Tuesday 12 February 2019

सुषुम्ना के सात चक्रों की अग्नियों के साथ विश्वरूपमहाग्नि में हवन .....

सुषुम्ना के सात चक्रों की अग्नियों के साथ विश्वरूपमहाग्नि में हवन .....
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मूलाधार चक्र ........ ॐ दक्षिणाग्नये स्वाहा | इदं ते न मम ||
स्वाधिष्ठान चक्र ...... ॐ गृहपतिअग्नये स्वाहा | इदं ते न मम ||
मणिपुर चक्र ..........ॐ वैश्वानरअग्नये स्वाहा | इदं ते न मम ||
अनाहत चक्र ......... ॐ आहवनीयअग्नये स्वाहा | इदं ते न मम ||
विशुद्धि चक्र .......... ॐ समिद्भवनअग्नये स्वाहा | इदं ते न मम ||
आज्ञा चक्र ............. ॐ ब्रह्माग्नये स्वाहा | इदं ते न मम ||
सहस्रार चक्र ...........ॐ विश्वरूपमहाग्नये स्वाहा | इदं ते न मम ||
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सभी चक्रों में जो अग्नि प्रज्वलित हैं , वह सबसे ऊपर स्थित विश्वरूप महाग्नि के कारण ही है, उसी में सब की आहुति देनी है|
ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
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पुनश्चः :---
ॐ।
यज्ञेन यज्ञमयजन्त देवास्तानि धर्माणि प्रथमान्यासन्।
ते ह नाकं महिमानः सचन्त यत्र पूर्वे साध्याः सन्ति देवाः ॥ 1 ॥
ॐ।
राजाधिराजाय प्रसह्यसाहिने नमो वयं वैश्रवणाय कुर्महे।
स मे कामान्कामकामाय मह्यम् कामेश्वरो वैश्रवणो ददातु।
कुबेराय वैश्रवणाय महाराजाय नमः ॥ 2 ॥
ॐ स्वस्ति।
साम्राज्यं भौज्यं स्वाराज्यं वैराज्यं पारमेष्ठ्यं राज्यं
माहाराज्यमाधिपत्यमयं समंतपर्यायी स्यात्सार्वभौमः सार्वायुष
आंतादापरार्धात्पृथिव्यै समुद्रपर्यंताया एकराळिति ॥ 3 ॥
तदप्येषः श्लोकोऽभिगीतो।
मरुतः परिवेष्टारो मरुत्तस्यावसन् गृहे।
आविक्षितस्य कामप्रेर्विश्वे देवाः सभासद इति ॥ 4 ॥

वसंतपंचमी के दिन एक प्रार्थना और सुझाव .....

वसंतपंचमी के दिन एक प्रार्थना और सुझाव .....

मेरा सभी हिन्दू श्रद्धालुओं से सप्रेम अनुरोध है कि आज के दिन से अर्थ सहित गीता का स्वाध्याय आरम्भ कर दें| आज से नित्य क्रमशः गीता के दो श्लोक अर्थ सहित ठीक से समझ कर पढ़ें| अधिक से अधिक पांच पढ़ सकते हैं| गीताप्रेस गोरखपुर वाली पुस्तक में से दो से पांच श्लोक अर्थ सहित समझ कर पढ़ें और फिर अपनी अपनी गुरु परम्परानुसार उसका भाष्य पढ़ें| ज्ञान का स्त्रोत परमात्मा हैं अतः भगवान का ध्यान भी खूब करें|

शुभ कामनाएँ और नमन ! ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१० फरवरी २०१९

बसंतपंचमी की शुभ कामनाएँ .....

बसंतपंचमी की शुभ कामनाएँ ! यह मूलतः सरस्वती पूजन का दिवस है| एक भूला-बिसरा ऐतिहासिक सत्य यह भी है कि एक समय राजपूताने (वर्तमान राजस्थान) में बसंत पंचमी के दिन भौमिया वीरों की स्मृति में भी आराधना होती थी| अब भी कई स्थानों पर भौमिया वीरों की आराधना होती है| यह बात मैंने अपने पूर्वजों के मुख से सुनी है| भौमिया वीर वे वीर होते थे जो सिर कटने के पश्चात भी रणभूमि में युद्ध करते रहते थे| राजपूताने के इतिहास में ऐसे अनगिनत सैंकड़ों वीर हुए हैं जिनके सिर कटने के बाद भी उनके धड़ बहुत समय तक युद्ध करते रहे| ऐसे वीर भौमिया वीर कहलाते थे और उनकी आराधना देवताओं के रूप में होती है| पारंपरिक रूप से अब भी बसंत पंचमी के दिन राजस्थान के कई घरों में भौमिया जी का दीपक जलाया जाता है और उस दीपक की पूजा होती है|
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बसंतपंचमी के दिन ही भगवान श्रीराम शबरी भीलनी के घर पधारे थे|
पृथ्वीराज चौहान ने बसंतपंचमी के दिन ही मोहम्मद गौरी का वध किया था|
बसंतपंचमी के ही दिन ही वीर बालक हकीकत राय का बलिदान हुआ था| उसकी स्मृति में लाहौर में बसंतपंचमी के दिन ही मेला भरता था और पतंगें उडाई जाती थीं| अब भी वहाँ इस दिन पतंगें उडाई जाती हैं| इस तेरह वर्ष के बालक के एक हाथ में गीता थी| हर तरह के भय और प्रलोभन उसे दिए गए| सरहिंद के नवाब ने तो उस से अपनी शाहजादी की शादी करने और अपना सारा राज्य देने का भी प्रस्ताव दिया था पर उसने इस्लाम कबूल नहीं किया और अपनी गर्दन कटवा की|
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गुरु रामसिह कूका का जन्म बसंतपंचमी के दिन हुआ था| उनके ५० शिष्यों को अंग्रेजों ने १७ जनवरी १८७२ के दिन मलेरकोटला में तोपों के सामने बांधकर उड़ा दिया था| बाकी बचे १८ को अगले दिन फांसी दे दी गयी| गुरू रामसिंह को भी पकड़कर बर्मा की मांडले जेल में भेज दिया गया| १४ वर्ष तक वहाँ कठोर अत्याचार सहकर सन १८८५ ई.में उन्होंने शरीर त्याग दिया|
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राजा भोज का जन्मदिवस वसंत पंचमी को ही आता हैं। राजा भोज इस दिन एक बड़ा उत्सव करवाते थे जिसमें पूरी प्रजा के लिए एक बड़ा प्रीतिभोज रखा जाता था जो चालीस दिन तक चलता था|.
महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' का जन्म भी वसंतपंचमी के दिन हुआ था|
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पुनश्चः वसंतपंचमी की मंगलमय शुभ कामनाएँ ! सभी का कल्याण हो !
ॐ तत्सत् !
१० फरवरी २०१९

