रीय बहस छेड़ी जाए क्योंकि यह एक राष्ट्रीय महत्त्व का मुद्दा है| धन्यवाद|
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सब का कल्याण हो| ॐ नमो भगवते वासुदेवाय|
शिवोहं शिवोहं शिवोहं अयमात्मा ब्रह्म | ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर
माघ कृ.७ वि.स.२०७२, 31 जनवरी 2016

प्रत्यभिज्ञा हृदय :---

प्रत्यभिज्ञा हृदय :---

प्रत्यभिज्ञा का अर्थ है पूर्वज्ञात विषय को पुनश्चः यानि दुबारा जानना|

जब से मेरे हृदय में मेरे परम प्रिय परमात्मा भगवान परमशिवआये हैं, मेरा हृदय उन्हीं का हो गया है| अब तो वे ही मेरे हृदय भी हो गए हैं|

सारे साकार और निराकार रूप वे ही हैं| सारा अस्तित्व भी वे ही हैं| वे ही परम सत्य हैं| वे ही अनिर्वचनीय परम प्रेम और वे ही सच्चिदानंद हैं|
 

मैं असम्बद्ध, निर्लिप्त और निःसंग हूँ| ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ |
 

ॐ शिव ! ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ||

हमरा वातावरण हमारी इच्छा शक्ति से अधिक शक्तिशाली है .....

वह परिवेश जिसमें हम रहते हैं यानि हमारे आसपास का वातावरण, हमारी इच्छा-शक्ति से भी अधिक प्रबल होता है| हमारे विचार भी हमारे चारों ओर एक सूक्ष्म वातावरण का निर्माण करते हैं|
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पूर्व जन्मों के अच्छे संस्कार मनुष्य की रक्षा करते हैं पर कुसंगति बुरे संस्कारों और बुरे कर्मों को जन्म देती है|
मनुष्य के मन में आया हर विचार व हर भाव उसका कर्म होता है|
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जो बुरे बिचार हमारे अवचेतन मन में छिपे हैं उनके प्रतिकार के लिए सतत परमात्मा का चिंतन और ध्यान अति आवश्यक है| एक समय में दो विचार नहीं आ सकते अतः परमात्मा का ध्यान और चिंतन हमारे अवचेतन मन में गहराई से बैठकर हमारा स्वभाव बन जाएगा|
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बाकी हम सब समझदार हैं, सब समझते हैं, अतः अधिक कहना व्यर्थ है|
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ॐ शिव | ॐ ॐ ॐ ||

अपने बच्चों को घर में खूब प्यार दें ....

सभी माता-पिताओं से मेरा हाथ जोड़ कर अनुरोध है कि अपने बच्चों को घर में खूब प्यार दें जिसके लिए वे घर से बाहर प्यार नहीं ढूंढें|
मनोवैज्ञानिक रूप से जिन बच्चों को (विशेष रूप से बालिकाओं को) घर में बाप का प्यार नहीं मिलता है, वे बड़े होकर वैवाहिक जीवन में पर पुरुषों में प्यार ढूंढते हैं|
जिन बच्चों को (विशेष रूप से बालकों को) माँ का प्यार नहीं मिलता है, वे बड़े होकर अपने वैवाहिक जीवन में पर स्त्रियों में प्यार ढूंढते हैं|
अतः माँ और बाप दोनों का प्यार बच्चों के विकास के लिए आवश्यक है|
हम सब समझदार हैं, अतः समझ गए होंगे| ॐ ॐ ॐ ||
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पुनश्चः :---
मैंने जीवन में जो देखा है और अनुभूत किया है वही कह रहा हूँ| मेरे साथ कुछ ऐसे सहकर्मी भी थे जो घर में सुन्दर पत्नी के होते हुए भी और घर में अपने समझदार वयस्क बच्चों के होते हुए भी बेशर्म होकर परस्त्रीगामी थे| गहराई से विचार करने पर मैनें पाया कि उनकी विकृति का कारण बचपन में उन को माँ से प्यार न मिलना था| ऐसे ही कुछ महिलाओं को भी देखा जो घर में अच्छे पति के होते हुए भी परपुरुषगामी थीं| वे भी अपने बाल्यकाल में पिता के प्रेम से वंचित थीं|
कुसंगति दूसरा कारण था|

कृपया अपने बच्चों को, विशेष रूप से अपनी लड़कियों को वामपंथी प्रभाव से बचाएँ ..

