सम्पूर्ण अस्तित्व व उससे परे जो कुछ भी है, वे सर्वस्व ही परमात्मा हैं --
Sunday, 16 November 2025
सम्पूर्ण अस्तित्व व उससे परे जो कुछ भी है, वे सर्वस्व ही परमात्मा हैं --
आज कार्तिक पूर्णिमा का शुभ दिन है। इस दिन का बहुत अधिक महत्व है।
आज कार्तिक पूर्णिमा का शुभ दिन है। इस दिन का बहुत अधिक महत्व है। भगवान शिव और विष्णु की अनेक पौराणिक गाथाएँ, व कुछ लौकिक गाथाएँ भी इस दिन के साथ जुड़ी हुई हैं। सभी को यहाँ लिखना असंभव है। आज के दिन पवित्र नदियों में स्नान भी होता है। अपनी चेतना का परमशिव में विलय ही मेरे लिए सर्वश्रेष्ठ स्नान है। मैं अपनी सम्पूर्ण चेतना का विलय उनमें करता हूँ। वे मेरा समर्पण स्वीकार करें।
केवल वेदान्त-वासना बनी रहे, अन्य सारे भाव तिरोहित हो जायें।
केवल वेदान्त-वासना बनी रहे, अन्य सारे भाव तिरोहित हो जायें। जब भी कुछ लिखने की प्रेरणा ईश्वर से मिलेगी तब लिखूंगा अवश्य। अन्यथा अपने मौन में सच्चिदानंद की चेतना में रहना ही मेरी साधना है। एक शक्ति मुझे परमात्मा की ओर बढ़ने की प्रेरणा निरंतर देती रहती है, वही मुझसे साधना कराती है। बहुत दूर रहने वाले कुछ निष्ठावान अति उन्नत साधक/साधिकाएँ कभी कभी मुझसे संपर्क कर अपने अनुभवों पर चर्चा करते हैं, तब मुझे बड़ा प्रोत्साहन मिलता है। साधना में कुछ नकारात्मक शक्तियाँ भी व्यवधान करती हैं, जिनसे रक्षा स्वयं भगवान करते हैं। सार की बात यही है कि परमात्मा की अभीप्सा ही शाश्वत है, आकांक्षाएँ नश्वर हैं। परमात्मा से एकत्व का भाव बना रहे। मैं, मेरे गुरु, और सच्चिदानंद परमब्रह्म परमात्मा -- तीनों एक हैं; उनमें कहीं कोई भेद नहीं है।
हमारा स्वधर्म क्या है?
(प्रश्न) : हमारा स्वधर्म क्या है?
राधे-गोविंद जय राधे-राधे ---
राधे-गोविंद जय राधे-राधे ---
कूटस्थ में अनुभूत हो रहे ज्योतिर्मय ब्रह्म ही साक्षात् परमात्मा हैं ---
कूटस्थ में अनुभूत हो रहे ज्योतिर्मय ब्रह्म ही साक्षात् परमात्मा हैं। उन्हीं की हमें अभीप्सा है। प्रणव की ध्वनि भी उन्हीं से निःसृत हो रही है। श्रौता भी वे हैं, और दृष्टा भी। एकमात्र कर्ता भी वे ही हैं। परमात्मा की प्रत्यक्ष उपस्थिती के आभास के पश्चात किसी भी उपदेश की आवश्यकता नहीं है। ज्ञान भक्ति और वैराग्य सब कुछ वे ही हैं। दिन-रात निरंतर उन्हीं का ध्यान करें, और उन्हीं की चेतना में रहें।
जब धर्म ही नहीं रहेगा तो जय किसकी होगी? ---
जब धर्म ही नहीं रहेगा तो जय किसकी होगी? ---
किसी के पीछे पीछे मत भागिये ---
किसी के पीछे पीछे मत भागिये। खुद के ही पीछे पीछे भागोगे तो खुद ही खुदा बन जाओगे। पाने की कामना एक धोखा है। सब कुछ प्राप्त है, पाने को कुछ भी नहीं है। केवल बनना ही बनना है। जीव परमात्मा का अंश है तो जन्म किसका होता है, और मरता कौन है? चोरासी लाख योनियों में और स्वर्ग/नर्क में कौन जाता है? भोगों को कौन भोगता है?
गर्भाधान संस्कार ---
गर्भाधान संस्कार ---
भारत में अल्प-संख्यक, धर्म-निरपेक्ष, सांप्रदायिक, पिछड़ा और अति-पिछड़ा होने का मापदण्ड क्या है? ---
(प्रश्न) : भारत में अल्प-संख्यक, धर्म-निरपेक्ष, सांप्रदायिक, पिछड़ा और अति-पिछड़ा होने का मापदण्ड क्या है?