पुरुष और प्रकृति नाचे साथ साथ .....

पुरुष और प्रकृति नाचे साथ साथ .....

वर्तमान का यह क्षण मेरा है जो मेरे इस जीवन का सर्वश्रेष्ठ क्षण है| कोई भूत नहीं, कोई भविष्य नहीं, वर्त्तमान ही मेरा है जिसमें मैं परमात्मा के साथ एक हूँ| ओंकार की ध्वनि में लिपटा हुआ सर्वव्यापी ज्योतिर्मय कूटस्थ ब्रह्म ही मेरा वास्तविक स्वरुप है| उसकी चेतना ही मेरी चेतना है|

सारी सृष्टि और सृष्टिकर्ता साथ साथ नृत्य कर रहे हैं| पुरुष और प्रकृति दोनों का नृत्य चल रहा है| दोनों साथ साथ नाच रहे हैं|
राधे गोविन्द जय
राधे गोविंद जय
राधे गोविन्द जय
राधे गोविन्द जय
पुरुष और प्रकृति नाचे साथ साथ 


इस पुरुष और प्रकृति के साथ साथ हो रहे नृत्य से अधिक सुन्दर और क्या हो सकता है? उनका वह नृत्य ही सारा अस्तित्व है| देखने योग्य यदि कुछ है तो उनका वह नृत्य ही है| वह नृत्य ही नटराज है|

ॐ तत्सत् ! ॐ शिव ! ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
८ फरवरी २०१९

गुरु की सत्ता सूक्ष्मातिसूक्ष्म जगत में है .....

गुरु की सत्ता सूक्ष्मातिसूक्ष्म जगत में है जहाँ से वे इस हृदय साम्राज्य पर राज्य कर रहे हैं ......
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गुरु महाराज सब तरह के नाम-रूपों से परे परमात्मा के साथ एक हैं| सूक्ष्म जगत में वे सर्वत्र व्याप्त हैं, वहीं से वे इस हृदय साम्राज्य पर राज्य कर रहे हैं| उनकी अनंतता ही मेरा वास्तविक स्वरुप है| इस भौतिक हृदय की भी हर धड़कन, इन फेफड़ों द्वारा ली जा रही हर सांस, इस मन की हर सोच ..... सब कुछ उन्हीं का है, मेरा कुछ भी नहीं है| इस देह रूपी वाहन की सत्ता तो उतनी ही दूरी में है जितना स्थान इसने घेर रखा है, पर मैं यह देह नहीं शाश्वत सर्वव्यापी आत्मा और अपने गुरु और परमात्मा के साथ एक हूँ| उन से कहीं पर कैसी भी कोई पृथकता नहीं है|
ॐ तत्सत् ! ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
८ फरवरी २०१९

अब कोई संशय नहीं है .....

गुरुकृपा से आध्यात्मिक क्षेत्र में अब न तो कोई संशय बचा है, और न कोई अनसुलझा रहस्य| सारी जिज्ञासाओं का भी समाधान हो चुका है| कैसी भी कोई स्पृहा अब नहीं है| सिर्फ एक अति प्रचंड अभीप्सा बची है जिसको शांत सिर्फ माँ भगवती यानी जगन्माता ही कर सकती है| अब बाकी का सारा काम उन्हीं का है, मेरा कुछ नहीं| जो कुछ भी कर्म बाकी हैं वे सब जगन्माता ही करेंगी| आप सब महान आत्माओं को नमन !
ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
७ फरवरी २०१९
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भजन :--
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मैं नहीं मेरा नहीं, यह तन किसी का है दिया
जो भी मेरे पास है, वो धन किसी का है दिया
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देने वाले ने दिया, वो भी दिया किस शान से
मेरा है यह लेने वाला, कह उठा अभिमान से
मैं मेरा यह कहने वाला, मन किसी का है दिया
जो भी मेरे पास है, वो धन किसी का है दिया
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जो मिला है वह हमेशा, साथ रह सकता नही
कब बिछुड़ जाये ये, कोई राज़ कह सकता नही
जिन्दगानी का खिला, मधुवन किसी का है दिया
जो भी मेरे पास है, वो धन किसी का है दिया
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जग की सेवा खोज अपनी, प्रीति उनसे कीजिये
जिन्दगी का राज़ है, यह जानकर जी लीजिये
साधना की राह पर, साधन किसी का है दिया
जो भी मेरे पास है, वो धन किसी का है दिया
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मैं नहीं मेरा नहीं, यह तन किसी का है दिया
जो भी मेरे पास है, वो धन किसी का है दिया
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ॐ नमो भगवते वासुदेवाय !! ॐ ॐ ॐ !!