Monday, 2 April 2018

जो "आत्माराम" है, वह सब कर्तव्यों से परे है, उसका संसार में कोई कर्तव्य नहीं है .....

जो "आत्माराम" है, वह सब कर्तव्यों से परे है, उसका संसार में कोई कर्तव्य नहीं है .....
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नारद भक्ति सूत्र के प्रथम अध्याय का छठा सूत्र भक्त की तीन अवस्थाओं के बारे में बताता है ..... "यज्ज्ञात्वा मत्तो भवति स्तब्धो भवति आत्मारामो भवति|" यानि उस परम प्रेम रूपी परमात्मा को जानकर यानि पाकर भक्त प्रेमी पहिले तो मत्त हो जाता है, फिर स्तब्ध हो जाता है और अंत में आत्माराम हो जाता है, यानि आत्मा में रमण करने लगता है|
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गीता में भगवान कहते हैं .....
"यस्त्वात्मरतिरेव स्यादात्मतृप्तश्च मानवः | आत्मन्येव च सन्तुष्टस्तस्य कार्यं न विद्यते ||३:१७||"
अर्थात् जो मनुष्य आत्मा में ही रमने वाला आत्मा में ही तृप्त तथा आत्मा में ही सन्तुष्ट हो उसके लिये कोई कर्तव्य नहीं रहता|
ऐसा व्यक्ति जीवनमुक्त होता है| उसमें कोई कर्ताभाव या कोई कामना नहीं होती| आत्मवेत्ता के लिये कोई कर्तव्य नही बचता, वह सब कर्मों से परे है|
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गीता में ही भगवान् कहते हैं .....
"नैव तस्य कृतेनार्थो नाकृतेनेह कश्चन | न चास्य सर्वभूतेषु कश्चिदर्थव्यपाश्रयः||३:१८||"
अर्थात् उस महापुरुष के लिये इस संसार में न तो कर्तव्य-कर्म करने की आवश्यकता रह जाती है और न ही कर्म को न करने का कोई कारण ही रहता है तथा उसे समस्त प्राणियों में से किसी पर निर्भर रहने की आवश्यकता नही रहती है|
सार यह है कि सबसे अच्छी गति आत्माराम की है| हम आत्माराम बनें, यानि आत्मा में ही रमण करें| यही जीवनमुक्त की स्थिति है|
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ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
३ अप्रेल २०१८

जातिवाद और जातीय वर्गसंघर्ष को बढ़ावा देने वाले लोग भारत के सबसे बड़े शत्रु हैं....


जातिवाद और जातीय वर्गसंघर्ष को बढ़ावा देने वाले लोग भारत के सबसे बड़े शत्रु हैं....
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इस समय जातिवाद और जातीय वर्गसंघर्ष को बढ़ावा देने वाले लोग भारत के सबसे बड़े शत्रु हैं| सत्ता प्राप्ति के लिए जातिवाद उनके लिए एक माध्यम है| ऐसे लोग अधिक समय तक टिकेंगे नहीं| वर्त्तमान कालखंड में ये शीघ्र स्वयं ही आपस में लड़कर नष्ट हो जायेंगे|
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विदेशी ईसाई मिशनरियाँ भी भारत की सबसे बड़ी शत्रु हैं| वे योजनाबद्ध तरीके से पिछली कई शताब्दियों से भारत की अस्मिता को नष्ट करने का प्रयास कर रही हैं| मध्य एशिया और अरब से आये हमलावरों ने तो सिर्फ मारकाट और विध्वंश ही किया पर सनातन धर्म की जड़ों को खोदने का काम विदेशी मिशनरियों ने किया है, और आज भी कर रही हैं|
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भारत की सबसे बड़ी संपत्ति भारत का आध्यात्म है जो वामपंथियों और जातिवादियों को कभी भी समझ में नहीं आ सकता| कुशिक्षा के कारण भारत की युवा पीढी भी आध्यात्म से दूर हुई है| पर वर्त्तमान सभ्यता की विफलता उन्हें एक न एक दिन बापस आध्यात्म की ओर मोड़ देगी|
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वास्तविक विकास तो आत्मा का विकास है, जो निष्ठापूर्ण, आध्यात्मिक और चरित्रवान लोगों के द्वारा व्यक्त होता है| यह जातिवादियों के दिमाग में नहीं घुस सकता| जितनी भौतिकता बढ़ेगी उतना ही आसुरी भाव भी बढेगा| आसुरी समाजों का अस्तित्व प्रकृति अधिक समय तक सहन नहीं कर सकती| ऐसे लोग भी आपस में ही लड़कर स्वयं को नष्ट कर देंगे|
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समाजवाद, साम्यवाद, जातिवाद और तुष्टिकरण .... ये सब विफल व्यवस्थाएँ हैं| इन्होनें विनाश ही विनाश किया है| भारत की राजनीतिक व्यवस्था भी एक ढोंग है| एक तरफ तो कहते हैं कि देश धर्मनिरपेक्ष है, दूसरी ओर अल्पसंख्यकवाद को बढावा देकर अल्पसंख्यक आयोग आदि बना रखे हैं| एक तरफ तो कहते हैं कि देश में समानता है, दूसरी ओर जातिगत आरक्षण है| जातिगत आरक्षण तो इतनी गहरी जड़ें जमा चुका है जो कभी समाप्त हो ही नहीं सकता| इसे तो कोई सैनिक तानाशाही ही समाप्त कर सकती है|
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सभी का कल्याण हो| ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२ अप्रेल २०१८

