Tuesday 17 April 2018

शिवभाव में स्थिति .... सब से बड़ा पुण्य है .....

अक्षय तृतीया पर किया गया पुण्य अक्षय होता है| सबसे बड़ा पुण्य है ब्रह्म यानि शिवभाव में स्थिति| शिवभाव में स्थिति का नित्य निरंतर अभ्यास सबसे बड़ा पुण्य है|

शिवभाव में कोई कामना जन्म नहीं ले सकती| कामना ही शैतान है| कामना तभी प्रभावी होती है जब हम उसके साथ एकता का अनुभव करते हैं| अगर हमें यह बोध हो जाये कि "यह किसी दूसरे की कामना है जो मेरे दुःख का कारण बनेगी", तब उसे हम कभी भी पूरा नहीं करेंगे|

मैं यह देह नहीं, "मैं सर्वव्यापी अनंत परमशिव हूँ" ....यही सर्वश्रेष्ठ भाव है| इसी की धारणा और मानसिक रूप से प्रणव की ध्वनी सुनते हुए कूटस्थ में इसी का ध्यान करें| अन्य सब परिवर्तनशील है, मैं नहीं|

शिवोहं शिवोहं अहं ब्रह्मास्मि| ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१८ अप्रेल २०१८

जिम्मेदारी उन्हीं की है, हमारी नहीं .....

जिम्मेदारी उन्हीं की है, हमारी नहीं .....
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यदि न चाहते हुए भी हम भगवान से दूर हो जाएँ तो क्या करें ?
राग, द्वेष, अहंकार, लोभ और प्रमाद के वशीभूत होकर, न चाहते हुए भी हम भगवान से दूर जा कर किसी गहरी खाई में गिर जाते हैं| ऐसी स्थिति में हमें क्या करना चाहिए?
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यह प्रश्न मेरे मन में अनेक बार आया है| गीता में अर्जुन ने भी यह प्रश्न भगवान से एक बार किया है और भगवान ने उसका उत्तर भी दिया है| पर कोई भी बौद्धिक उत्तर संतुष्ट नहीं करता| एक बालक को कोई शिकायत या समस्या है तो वह अपने माँ-बाप से ही अपनी समस्या का निदान करा सकता है| हम भी इस समस्या का निदान करने में असफल रहे हैं और इसका स्थायी निदान प्रत्यक्ष परमात्मा से ही चाहते हैं, किसी अन्य से नहीं| कोई बालक बिस्तर में मल-मूत्र कर गन्दगी में भर जाता है तो वह स्वयं तो उज्जवल हो नहीं सकता| वैसे ही निज प्रयास कोई काम नहीं आते|
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भगवान को हस्तक्षेप करना ही पड़ेगा| कब तक हम अपना हाथ उनके हाथ में थमाते रहेंगे? कब तक उनसे सहायता माँगते रहेंगे? समस्या का स्थायी निदान हमें इसी समय चाहिए| बाकि उनकी मर्जी, वे जैसा चाहे वैसा करें| जिम्मेदारी उन्हीं की है, हमारी नहीं| हमने तो कहा नहीं था कि हमारे लिए ये समस्याएँ उत्पन्न करो| जब तुम ने कर ही दी हैं तो उनसे मुक्त करने की जिम्मेदारी भी तुम्हारी ही है|
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ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
१७ अप्रेल २०१८

"चंद्रशेखर" शब्द का आध्यात्मिक अर्थ क्या हो सकता है ? ....

"चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः" |
"चंद्रशेखर" शब्द का आध्यात्मिक अर्थ क्या हो सकता है ? ....
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भगवान शिव का एक नाम चंद्रशेखर भी है| उनके माथे पर चन्द्रमा सुशोभित है इसलिए वे भगवान चंद्रशेखर है| सप्तकल्पांतजीवी ऋषि मार्कंडेय कृत चंद्रशेखर स्तोत्र में एक पंक्ति है .... "चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः" ..... यह पंक्ति इस स्तोत्र का प्राण है| इस पर विचार करते करते जो अर्थ मेरी अति अल्प और तुच्छ सीमित बुद्धि से समझ में आया उसे मैं यहाँ व्यक्त करने का प्रयास कर रहा हूँ| वैसे तो यह पूरा स्तोत्र ही बहुत गहन अर्थों वाला है, पर यहाँ सिर्फ इसी एक ही पंक्ति पर विस्तार से विचार करेंगे|
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शिव का अर्थ है "शुभ"| मनुष्य अपनी उच्चतम चेतना में परमात्मा के जिस सर्वव्यापी, सर्वज्ञ, सर्वशक्तिमान और परम कल्याणमय साकार विग्रह की कोई कल्पना कर सकता है, वह भगवान शिव का विग्रह है|
वे दिगंबर हैं, अर्थात दशों दिशाएँ ही उनके वस्त्र हैं, वे सर्वव्यापी हैं|
उनके गले में सर्प, कुण्डलिनी महाशक्ति का प्रतीक है| योगियों के लिए महाशक्ति कुण्डलिनी और परमशिव का मिलन ही योग है| वे योगियों के आराध्य हैं| कुण्डलिनी महाशक्ति जागृत होकर सभी चक्रों और सहस्त्रार को भेदती हुई जब अनंत ब्रह्म से एकाकार हो जाती है वह ही परमशिव से मिलन है| तब कोई भेद नहीं रहता| वह ब्राह्मी चेतना है जो उच्चतम परम चैतन्य है|
देह पर उन्होंने भस्म रमा रखी है जो परम वैराग्य का प्रतीक है| कामदेव को भस्म कर उसकी राख उन्होंने स्वयं की देह पर रमा ली थी| वे सब कामनाओं से परे हैं|
सारी सृष्टि का हलाहल उन्होंने स्वयं ग्रहण कर लिया है, किन्तु वे स्वयं अमृतमय हैं अतः वह हलाहल गले से नीचे ही नहीं उतर रहा, इस लिए वे नीलकंठ हैं|
उनके हाथों में त्रिशूल है जो त्रिगुणात्मक शक्तियों का प्रतीक है| वे तीनों गुणों के स्वामी हैं|
बैल, धर्म का प्रतीक है जिस पर वे सवारी करते हैं| वे जहाँ भी जाते हैं, धर्म वहीं स्थापित हो जाता है|
उनके सिर से गंगा जी बहती है, जो ज्ञान की प्रतीक है| वे निरंतर ज्ञान को प्रवाहित कर रहे हैं|
जिनका सृष्टि में कोई नहीं है, सब जिन से दूर रहना चाहते हैं, उन भूत-प्रेतों को भी उन्होंने अपने गणों में सम्मिलित कर रखा है, अर्थात वे सब के आराध्य हैं|
वे डमरू बजाते हैं जो अनाहत नाद का प्रतीक है, जिस से सभी स्वरों और सृष्टि की रचना हुई है|
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उन के माथे पर चन्द्रमा है जो कूटस्थ ज्योति का प्रतीक है| योगी लोग कूटस्थ ज्योति का ध्यान करते हैं जो आज्ञाचक्र और सहस्त्रार के मध्य में ध्यान के समय निरंतर दिखाई देती है| ध्यान में उस कूटस्थ ज्योति का दर्शन करते हुए और साथ साथ कूटस्थ नाद-ब्रह्म को निरंतर सुनते सुनते जिस चेतना में हमारी स्थिति हो जाती है वह "कूटस्थ चैतन्य" कहलाती है| वह ज्योति पहिले एक स्वर्णिम आभा के रूप में दिखाई देती है, फिर उसमें एक नीला वर्ण दिखाई देता है, जिसके मध्य में एक विराट सफ़ेद प्रकाश होता है| धीरे धीरे उस श्वेत प्रकाश के मध्य में एक अत्यंत चमकीले पञ्च कोणीय श्वेत नक्षत्र के दर्शन होते हैं जो पञ्चमुखी महादेव का प्रतीक है| योगिगण उस पञ्चमुखी महादेव का ही ध्यान करते हैं|
उस कूटस्थ चैतन्य में स्थिति ही भगवान चंद्रशेखर में आश्रय लेना है| जिसने भगवान चंद्रशेखर में आश्रय ले लिया, यमराज उसका कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता क्योंकि वह भक्त तो पहिले ही जीवनमुक्त हो चुका होता है| यही "चंद्रशेखर" शब्द का आध्यात्मिक अर्थ है जो मुझे मेरी अति अल्प और सीमित तुच्छ बुद्धि से समझ में आया है| मेरे समझने में कोई भूल हुई हो तो मैं आप सब मनीषियों से क्षमा प्रार्थना करता हूँ|
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ॐ तत्सत ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१६ अप्रेल २०१८
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सप्त कल्पान्तजीवी ऋषि मार्कंडेय अमर हैं और वे नर्मदा नदी के उद्गम पर सदा विराजते हैं| वे नर्मदा के द्वारपाल हैं जिनकी कृपा और आशीर्वाद से ही नर्मदा परिक्रमा सफल होती है|

क्या सत्य की सदा विजय होती है ?