कृपया अपने बच्चों को, विशेष रूप से अपनी लड़कियों को वामपंथी प्रभाव से बचाएँ ..
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किसी पर भी वामपंथी प्रभाव गलत है| अपने बच्चों को मार्क्सवादी वामपंथियों, नारीमुक्तिवादियों, नारीसमानतावादियों और सेकुलरों से बचाएं| ये स्त्रियों को समान अधिकार दिलाने की बातें कर के के अपने संपर्क में आई लड़कियों को इतना खराब कर देते हैं कि वे लडकियाँ घर-गृहस्थी के योग्य नहीं रहतीं| जिस भी घर में ये विवाह कर के जाती हैं वह घर बर्बाद हो जाता है| मैनें कई घरों को बर्बाद होते हुए देखा है|
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ये वामपंथी और सामानाधिकारवादी पहले तो लड़की से दोस्ती करते हैं, फिर उसे मुफ्त में घुमाते-फिराते हैं, उपहार देते हैं, सिगरेट और शराब पीना सिखाते हैं| फिर उसे यह ज्ञान देते हैं कि स्त्री-पुरुष में कोई भेद नहीं होता है| स्त्री को वह सब करना चाहिए जो पुरुष करता आया है| पुरुष यदि अनेक स्त्रियों से सम्बन्ध रखता है तो स्त्री को भी अनेक पुरुषों से सम्बन्ध रखना चाहिए| उनके प्रभाव से लडकियाँ बराबरी करने पर उतारू हो जाते हैं|
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लडकियों के दिमाग में यह बात बैठा दी जाती है कि समाज ने तुम्हारे साथ सदा भेदभाव किया है, घरो में कैद करके रखा है .....आदि आदि| फिर उसे सिखाया जाता है कि जैसे पुरुषों ने स्त्रियों को भोगा है वैसे ही तुम भी पुरुषों को भोगो और उनका शोषण करो|
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आगे की बातें लिखना मैं अपनी मर्यादा के विरुद्ध समझता हूँ अतः आप कल्पना कर सकते हैं|
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जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय में कई वर्ष पूर्व वामपंथी महिलाओ ने "Feel the freedom, Throw Bra" नाम का एक आन्दोलन चलाया था, जिसमें लडकियाँ बिना ब्रा पहिने घूमने लगी थीं| उनको सिखाया गया था की ब्रा पहिनना एक बंधन है जिसे तोड़ देना चाहिए| अभी कुछ महीनों पूर्व दिल्ली में खुले आम सार्वजनिक रूप से चुम्बन और आलिंगन करने की स्वतंत्रता का आन्दोलन चला था|
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ये सब समाज को और विवाह की संस्था को नष्ट करने का कार्य है| ये लडकियाँ किसी संपन्न घर के लडके को फंसा कर उससे विवाह कर लेती है, फिर उसका जीवन नरक बना देती है, झूठे महिला अत्याचार और दहेज़ प्रताड़ना के मुकदमें अपनी ससुराल वालों पर कर देती हैं| | लडका दुःखी होकर तलाक़ का मुक़दमा करता है और हिन्दुओं के लिए बने भारत के वर्तमान सारे कानून लडकियों के पक्ष में हैं, लड़कों की कहीं भी सुनवाई नहीं होती| न्यायालय उस लड़की को या तो लड़के की आधी संपत्ति दिला देती है या भरण-पोषण (maintenance) के नाम पर एक बहुत बड़ी रकम की देनदारी कर देती है| कई लडके तो आत्म-ह्त्या कर लेते हैं, उनके माँ-बाप भी असमय मर जाते हैं| लड़की की दृष्टी तो धन पर ही होती है जो उसे मिल जाता है| फिर उसे उन्मुक्तता का पूरा अवसर मिल जाता है|
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अब हिन्दुओं में विवाह की संस्था तो धीरे धीरे समाप्त हो ही रही है (मुसलमानों में अच्छा है .... तीन बार तलाक़ तलाक़ तलाक़ कह कर छुट्टी पा लेते हैं) अतः हिन्दू लडकों को चाहिए कि चाहे वे सारी जिन्दगी कुंआरे रह जाएँ पर भूल से भी विवाह अनजान परिवारों में न करें| अगर भूल से भी कोई वामपंथी या नारी-स्वतान्त्रतावादी लड़की घर में बहु बनकर आ गयी तो उस घर का विनाश निश्चित है|
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सभी माता-पिताओं से मेरा हाथ जोड़ कर अनुरोध है कि अपनी बच्चियों को घर में प्यार दें जिसके लिए वे घर से बाहर प्यार नहीं ढूंढें| मनोवैज्ञानिक रूप से जिन बच्चों को घर में बाप का प्यार नहीं मिलता वे पर पुरुषों में प्यार ढूंढते हैं| जिन बच्चों को माँ का प्यार नहीं मिलता वे दूसरी महिलाओं में प्यार ढूंढते हैं| अतः माँ और बाप दोनों का प्यार बच्चों के विकास के लिए आवश्यक है|
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जय जननी, जय भारत ! जय सनातन वैदिकी संस्कृति | जय श्रीराम !
ॐ ॐ ॐ ||