कौन सी उपासना पद्धति सर्वश्रेष्ठ है ? इस पर वैज्ञानिक शोध हों ....

कौन सी उपासना पद्धति सर्वश्रेष्ठ है ? इस पर वैज्ञानिक शोध हों ....
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जैसे जैसे भौतिक विज्ञान विकसित हो रहा है, निष्पक्ष वैज्ञानिक दृष्टि से शोधात्मक प्रयोग होने चाहियें कि .... (१) जितनी भी उपासना पद्धतियाँ हैं, उनमें सर्वश्रेष्ठ और सर्वाधिक प्रभावी कौन सी है? इसके लिए आधार बनाया जा सकता है कि कौन सी साधना पद्धति से सर्वाधिक आनंद और सुख-शांति की प्राप्ति होती है| (२) मृत्यु के पश्चात आत्मा की क्या गति होती है? क्या वास्तव में स्वर्ग और नर्क यानि जन्नत और दोज़ख का अस्तित्व है, या फिर जन्नत की हक़ीक़त एक दिल को बहलाने वाली या मुर्ख बनाने वाली ही बात है? (३) आत्मा की शाश्वतता और कर्म फलों की अवधारणा तर्क द्वारा तो समझाई जा सकती है, पर उस पर वैज्ञानिक शोधों की भी आवश्यकता है|
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प्रत्येक मनुष्य को यह अधिकार होना चाहिए कि वह पूरी निष्ठा, ईमानदारी और विवेक से पूर्ण अध्ययन के पश्चात यह तय करे कि उसका मत, सम्प्रदाय या मज़हब कौन सा हो| यह आवश्यक नहीं हो कि जिस माँ-बाप के घर जन्म लिया हो, उनका मज़हब ही स्वयं का भी हो| यह निज विवेक से चुनने का अधिकार सभी को प्राप्त होना चाहिए| बलात् किसी भी लालच, भय या आतंक से किसी पर अपना मत थोपने की स्वतन्त्रता न हो|
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ऐसा ही एक दिन शीघ्र ही आयेगा, यह मेरा विश्वास है|
ॐ तत्सत ! ॐ ॐ ॐ !!

कृपा शंकर
२ अप्रेल २०१७

आत्मा से परे कुछ भी नहीं है .....

