किसी भी परिस्थिति में अपनी नियमित आध्यात्मिक आराधना न छोड़ें .....
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किसी भी परिस्थिति में अपनी नियमित आध्यात्मिक आराधना न छोड़ें| बड़ी कठिनाई से हमें भगवान की भक्ति का यह अवसर मिला है| कहीं ऐसा न हो कि हमारी ही उपेक्षा से भगवान को पाने की हमारी अभीप्सा ही समाप्त हो जाए|
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जीवन में अंधकारमय प्रतिकूल झंझावात आते ही रहते हैं जिनसे हमें विचलित नहीं होना चाहिए| इनसे तो हमारी प्रखर चेतना ही जागृत होती है व अंतर का सौंदर्य और भी अधिक निखर कर बाहर आता है|
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समस्त सृष्टि चैतन्य का एक खेल मात्र है| जो कुछ भी देश-काल में घटित हो रहा है वह एक विराट चुम्बकीय क्षेत्र के दो विपरीत ध्रुवों के बीच का तनाव या घर्षण मात्र है| इसे ईश्वर के मन का एक विचार भी कह सकते हैं| प्रकृति, माया और जीव उसी परम चैतन्य की अभिव्यक्तियाँ हैं| सृष्टि के इस रहस्य को समझ कर उस परम चैतन्य से अंततः जुड़ना ही मनुष्य जीवन का ध्येय है|
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कभी भी विचलित न हों| हम सब सच्चिदानंद परमात्मा की ही अभिव्यक्तियाँ हैं|
हारिये ना हिम्मत, बिसारिये न हरि नाम| सब को शुभ कामनाएँ और नमन|
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किसी भी परिस्थिति में अपनी नियमित आध्यात्मिक आराधना न छोड़ें| बड़ी कठिनाई से हमें भगवान की भक्ति का यह अवसर मिला है| कहीं ऐसा न हो कि हमारी ही उपेक्षा से भगवान को पाने की हमारी अभीप्सा ही समाप्त हो जाए|
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जीवन में अंधकारमय प्रतिकूल झंझावात आते ही रहते हैं जिनसे हमें विचलित नहीं होना चाहिए| इनसे तो हमारी प्रखर चेतना ही जागृत होती है व अंतर का सौंदर्य और भी अधिक निखर कर बाहर आता है|
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समस्त सृष्टि चैतन्य का एक खेल मात्र है| जो कुछ भी देश-काल में घटित हो रहा है वह एक विराट चुम्बकीय क्षेत्र के दो विपरीत ध्रुवों के बीच का तनाव या घर्षण मात्र है| इसे ईश्वर के मन का एक विचार भी कह सकते हैं| प्रकृति, माया और जीव उसी परम चैतन्य की अभिव्यक्तियाँ हैं| सृष्टि के इस रहस्य को समझ कर उस परम चैतन्य से अंततः जुड़ना ही मनुष्य जीवन का ध्येय है|
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कभी भी विचलित न हों| हम सब सच्चिदानंद परमात्मा की ही अभिव्यक्तियाँ हैं|
हारिये ना हिम्मत, बिसारिये न हरि नाम| सब को शुभ कामनाएँ और नमन|
ॐ तत्सत् |ॐ ॐ ॐ ||