हर पल एक भागवत मुहूर्त है .......

हर पल एक भागवत मुहूर्त है .......
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प्रिय निजात्मन, आप सब में स्थित परमात्मा को सादर नमन!
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आज का दिवस आप सब के लिए अब तक के जीवन का सर्वश्रेष्ठ दिवस है| आज के दिन हम परमात्मा का ध्यान बीते हुए कल की अपेक्षा अधिक गहराई से व अधिक समय तक के लिए करेंगे| कल का दिन इससे भी शुभ और अच्छा होगा| आने वाला हर दिन पिछले विगत दिन से अच्छा होगा|
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प्रत्येक दिन प्रभु कृपा से मिला एक वरदान है| कल का क्या भरोसा! कल आये या ना आये कुछ कह नहीं सकते| जीवन में जो भी शुभ कार्य करने योग्य है वह आज ही इसी पल जितना हो सकता है उतना पूरा कर लें| हर एक दिन को, हर एक पल को एक जीवन के बराबर जीयें| क्या पता जो साँस हम छोड़ रहे हैं वह आखिरी साँस हो, फिर आये या ना आये| यह कोई नकारात्मक बात नहीं अपितु एक वास्तविकता है|
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हर क्षण, हर पल एक भागवत मुहूर्त है| इस मुहूर्त में जो भी किया जाएगा वह शुभ ही होगा| अशुभ से बचें और जो भी शुभ है वह इसी क्षण इसी पल पूरा करने का प्रयास करें|
अब तक जो जीवन मिला है उस के लिए भगवान के प्रति कृतज्ञ रहें और किसी का जो भी ऋण है उससे उऋण हो जाएँ| अन्यथा फिर पता नहीं कब अवसर मिले|
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जीवन में किया हर संकल्प पूर्ण होता है| कोई कुछ भी ठान ले तो उसे कोई भी रोक नहीं सकता| जीवन एक कृतज्ञता है, प्रभु के प्रति कृतज्ञता| कृतघ्नता सबसे बड़ा पाप है|
मुझे क्या मिलेगा यह कभी ना सोचें, पर मेरे हर क्षण से समष्टि को क्या मिलेगा बस यही महत्वपूर्ण है|
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परमात्मा को आप हर पल याद रखें व हर पल आप उसके उपकरण बने रहें इसी शुभ कामना के साथ आप के ह्रदय में हर पल धड़क रहे भगवन नारायण को पुनश्चः सप्रेम सादर नमन|
सब का कल्याण हो| ॐ नमो भगवते वासुदेवाय|
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शिवोहं शिवोहं शिवोहं अयमात्मा ब्रह्म | ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर
माघ कृ.६ वि.स.२०७२, ३०, जनवरी 2016