आत्मा से परे कुछ भी नहीं है .....
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"ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदम् पूर्णात् पूर्णमुदच्यते| पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते||"
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः||
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जो योगमार्ग के पथिक हैं, जो आत्मतत्व यानि अद्वैतब्रह्म का ध्यान करते हैं, उन्हें समय समय पर उपनिषदों का स्वाध्याय करते रहना चाहिए| इस से उन्हें अपार शक्ति और निरंतर प्रेरणा मिलेगी| आत्मा और ब्रह्म एक हैं| ब्रह्म के अतिरिक्त अन्य कुछ भी नहीं है| जिसे नानात्व दिखता है वह मृत्यु की ओर बढ़ता है| जब भी समय मिले परमात्मा का ध्यान करें| गीता पाठ तो नित्य करें|
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शुक्ल यजुर्वेद के बृहदारण्यक उपनिषद् व शतपथ ब्राहण का यह मन्त्र (१४/५/४/६) बताता है कि आत्मा से परे कुछ भी नहीं है .....
"ब्रह्म तं परादात् योऽन्यत्रात्मनो ब्रह्म वेद
क्षत्रं तम् परादाद्योऽन्यत्रात्मनः क्षत्रं वेद
लोकास्तं परादुर्योऽन्यत्रात्मनो लोकान्वेद
देवास्तं परादुर्योऽन्यत्रात्मनो देवान्वेद
भूतानि तं परादुर्योऽन्यत्रात्मनो भूतानि वेद
सर्वं तं परादाद्योऽन्यत्रात्मनः सर्वं वेद
इदं ब्रह्मेदं क्षत्रमिमे लोका इमे देवा इमानि भूतानी
इदं सर्वं यदयमात्मा."
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आप सब निजात्मगण को सप्रेम सादर नमन !
"ॐ असतोमा सद्गमय | तमसोमा ज्योतिर्गमय | मृत्योर्मामृतं गमय ||" ॐ शान्ति शान्ति शान्तिः ||
ॐ ॐ ॐ !!
३१ मार्च २०१८

अच्छे दिन आये हैं इसलिए मोदी जी प्रधानमंत्री बने हैं, न कि मोदी जी के आने से अच्छे दिन आये हैं .....

अच्छे दिन आये हैं इसलिए मोदी जी प्रधानमंत्री बने हैं, न कि मोदी जी के आने से अच्छे दिन आये हैं .....
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(१) भारत के अच्छे दिन आए हैं, इसीलिये माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी भारत के प्रधानमंत्री बने हैं, न कि मोदी जी के आने से अच्छे दिन आये हैं| मोदी जी के आने के पीछे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लाखों स्वयंसेवकों की व्यापक राष्ट्र-साधना और त्याग-तपस्या है| अन्यथा ऐसी कोई गन्दी गाली नहीं है, ऐसा कोई झूठा आरोप नहीं है, और ऐसी कोई न्यायिक जाँच नहीं है जो दुर्भावनावश मोदी जी के विरुद्ध नहीं हुई है| उनकी ह्त्या के भी अनेक प्रयास हुए हैं, पर वे हम सब की शुभ कामनाओं से जीवित हैं| अच्छे दिन आये हैं इसलिए मोदी जी प्रधानमंत्री बने हैं, न कि मोदी जी के आने से अच्छे दिन आये हैं|
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(२) पर अकेला चना क्या भाड़ भोड़ेगा? अकेले मोदी जी क्या करेंगे? व्यवस्था तो वही पुरानी है| पिछली सरकारों के समय बड़े बड़े घोटाले हुए थे| पर आज तक एक भी घोटालेबाज के विरुद्ध कोई मुकदमा नहीं चला है, किसी भी घोटालेबाज की आज तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है|
चोर चोर मौसेरे भाई वाली बात है| मुझे लगता है कि भारत सरकार इसलिए कोई कारवाई नहीं कर रही है क्योंकी वे सारे घोटालेबाज या तो कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आ गए हैं, या उन घोटालों में भाजपा वाले भी सम्मिलित रहे होंगे| उन घोटालों को भुलाने के प्रयास किये जा रहे हैं|
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प्रकृति किसी को क्षमा नहीं करती| जो करेगा वह निश्चित रूप से भरेगा| कर्मों का फल निश्चित रूप से सभी को मिलेगा| राजनेताओं और न्यायाधीशों की सत्ता अंतिम नहीं है, उनका भी न्याय निश्चित रूप से होगा|

ॐ तत्सत् !ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
३ अप्रेल २०१७