कहते हैं कि सत्य की सदा विजय होती है| यह बात सत्ययुग के लिए ही सही होगी| इस युग में तो असत्य ही सत्य पर हावी है और विजय असत्य की ही हो रही है|
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"सत्यमेव जयते" (संस्कृत विस्तृत रूप : सत्यं एव जयते) भारत का राष्ट्रीय आदर्श वाक्य है| इसका अर्थ है : सत्य ही जीतता है / सत्य की ही जीत होती है| यह भारत के राष्ट्रीय प्रतीक के नीचे देवनागरी लिपि में अंकित है| यह प्रतीक वाराणसी के निकट सारनाथ में २५० ई.पू. में सम्राट अशोक द्वारा बनवाये गए सिंह स्तम्भ के शिखर से लिया गया है, लेकिन उसमें यह आदर्श वाक्य नहीं है| "सत्यमेव जयते" मूलतः मुण्डक-उपनिषद का सर्वज्ञात मंत्र है| पूर्ण मंत्र इस प्रकार है:---
"सत्यमेव जयते नानृतम सत्येन पंथा विततो देवयानः|
येनाक्रमंत्यृषयो ह्याप्तकामो यत्र तत् सत्यस्य परमम् निधानम् ||
अर्थात अंततः सत्य की ही जय होती है न कि असत्य की। यही वह मार्ग है जिससे होकर आप्तकाम (जिनकी कामनाएं पूर्ण हो चुकी हों) मानव जीवन के चरम लक्ष्य को प्राप्त करते हैं|
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'सत्यमेव जयते' को राष्ट्रपटल पर लाने और उसका प्रचार करने में मदन मोहन मालवीय (विशेषतः कांग्रेस के सभापति के रूप में उनके द्वितीय कार्यकाल (१९१८) में) की महत्वपूर्ण भूमिका रही|
चेक गणराज्य और इसके पूर्ववर्ती चेकोस्लोवाकिया का आदर्श वाक्य "प्रावदा वीत्येज़ी" ("सत्य जीतता है") का भी समान अर्थ है|

कहते हैं मनुष्य को घमंड नहीं करना चाहिए .....

कहते हैं मनुष्य को घमंड नहीं करना चाहिए .....
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बड़े बड़े सुलतान जिनके नाम से दुनिया काँपती थीं, उनकी सल्तनतें मिटटी में मिल गईं और उनके वारिसों को अपना सब कुछ छोड़ कर भागना पड़ा| बात कर रहा हूँ सल्तनत-ए-उस्मानिया (Ottoman Empire) यानि खिलाफत-ए-उस्मानिया की जिसकी स्थापना उस्मान गाज़ी ने २७ जुलाई १२९९ को की थी और जिसका पतन नवम्बर १९२२ में हो गया| सत्ता में आखिरी सुलतान खलीफा-ए-इस्लाम महमद-VI को अपने महल के पिछवाड़े से निकल कर इटली भागना पड़ा|
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महल से भागते हुए सुलतान की फोटो इस लेख में दिए लिंक को दबाने से आ जायेगी| कमेन्ट बॉक्स में सल्तनत के नक़्शे की लिंक भी दी हुई है, जो दिखाता है कि यह कितनी बड़ी सल्तनत थी| खलीफा-ए-इस्लाम महमद-VI के उत्तराधिकारी अब्दुल मजीद (१९२२-२४) को तो अपने वतन की हवा भी नसीब नहीं हुई| वह १९२४ में फ़्रांस में निर्वासित जीवन जीते हुए ही मर गया|
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भारत में महात्मा गाँधी ने खलीफा-ए-इस्लाम को बापस गद्दी पर बैठाने के लिए खिलाफत आन्दोलन चलाया पर मुस्तफा कमाल पाशा ने महात्मा गाँधी को कोई भाव नहीं दिया| गाँधी के खिलाफत आन्दोलन ने भारत का बहुत अधिक अहित किया| केरल में लाखों हिन्दुओं की हत्याएँ हुईं और पकिस्तान की नींव पडी| पकिस्तान के राष्ट्रपिता वास्तव में महात्मा गाँधी ही घोषित होने चाहिए थे| पाकिस्तान बनाने में बहुत बड़ा योगदान तो महात्मा गाँधी और जवाहर लाल नेहरु का था, मोहम्मद अली जिन्ना से भी अधिक|
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खिलाफत-ए-उस्मानिया से पहले खिलाफत-ए अब्बासिया थी जिसका पतन भी अत्यधिक हिंसा से हुआ| १२५८ में खिलाफत-ए-अब्बासिया का तातारियों के हाथों कत्ल-ए-आम के साथ खातमा हुआ| अंतिम अब्बासी खलीफा-ए-ईस्लाम मुस्तअसिम बिल्लाह को जानवर की खाल में लपेट कर घोडे दौड़ा कर कुचल दिया गया था|
"है अयां फितना ए तातार के अफसाने से ! पासबां मिल गए काबे को सनम खाने से" !!
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कहते हैं बाद में यही तातारी कौम मुसलमान हो गई और तुर्क नस्ल के नाम से मशहूर हुई| आगे का इतिहास बहुत लंबा है जो इतिहास के विद्यार्थियों के लिए है| अभी तो इतना ही|
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सभी को साभार धन्यवाद और नमन| ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१६ अप्रेल २०१८