हिंदुत्व की मेरी अवधारणा :---

हिंदुत्व की मेरी अवधारणा :---
हिंदुत्व हमारे लिए हमारे परम आदर्श भगवान श्रीराम के जीवन का अनुकरण है| हिंदुत्व निगमागम ग्रंथों व भगवत गीता का सारतत्व है| हिंदुत्व प्रभु श्री हनुमान जी की निस्वार्थ भक्ति, सेवा और साधना है| हिंदुत्व आचार्य चाणक्य की राष्ट्र साधना है| हिंदुत्व महाराणा प्रताप, महाराजा शिवाजी, महाराजा रणजीतसिंह व अन्य सहस्त्रों शूरवीरों का शौर्य और त्याग है| हिंदुत्व स्वामी विवेकानंद, महर्षि अरविन्द व अन्य अनेकानेक संतों की राष्ट्रभक्ति है| हिंदुत्व महारानी पद्मिनी जैसी लाखों सतियों का सतीत्व है| हिंदुत्व खंड खंड में बंटे इस राष्ट्र को एकात्म करने का सूत्र और इस धर्म, राष्ट्र व संस्कृति का सृजनकर्ता है| हिंदुत्व हमारा प्राण. हमारी सांस और हमारा अस्तित्व है|
ॐ ॐ ॐ ||

ह्रदय की घनीभूत पीड़ा व उसका समाधान ...... जीवन का ध्रुव ........

ह्रदय की घनीभूत पीड़ा व उसका समाधान ...... जीवन का ध्रुव ........
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वर्षों पहिले युवावस्था में जय शंकर प्रसाद का 'कामायनी' महाकाव्य पढ़ा था जिसकी अनेक पंक्तियाँ आज भी याद हैं| उसका आरम्भ कुछ इस प्रकार होता है ....
"हिमगिरी के उत्तुंग शिखर पर बैठ शिला की शीतल छाँह,
एक व्यक्ति भीगे नयनों से देख रहा था प्रलय अथाह |"
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जीवन में जब अपनी आस्थाओं पर और मान्यताओं पर मर्मान्तक प्रहारों को होते हुए देखता हूँ तो बड़ी पीड़ा होती है और कई बार तो ऐसा लगता है कि हम भी उस असहाय व्यक्ति की ही तरह इस अथाह प्रलय को देख रहे हैं, और कुछ भी नहीं कर सकते| पर अगले ही क्षण निज विवेक कहता है ........ "नहीं", तुम असहाय नहीं हो, तुम दीन-हीन नहीं हो ........ |
निज विवेक कहता है ....... तुम बहुत कुछ कर सकते हो .......|
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जब स्वयं में अनेक कमियों को देखता हूँ तो निराश हो जाता हूँ| पर शीघ्र ही निज विवेक फिर कहता है ...... तुम, ये कमियाँ नहीं हो...... परमात्मा की शक्तियाँ तुम्हारे साथ हैं.....|
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इसी उधेड़बुन में जीवन निकल गया है, सोचकर फिर निराश हो जाता हूँ| तब फिर कोई छिपा हुआ विवेक ह्रदय के भीतर से कहता है ....... जीवन शाश्वत और अनंत है, अपने सपनों को साकार कर सकते हो ..... अपने संकल्पों को पूर्ण कर सकते हो........ |
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निश्चित रूप से अपने सपनों को साकार करेंगे| आने वाली हर बाधा से दूर से ही निकल जाएँगे, किसी भी बाधा को मार्ग में नहीं आने देंगे|
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अनंत शक्तियाँ साथ में हैं| एक पथ प्रदर्शक जीवन का ध्रुव बन गया है जिसकी कृपा से इस घनी अँधेरी रात्रि में भी मार्ग दिखाई दे रहा है|
जो भी होगा, अच्छा ही होगा| परमात्मा की इस सृष्टि में कुछ भी गलत नहीं हो सकता|
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उपरोक्त कवि के ही शब्दों में ....

