Wednesday 1 March 2017

किसी भी परिस्थिति में अपनी नियमित आध्यात्मिक आराधना न छोड़ें .....

किसी भी परिस्थिति में अपनी नियमित आध्यात्मिक आराधना न छोड़ें .....
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किसी भी परिस्थिति में अपनी नियमित आध्यात्मिक आराधना न छोड़ें| बड़ी कठिनाई से हमें भगवान की भक्ति का यह अवसर मिला है| कहीं ऐसा न हो कि हमारी ही उपेक्षा से भगवान को पाने की हमारी अभीप्सा ही समाप्त हो जाए|
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जीवन में अंधकारमय प्रतिकूल झंझावात आते ही रहते हैं जिनसे हमें विचलित नहीं होना चाहिए| इनसे तो हमारी प्रखर चेतना ही जागृत होती है व अंतर का सौंदर्य और भी अधिक निखर कर बाहर आता है|
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समस्त सृष्टि चैतन्य का एक खेल मात्र है| जो कुछ भी देश-काल में घटित हो रहा है वह एक विराट चुम्बकीय क्षेत्र के दो विपरीत ध्रुवों के बीच का तनाव या घर्षण मात्र है| इसे ईश्वर के मन का एक विचार भी कह सकते हैं| प्रकृति, माया और जीव उसी परम चैतन्य की अभिव्यक्तियाँ हैं| सृष्टि के इस रहस्य को समझ कर उस परम चैतन्य से अंततः जुड़ना ही मनुष्य जीवन का ध्येय है|
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कभी भी विचलित न हों| हम सब सच्चिदानंद परमात्मा की ही अभिव्यक्तियाँ हैं|
हारिये ना हिम्मत, बिसारिये न हरि नाम| सब को शुभ कामनाएँ और नमन|

ॐ तत्सत् |ॐ ॐ ॐ ||

राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय राजनीति आर्थिक हितों से चलती है, भावनाओं से नहीं ..

राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय राजनीति आर्थिक हितों से चलती है, भावनाओं से नहीं ....
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राजनीति में चाहे वह एक व्यक्ति हो या चाहे कोई एक देश, अपनी नीतियाँ अपने राष्ट्र के आर्थिक हितों से बनाता है, भावनाओं से नहीं|
ये जितने भी... साम्यवाद, पूँजीवाद, समाजवाद आदि वाद हैं वे सब जनता को सिर्फ मूर्ख बनाने के लिए हैं| इनसे असली लाभ राजनेताओं को ही है|
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कोंग्रेस के राज में नीतियाँ बनती थीं गाँधी परिवार, राजनेताओं व बड़े अधिकारियों के आर्थिक हित के लिए| देशहित तो सिर्फ दिखावा था|
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भाजपा ने भी कांग्रेस के शासन के समय किये हुए बड़े-बड़े घोटालों पर कोई कानूनी कार्यवाई न करके एक भी कांग्रेसी नेता को अभी तक जेल नहीं भेजा है, क्योंकि उन नेताओं के साथ साथ कई बड़े-बड़े पूँजीपति भी जेल चले जायेंगे जो ऐसा होने पर भाजपा की सरकार को गिरा देने की सामर्थ्य रखते हैं| 2G आदि घोटालों में सिर्फ राजनेताओं का ही नहीं सारी टेलिकॉम कम्पनियों के मालिकों का भी हाथ था जो अब भाजपा के साथ हैं|
इसीलिए भाजपा ने वित्त मंत्रालय सुब्रमण्यम स्वामी जैसे महान अर्थशास्त्री को न देकर अरुण जेटली जैसे विख्यात वकील को दे रखा है क्योंकि भ्रष्टाचार के मामले में सुब्रमण्यम स्वामी किसी की नहीं सुनते|
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पूँजी का धर्म .... कोई दल, देश, जाती व नस्ल नहीं होती| पूँजी का एकमात्र धर्म है ..... मुनाफ़ा|
जिधर अधिक मुनाफ़ा हो पूँजी उधर ही भागती है| यह एक कटु सत्य है|
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चीन और अमेरिका दिखाने के लिए चाहे कितने भी बड़े शत्रु हों, पर दोनों के इतने गहरे आर्थिक हित हैं कि दोनों एक दूसरे के बिना नहीं रह सकते| चीन में मज़दूरी बहुत अधिक सस्ती है, क्योंकि वहाँ के मजदूर कानूनन हड़ताल नहीं कर सकते और काम के लिए मना भी नहीं कर सकते| अतः अमेरिका ने वहाँ अपना अधिकाँश धन लगा कर कारखाने बना रखे हैं जहाँ से माल बनकर अमेरिका जाता है| शुरू में दोनों देश इससे बहुत खुश थे| पर अब एक नया संकट खड़ा हो रहा है| चीन से अमेरिकी व अन्य विदेशी कम्पनियां अपना सारा मुनाफ़ा कमाकर बापस अपने देशों में भेज रही है, जिससे चीन को कुछ भी लाभ अब नहीं हो रहा है| जितना पैसा चीन में आता है उससे अधिक तो बाहर चला जाता है|
अमेरिका में भी उद्योग-धंधे बाहर चले जाने से बेरोजगारी बढ़ गयी है| इसी परिस्थिति का लाभ उठाकर लोगों की भावनाओं को भड़का कर ट्रम्प राष्ट्रपति बन गए हैं| अब अमेरिका भी पछता रहा है क्योंकि अपने उद्योग-धंधे तो चीन से बापस ला ही नहीं सकता जो कारखानों के रूप में वहाँ हैं| चीन जब चाहे तब उस संपत्ति को जब्त कर सकता है| बस यही एकमात्र कारण है दोनों देशों में व्याप्त तनाव का| इसका परिणाम युद्ध भी हो सकता है|
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विश्व के जितने भी जिहादी आतंकी संगठन हैं वे सब अमेरिका ने ही खड़े किये हैं जिनके माध्यम से अमेरिका अरब देशों का तेल लूट रहा है| जिस दिन उनका तेल समाप्त हो जाएगा उसी दिन अमेरिका, अन्य योरोपीय देशों व इजराइल के साथ मिलकर अरबों को बुरी तरह लूट कर बापस पाषाण युग में ला कर खडा कर देगा जहाँ वे फिर से गधों पर ही सवारी करेंगे| जब तक आतंकी संगठन अपने आका अमेरिका की बात मानते हैं तब तक तो ठीक है, पर जिस दिन अमेरिका के कहने में नहीं चलते अमेरिका उन्हें ठोक-पीट कर ठंडा कर देता है|
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भारत को अपने नियंत्रण में रखने के लिए ही अमेरिका पकिस्तान को हथियार देता है ताकि भारत अमेरिका से हथियार खरीदता रहे और डर कर रहे| अमेरिका कभी नहीं चाहेगा कि भारत में सुख-शांति रहे| चीन भी भारत को बर्बाद करना चाहता है पर कर नहीं पा रहा क्योंकि भारत उसके लिए एक बहुत बड़ा बाजार है| भारतीय लोग यदि अपना लालच छोड़कर चीनी सामान खरीदना बंद कर दें तो चीन में हाहाकार मच जाएगा| चीन का साम्यवाद एक ढकोसला है जिसका मार्क्स से कोई लेना देना नहीं है| चीन की मुख्य नीति ही है अपना भौगोलिक विस्तार|
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वर्त्तमान में नरेन्द्र मोदी की विदेश नीति, सैन्य नीति और आर्थिक नीतियाँ सही हैं| हमें सैन्य रूप से और आर्थिक रूप से अति शक्तिशाली बनना होगा| विदेशी मामलों में कूटनीति भी हमारी बहुत प्रभावशाली होनी चाहिए|
अमेरिका ने दादागिरी से डॉलर को विश्वमुद्रा बना रखा है| जिस दिन डॉलर को अन्य देश अस्वीकार कर देंगे अमेरिका की दादागिरी समाप्त हो जायेगी| ऐसा वातावरण अब बनने लगा है| भारत अब एक महाशक्ति बनने के कगार पर ही है|
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वन्दे मातरम् | भारत माता की जय | जय जननी जय भारत | ॐ ॐ ॐ ||

हमें अपने राष्ट्र से प्रेम है .....