Mehmed VI, the last sultan of the Ottoman Empire and caliph of Islam, leaves from a backdoor of the Dolmabahçe Palace in Istanbul, November 1922.
https://images.google.co.in/imgres…

जम्मू-कश्मीर पर भारत सरकार की नीति कुछ समझ में नहीं आ रही है ....


जम्मू-कश्मीर पर भारत सरकार की नीति कुछ समझ में नहीं आ रही है|
ऐसे ही सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में अध्यादेश क्या आत्मघाती नहीं होगा? फैसले में क्या गलत है?
धारा ३७० व ३५-ऐ की समाप्ति, समान नागरिक संहिता, राम मंदिर का निर्माण और रोहिंगिया बापसी का काम, क्या अगले जन्म में होगा?
कुछ समझ में नहीं आ रहा है|
क्या तिल तिल कर मरने की बजाय लोग एक साथ कोंग्रेस को वोट देकर आत्म-ह्त्या करना पसंद नहीं करेंगे?
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कहीं श्री नरेन्द्र मोदी, ..... राहुल गांधी और कांग्रेस की आक्रामकता से डर तो नहीं गए हैं? कहीं उनका विश्वास अपने स्वयं के लोगों से ही डगमगा तो नहीं गया है? क्या केंद्र में भाजपा की सरकार २०१९ तक टिक पायेगी? बीच में ही क्या पता अविश्वास प्रस्ताव और गुप्त मतदान द्वारा गिरा दी जाए| हो सकता है भाजपा के सांसदों को कोंग्रेस ने खरीद ही लिया हो| आज के जमाने में किसी का भरोसा नहीं है| क्या पता मोदी जी को इस बात का पता चल गया हो और वे अन्दर ही अन्दर से डर गए हों|
सोनिया गाँधी अपना पूरा धन २०१९ के चुनावों में राहुल को प्रधान मंत्री बनाने में लगा देगी| राहुल गाँधी का चीनी राजदूत से मिलना क्या सन्देश देता है? क्या पता कोंग्रेस ने अपना धन चीन में ही रखवा दिया हो|
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भारत की समाचार मीडिया राहुल गाँधी के पक्ष में है| सारे वरिष्ठ सरकारी अधिकारी कोंग्रेस के समय से ही नियुक्त और कोंग्रेस के वफादार हैं| भाजपा के स्वयं के ही बहुत सारे भ्रष्ट लोग मोदी से नाराज हैं| अकेला मोदी क्या कर लेगा ? मायावती का और कोंग्रेस का वोट बैंक कभी भी नरेन्द्र मोदी को वोट नहीं देगा| मोदी जी उनका तुष्टिकरण कर के अपने परम्परागत वोट बैंक को नाराज कर के दूर खिसका रहे हैं| अतः भारत का राजनीतिक भविष्य मुझे तो अंधकारमय लग रहा है| भगवान करे ऐसा न हो|