"जिसे तुम समझे हो अभिशाप, जगत की ज्वालाओं का मूल |
ईश का वह रहस्य वरदान, जिसे तुम कभी न जाना भूल ||"
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|| ॐ ॐ ॐ || जब सृष्टि के स्वामी साथ में हैं तो अब कुछ भी असाध्य नहीं है|
I have made Thee polestar of my life
Though my sea is dark and my stars are gone
Still I see the path through Thy mercy ......... (P.Y.)
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शिवोहं शिवोहं शिवोहं अयमात्मा ब्रह्म | ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर
माघ कृ.५ वि.स.२०७२, 29 जनवरी 2016

कोकाकोला, कोलगेट से लाभ, व अन्य कुछ .....

कोकाकोला हर घर में रखनी चाहिए| इससे होने वाले 16 बहुत बड़े लाभ हैं जो इसकी हर कमी को दूर कर देते हैं| यह पोस्ट खूब शेयर करें ताकि कोकाकोला के बारे में दुर्भावना दूर हो| इसकी एक बोतल हर समय घर में रहनी चाहिए|
(1) चीनी मिटटी के बर्तनों पर लगे हर धब्बे को
दूर करता है|

(2) घर में गलीचे पर लगे हर धब्बे को दूर करता है|

(3) खाने के बर्तनों पर हुए जलने के हर निशान को दूर करता है|

(4) कपड़ों पर लगी चिकनाई जो साबुन से दूर नहीं होती को मिटा देता है|

(5) बालो पर लगे रंग को तुरंत उतार देता है|

(6) किसी भी धातु पर लगे पेंट के धब्बों को तुरंत मिटा देता है|

(7) कार बैटरी और इन्वर्टर की बैटरी के टर्मिनलों पर जरने यानि जंग को तुरंत दूर कर देता है|

(8) सबसे बढ़िया कीटनाशक का काम करता है|

(9) टाइलों पर लगे धब्बों को तुरंत दूर कर देता है|

(10) टॉयलेट की सफाई सबसे बढ़िया करता है|

(11) पुराने सिक्कों में चमक ला देता है|

(12) अल्युमिनियम फॉयल को साफ़ कर देता है|

(13) च्युइंग गम के निशानों को दूर कर देता है|

(14) कपड़ों पर लगे खून के धब्बों को तुरंत साफ़ कर देता है|

(15) गंदे बालों की सफाई बहुत अच्छी तरह कर देता है|

(16) घर में इसको पानी में मिलाकर पोचा बहुत अच्छा लगता है| घर को कीटाणु रहित कर देता है|

एक लाभ और है उनकेलिए जो शीघ्र मरना चाहते हैं, वे इसका नियमित सेवन करें| आंतें खराब हो जायेंगी और इस नश्वर देह से मुक्ति व यमराज से शीघ्र भेंट हो जायेगी| इससे लाभ ही लाभ है| अतः हर घर में यह अवश्य रखना चाहिए|
धन्यवाद|