हमें अपने राष्ट्र से प्रेम है .....
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आध्यात्म में जितना हमें परमात्मा से प्रेम है उतना ही इस भौतिक जगत में अपने राष्ट्र भारतवर्ष की अस्मिता से भी है| राष्ट्र की अस्मिता की रक्षा के लिए शस्त्र भी धारण करना पड़े तो वह भी धारण करेंगे, प्राणोत्सर्ग भी करना पड़े तो वह भी करेंगे| पता नहीं कितनी बार शस्त्रास्त्र धारण किये हैं और प्राण भी दिए हैं| राष्ट्र को अब और खंडित नहीं होने देंगे|
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पूरे विश्व में भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जहाँ की राजधानी के मुख्य मार्गों पर तथाकथित विद्यार्थी और तथाकथित शिक्षक, देश को तोड़ने और देश से आज़ादी की माँग सार्वजनिक रूप से बाजे-गाजों के साथ चिल्ला चिल्ला कर करते हैं और उनके विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं होती| इतना ही नहीं अनेक राजनेता भी उनका समर्थन करते हैं| यह हमारा दुर्भाग्य ही है कि हम ऐसे दृश्य देखने को विवश हैं|
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जो लोग भारत से आज़ादी चाहते हैं उन्हें इस देश से आज़ाद कर दिया जाए और ऐसे देश में भेज दिया जाए जहाँ उनको आज़ादी प्राप्त है| इस देश को उनकी आवश्यकता नहीं है, वे इस देश के सीमित संसाधनों पर भार हैं| कई तो बहुत बड़ी बड़ी आयु के तथाकथित विद्यार्थी है जो कैसे भी जोड़-तोड़ बैठाकर छात्रवृति लेकर वहाँ अपनी कुत्सित विचारधारा फैलाते हैं| राष्ट्र के विकास में इनका कोई योगदान नहीं होता|
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बहुत ऊँचे ऊँचे वेतन लेने वाले इनके शिक्षक भी देश पर भार हैं| अमेरिका में कोई भी शिक्षक चाहे वह कितना भी बड़ा प्रोफ़ेसर हो, कितना भी बड़ा विद्वान हो, हर वर्ष वह जब तक कोई नई शोध नहीं करता या कराता है, उसकी छुट्टी कर दी जाती है| विश्व में सिर्फ भारतवर्ष ही एकमात्र ऐसा देश है जहाँ एक बार प्रोफ़ेसर की नौकरी मिल गयी तो जीवन भर ऐशो-आराम करने की गारंटी है| इसका कहीं भी लेखाजोखा नहीं होता कि वे कितने घंटे पढ़ाते हैं, क्या पढ़ाते हैं, और शोध के नाम पर विद्यार्थियों से रुपये लेकर कितना कूड़ा-कर्कट लिखते और लिखवाते हैं| यह उनकी अतिरिक्त कमाई है| भारत में इसकी भी जांच होनी चाहिए कि जो शोधकार्य होते हैं उनमें से कितनों के शोध विश्व स्तर के होते हैं और कितने रद्दी के भाव के होते हैं| शिक्षा संस्थानों में देशद्रोह की भावना फैलाने वाले ऐसे प्रोफ़ेसर भी देशद्रोही हैं जो विद्यार्थियों का ही नहीं देश का भविष्य भी अन्धकार में डालते हैं|
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ऐसे शिक्षण संस्थानों को यदि बंद भी कर दिया जाए तो इसमें कोई बुराई नहीं है|
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प्रश्न : देश के सेकुलर और वामपंथी राजनेता, पत्रकार और इनके नकलची चेले, सिर्फ सनातन हिन्दू धर्म और हिन्दू परम्पराओं का ही विरोध क्यों करते हैं, अन्यों का क्यों नहीं ?
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उत्तर : ये लोग वास्तव में असुर राक्षस हैं जिनका विरोध आध्यात्म, आत्मज्ञान, श्रुतियों, स्मृतियों, आगम ग्रंथों, अहैतुकी भक्ति आदि सनातन वैदिक परम्पराओं से है| इनका विरोध मनुष्य की आत्मा से है| ये सब नर्कगामी हैं अतः इन का समर्थन करना हमें भी नर्कगामी बना देगा| इनका सदा प्रतिकार करना चाहिए|

ॐ ॐ ॐ ||