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मोदी, लोकतंत्र, वोटबैंक, के संवैधानिक मकड़ी के जाले में फँस चुके हैं। इतिहास में लोग पढ़ेंगे rise and fall of Narendra Modi, who became hero to zero., Just within five years. ज्यादा संभावना तो यही दिखाई दे रही है। उनके सलाहकारों का समूह उन्हें घेर कर SC/ST/OBC/अल्पसंख्यक तुष्टिकरण के भँवर में ले जा रहे हैं।
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जनता ने सुशासन और भ्रष्टाचार मिटाने के वायदे पर स्पष्ट बहुमत दिया था। राजस्थान में जिस तरह से भ्रष्टाचार को मोदी सरकार ने अभयदान दिया है इससे राजस्थान की जनता का भाजपा से मोह भंग हो चुका है।
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(General Knowledge) क्या भाजपा के किसी भी नेता को पता है कि .....
(१) डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी कौन थे जिन्होनें कश्मीर में भारत के विलय के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे? क्या देश में कहीं उनके नाम पर कोई स्मारक या संस्था है? क्या उनकी ह्त्या हुई थी? देश के पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी का उनके साथ क्या सम्बन्ध था?
(२) वर्त्तमान भाजपा किस पूर्व राजनीतिक दल का एक रूपान्तरण मात्र है? क्या उस दल का नाम भारतीय जनसंघ था? उसकी स्थापना किसने की थी?
(३) पं.दीनदयाल उपाध्याय कौन थे ?
उपरोक्त प्रश्न पूछने के लिए इस लिए बाध्य हुआ हूँ क्योंकि मैनें कुछ भाजपा नेताओं को आपस में एक दूसरे से पूछते हुए सुना है कि यह दीनदयाल उपाध्याय कौन हैं? आजकल भाजपा के सभी नेता बाबा साहब अम्बेडकर के नाम की माला फेरते हैं, पहले बापू के नाम की फेरते थे| भाजपा के नए नेताओं को तो पता ही नहीं है कि डॉ.श्यामा प्रसाद मुख़र्जी कौन थे|
क्या जम्मू के हिन्दू भारतीय नहीं हैं? उनके साथ अब अत्याचार क्यों हो रहे हैं?

सिद्धि स्वयं के प्रयासों से नहीं, भगवत कृपा से मिलती है .....

मुझे वर्षों पहिले साक्षात शिवस्वरूप एक सिद्ध संत ने कहा था कि एक एकांत कमरे की व्यवस्था कर लो और सब तरह के प्रपंचों से दूर रहते हुए निरंतर 'शिव" का मानसिक जप और ध्यान करते रहो| उन्होंने यह भी कहा कि इधर-उधर की भागदौड़ करने की अब कोई आवश्यकता नहीं है| शिव का ध्यान करते करते तुम्हारी चेतना शिवमय हो जाएगी, और तुम शीघ्र ही जीवन-मुक्त हो जाओगे|
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पर मैं अपनी मानसिक कमजोरियों के कारण दुनियाँ के प्रपंचों से तो कभी दूर नहीं हो पाया| पर भगवान भी कृपा करते हैं जिस से अब तो दुनियाँ ही अपने प्रपंचों से दूर होने को मुझे बाध्य कर रही है| भगवान ने भी परम कृपा कर के अंतर्दृष्टि के दोषों को कम किया है, जिस से चेतना में और अधिक स्पष्टता आई है|
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एक बात तो निश्चित तौर से कह सकता हूँ कि किसी भी साधना में सिद्धि स्वयं के प्रयासों से नहीं, भगवत कृपा से ही मिलती है| प्रयास तो करते रहना चाहिए, पर यह परमात्मा की मर्जी है कि वे कब सफलता दें| इसी लिए बिना किसी शर्त के साधना करने का आदेश दिया जाता है| यह एक परीक्षा है जिस में उतीर्ण होना ही होता है| जहाँ थोड़ी सी भी अपेक्षा की वहीं अनुतीर्ण हो गए|
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और भी कई बाते हैं जिनका सार्वजनिक उल्लेख वर्जित है| परमात्मा के सर्वश्रेष्ठ साकार रूप आप सब को शुभ कामनाएँ और नमन ! ॐ तत्सत ! ॐ ॐ ॐ !!
१३ अप्रेल २०१८

जम्मू-कश्मीर की समस्या एक धार्मिक समस्या है, राजनीतिक नहीं .....

