ईश्वरार्पण बुद्धि से हर कार्य करना चाहिए .....
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जीवन का छोटे से छोटा, और बड़े से बड़ा, हर कार्य परमात्मा को समर्पित होना चाहिए| हर कार्य के आरम्भ, मध्य और अंत में निरंतर परमात्मा का स्मरण कर उन्हें ही कर्ता बनाना चाहिए| हमारे द्वारा न चाहते हुए भी साँस चलती है, वह भी परमात्मा को समर्पित होनी चाहिए| यह साँस परमात्मा ही ले रहें, न कि हम| अतः हर दो सांसों के मध्य भी परमात्मा का स्मरण रहना चाहिए|
हमें भूख लगती है तब जो कुछ भी खाते हैं वह भी परमात्मा को ही समर्पित हो|
हमें सुख और दुःख की अनुभूतियाँ होती हैं, वे सुख और दुःख भी परमात्मा के ही हैं, हमारे नहीं| साधना मार्ग की जो भी कठिनाइयां हैं वे भी परमात्मा की ही हैं, हमारी नहीं|
ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ !!
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जीवन का छोटे से छोटा, और बड़े से बड़ा, हर कार्य परमात्मा को समर्पित होना चाहिए| हर कार्य के आरम्भ, मध्य और अंत में निरंतर परमात्मा का स्मरण कर उन्हें ही कर्ता बनाना चाहिए| हमारे द्वारा न चाहते हुए भी साँस चलती है, वह भी परमात्मा को समर्पित होनी चाहिए| यह साँस परमात्मा ही ले रहें, न कि हम| अतः हर दो सांसों के मध्य भी परमात्मा का स्मरण रहना चाहिए|
हमें भूख लगती है तब जो कुछ भी खाते हैं वह भी परमात्मा को ही समर्पित हो|
हमें सुख और दुःख की अनुभूतियाँ होती हैं, वे सुख और दुःख भी परमात्मा के ही हैं, हमारे नहीं| साधना मार्ग की जो भी कठिनाइयां हैं वे भी परमात्मा की ही हैं, हमारी नहीं|
ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ !!