आध्यात्म में समस्त अनर्थों का मूल आसुरी भाव है; इस से कैसे बचें? ---
Sunday, 15 January 2023
आध्यात्म में समस्त अनर्थों का मूल आसुरी भाव है; इस से कैसे बचें? ---
आसुरी-भाव से हमें परमात्मा की प्राप्ति नहीं होती ---
आसुरी-भाव से हमें परमात्मा की प्राप्ति नहीं होती ---
आप मुझे कितना भी दर्द और पीड़ा दो, लेकिन कभी भी अपने प्रेम से वंचित नहीं कर सकते ---
हे परमशिव, आप मुझे कितना भी दर्द और पीड़ा दो, लेकिन कभी भी अपने प्रेम से वंचित नहीं कर सकते। संसार में यदि कष्ट कम हैं तो आप मुझे घोर नर्क में डाल सकते हो, लेकिन आप कभी मेरा साथ नहीं छोड़ सकते। जहाँ भी आपने मुझे रखा है, वहाँ किसी भी तरह के असत्य का अंधकार हो ही नहीं सकता। मैं आपका परमप्रेम, आपकी अनंत विराटता, और प्रकाशों का प्रकाश, ज्योतियों की ज्योति - ज्योतिषाम्ज्योति हूँ; यह नश्वर देह नहीं।
कल स्वामी विवेकानंद के ऊपर अनेक लेख लिखे गए थे। लेकिन कुछ बातों का लोग उल्लेख नहीं करते ---
कल स्वामी विवेकानंद के ऊपर अनेक लेख लिखे गए थे। लेकिन कुछ बातों का लोग उल्लेख नहीं करते।
बड़ी से बड़ी बात जो भगवान की परम कृपा से मैं लिख सकता हूँ, वह यह है कि ---
बड़ी से बड़ी बात जो भगवान की परम कृपा से मैं लिख सकता हूँ, वह यह है कि -
प्रेम और सदाचार क्या है? ---
प्रेम और सदाचार क्या है? ---
मकर संक्रांति की क्या शुभ कामना दूँ? मेरी हरेक साँस में संक्रांति है ---
मकर संक्रांति की क्या शुभ कामना दूँ? मेरी हरेक साँस में संक्रांति है ---
मकर-संक्रांति - उर्ध्वगति का उत्सव और आत्मसूर्य की ओर प्रयाण है ---
मकर-संक्रांति - उर्ध्वगति का उत्सव और आत्मसूर्य की ओर प्रयाण है; निरंतर सर्वव्यापी कूटस्थ-चैतन्य में रहें, जिसमें स्थिति ही ब्राह्मी-स्थिति है जिसका उपदेश भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में दिया है ---
हिन्दू समाज इस समय बिल्कुल भी सोया हुआ या असंगठित नहीं है ---
हिन्दू समाज इस समय बिल्कुल भी सोया हुआ या असंगठित नहीं है। विश्व का सबसे अधिक जागृत समाज है। सिर्फ धर्म-शिक्षा का अभाव है, जिससे हिंदुओं को पहले तो अंग्रेजों व पूर्तगालियों ने, फिर काँग्रेस सरकार ने वंचित किया। अभी भी गुरुकुलों की शिक्षा को मान्यता प्राप्त नहीं है, जब कि मदरसों व कॉन्वेंटों की शिक्षा को है। भारत का संविधान हिंदुओं को अपने धर्म की शिक्षा का अधिकार सरकारी मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थाओं में नहीं देता, क्योंकि हमारा संविधान यथार्थ में बुहुविधान है, न कि संविधान (समान कानून और नीति-नियम)।
उपसंहार ---
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