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कुछ दिनों पूर्व कोकाकोला से होने वाले बहुत सारे लाभ लिखे थे जिनको पाठकों ने बहुत पसंद किया था| उन्हें कमेंट बॉक्स में दुबारा दे रहा हूँ| आज कोलगेट टूथपेस्ट का लाभ भी लिख रहा हूँ, और इसका सर्वश्रेष्ठ विकल्प भी बता रहा हूँ| कोल्ड क्रीम और शेविंग क्रीम का विकल्प भी वता रहा हूँ|
कोलगेट से होने वाला लाभ .....
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कोलगेट टूथपेस्ट का एक बहुत बड़ा लाभ है जिसका पता बाबा रामदेव को भी सम्भवतः नहीं है| कोलगेट टूथपेस्ट आपके रसोईघर के फर्स्ट-ऐड बॉक्स में अवश्य होना चाहिए| शरीर का कोई भी भाग दुर्घटनावश यदि थोड़ा जल जाए तो वहाँ तुरंत कोलगेट टूथपेस्ट लगा लो| इससे फफोले नहीं पड़ेंगे और त्वचा शीघ्र ही सामान्य हो जायेगी|
जो तकनीशियन इलेक्ट्रॉनिक सर्किट्स पर सोल्डरिंग करते हैं, यदि सोल्डरिंग आयरन से उनकी अंगुली या अंगूठा जल जाए तो तुरंत कोलगेट टूथपेस्ट लगा लो| त्वचा शीघ्र ही स्वस्थ हो जायेगी| कोलगेट टूथपेस्ट का अन्य कोई लाभ नहीं है|
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दांत साफ़ करने के लिए .......
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शुद्ध नारियल के तेल से दांतों पर नरम ब्रश कीजिये| यह अनुभूत प्रयोग है| बाईं हथेली पर पाँच-छः बूँद नारियल के तेल की लीजिये और उसमें अपनी टूथ ब्रश को तर कर लीजिये और दांतों पर हलके से ब्रश कीजिये| यह किसी भी टूथपेस्ट से अधिक प्रभावशाली है| आजकल सर्दियों में नारियल का तेल जम जाता है| अतः अंगुली से थोड़ा जमा हुआ नारियल का तेल पेस्ट की तरह ब्रश पर लगाइए और ब्रश कीजिये| आप के दांत स्वस्थ रहेंगे|
यदि आप ब्रश की जगह अंगुली से दांत साफ़ करते हैं तो नारियल के तेल की जगह सरसों के तेल का प्रयोग कीजिये| पांच-छः बूंद सरसों के तेल की और एक चुटकी भर नमक लेकर मध्यमा अंगुली से दांत साफ़ कीजिये| यह भी किसी भी टूथ पाउडर से अच्छा है|
आपके स्नानघर से कोलगेट टूथपेस्ट को हटाकर उसे आज ही रसोईघर के फर्स्ट-ऐड बॉक्स में डाल दीजिये|
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कुछ अन्य .......
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चेहरे पर भी कोल्ड क्रीम की जगह दो-चार बूँद नारियल के तेल की हथेली से रगड़कर लगाएं| त्वचा नरम रहेगी| किसी भी कोल्ड क्रीम से अधिक लाभदायक है यह विधि|

शेविंग क्रीम के स्थान पर गालों पर थोड़ा सा दूध हथेली पर लेकर रगड़ें और फिर शेव कीजिये| फर्क दिखाई देगा, ज्यादा अच्छी शेव बनेगी|
स्नान करते समय पैरों के तलुओं को अच्छी तरह साफ करें| जितने साफ़ आपके पैर रहेंगे, उसी अनुपात में आपका चेहरा चमकेगा|
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ये सब अनुभूत प्रयोग हैं| आप प्रयोग करके देखिये और फिर विश्वास कीजिये|
धन्यवाद|
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अवचेतन मन को संस्कारित करने के लिए आध्यात्मिक साधनाओं की आवश्यकता :---

अवचेतन मन को संस्कारित करने के लिए
आध्यात्मिक साधनाओं की आवश्यकता :---
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यह विषय अति गूढ़ है जिसे समझना एक आध्यात्मिक साधक के लिए अति आवश्यक है| साधना करते करते साधक के मन में एक अहंकार सा आ जाता है जिसके कारण वह साधना मार्ग से विमुख हो जाता है| इसका कारण और निवारण हमें समझना पड़ेगा तभी हम साधना में विक्षेप से अपनी रक्षा कर सकेंगे व आगे प्रगति कर पायेंगे| मैं कम से कम शब्दों में इसे व्यक्त करने का प्रयास कर रहा हूँ|
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हमारा अवचेतन मन ही हमारे विचारों और भावों को घनीभूत रूप से व्यक्त करता है| अवचेतन मन एक कंप्यूटर की तरह है जिसमें हम चेतन मन से जो भी प्रोग्राम फीड करते हैं, अवचेतन मन हमें उसी रूप में संचालित करता है| हमें बचपन से अब तक बार बार जो भी बताया गया है, या जो भी सुझाव हमने स्वयं को दिए हैं, उसी कंडीशनिंग के उत्पाद हम हैं|
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कल्पना शक्ति का प्रभाव भी अवचेतन मन पर बहुत गहरा पड़ता है| इतना ही नहीं हम जिस वातावरण में रहते हैं, जैसे लोगों के साथ रहते हैं, जैसा सोचते हैं, जैसा पढ़ते हैं, वह सब हमारे अवचेतन मन में प्रवेशित हो जाता है| सूक्ष्म जगत की भी अनेक अच्छी-बुरी शक्तियाँ हमारे अवचेतन मन पर प्रभाव डालती हैं|
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अवचेतन मन ही हमारे उत्थान और पतन का कारण है| हमारे जीवन की प्रगति और अवनति का नियंत्रण व संचालन अवचेतन मन से ही होता है| अवचेतन मन को संस्कारित किये बिना हम भगवान की भक्ति, धारणा, ध्यान, समर्पण आदि नहीं कर सकते| यदि हम अवचेतन मन को प्रशिक्षित किये बिना ऐसा करने का प्रयास करेंगे तो विक्षेप आ जाएगा या उच्चाटन हो जाएगा| कोई श्रद्धा-विश्वास भी हमारे में जागृत नहीं होगा|
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अवचेतन मन एक कामधेनु या कल्पवृक्ष से कम नहीं है| आध्यात्मिक साधनाओं द्वारा हम अपने अवचेतन मन को संस्कारित भी करते हैं| बार बार हम परमात्मा से अहैतुकी प्रेम का चिंतन करेंगे तो वह अवचेतन मन में गहराई से बैठकर हमारा स्वभाव बन जाएगा| ऐसे ही धारणा, जप व कीर्तन आदि के द्वारा हम यही करते हैं|

यह विषय बहुत लंबा है अतः इसे यहीं विराम दे रहा हूँ|जो बात मैं व्यक्त करना चाहता था वह हो गयी है| सभी को शुभ कामनाएँ और नमन ! ॐ ॐ ॐ ||

परमात्मा एक श्रद्धा, विश्वास, निष्ठा और अनुभूति है .....

परमात्मा एक श्रद्धा, विश्वास, निष्ठा और अनुभूति है .....
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इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई सूर्योदय में विश्वास करता है या नहीं, सूर्योदय तो होगा ही| वैसे ही परमात्मा का अस्तित्व किसी के विश्वास/अविश्वास पर निर्भर नहीं हैं|

परमात्मा अपरिभाष्य हैं| परमात्मा को किसी परिभाषा में नहीं बाँध सकते| परमात्मा को परिभाषित करने का प्रयास वैसे ही है जैसे कनक कसौटी पर हीरे को कसने का प्रयास|

परमात्मा हमारा अस्तित्व है, जिसे जाने बिना जीवन में हम अतृप्त रह जाते हैं| उसे जानने का प्रयास स्वयं को जानने का प्रयास है|

वर्तमान क्षण अति अति गहन और विराट है| यह रहस्यों का रहस्य है|
देशकाल से परे शाश्वतता में स्थिर पूर्णता ही हमारा जीवन है|
मैं शाश्वत अनन्त असीम हूँ|
ॐ ॐ ॐ |  ॐ ॐ ॐ ||