जम्मू-कश्मीर की समस्या एक धार्मिक समस्या है, राजनीतिक नहीं .....
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भारत की वर्तमान राजनीतिक व्यवस्था में कश्मीर की समस्या का कोई हल नहीं है| इस के लिए अति सफल कूटनीति और दृढ़ इच्छा शक्ति की आवश्यकता है| यह कोई राजनीतिक समस्या नहीं है, बल्कि धार्मिक समस्या है| जम्मू-कश्मीर में पुलिस भी थी, सेना भी थी, न्यायालय भी था, सरकार भी थी, दिल्ली में केंद्र सरकार भी थी, माननीय सुप्रीम कोर्ट भी थी, और समाचार मीडिया भी थी, फिर भी रातों-रात लाखों हिन्दुओं को मार-काट कर वहाँ से भगा दिया गया, उनकी महिलाओं की अत्यधिक दुर्गति की गयी और अनगिनत हत्याएँ हुईं| किसी भी वैधानिक संस्था ने उनकी कोई सहायता नहीं की| उपरोक्त सब वैधानिक संस्थाएँ पूर्ण रूप से विफल रहीं| आज तक कश्मीरी हिन्दू विस्थापितों को उनकी भूमि बापस नहीं दिलाई गयी| किसी भी जिम्मेदार अपराधी को आज तक कोई सजा नहीं मिली है| अब लगता है जम्मू को भी हिन्दू-विहीन करने का षडयंत्र हो रहा है| केंद्र सरकार की निष्क्रियता गलत सन्देश दे रही है| यह अक्षम्य अपराध है|
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पूरा कश्मीर पकिस्तान को दे दो तो भी वह संतुष्ट नहीं होगा| उसका असली लक्ष्य तो पूरे भारत को पकिस्तान बनाना है| कश्मीर को एक स्वतंत्र देश बना दो यह भी कोई स्थायी समाधान नहीं है| पाकिस्तान सैन्य आक्रमण कर के चीन की सहायता से उस पर अधिकार कर लेगा| कश्मीर घाटी में सुन्नी मुसलमान अधिक हैं, वे पाकिस्तान में मिलना चाहते हैं| बाकी कश्मीर में शिया मुसलमान अधिक हैं जो भारत के साथ रहना चाहते हैं| जम्मू में हिदू बहुमत है, लद्दाख में बौद्ध बहुमत है जो भारत के साथ रहना चाहते हैं| असली समस्या कश्मीर घाटी में है| पाक अधिकृत कश्मीर में विशेषकर बाल्टीस्तान और गिलगिट में शिया बहुमत है जो पकिस्तान का साथ नहीं चाहते| पर फौजी ताकत से दबाकर उन्हें रखा गया है| पूर्व तानाशाह जिया-उल-हक ने पाक अधिकृत कश्मीर का जनसांख्यिकी परिवर्तन करने के लिए लाखों सुन्नियों को कश्मीर में बसाया ताकि शियाओं को दबा कर रखा जा सके| जब तक पकिस्तान का अस्तित्व है तब तक कश्मीर में कोई शांति नहीं हो सकती|
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कश्मीर की समस्या का एक मात्र हल है ....... अंतर्राष्ट्रीय कूटनीतिक और सैन्य सहयोग से पकिस्तान को चार टुकड़ों में बाँट दिया जाए| बलूचिस्तान, सिंध और कबायली इलाकों सहित पख्तूनख्वा को .... पंजाब से पृथक कर दिया जाए| पूरा पकिस्तान सिर्फ पाकिस्तानी पंजाब तक ही सीमित रह जाए| इसके लिए हमें अमेरिका, रूस, इजराइल, फ़्रांस और ईरान जैसे देशों से पूर्ण सक्रीय सहयोग भी लेना पड़ेगा| चीन को भी एक बार तो मनाना ही होगा| पकिस्तान का अस्तित्व विश्व शांति के लिए खतरा है| पकिस्तान को नष्ट किये बिना विश्व में सुख-शांति नहीं हो सकती| भारत के हित में पाकिस्तान को विखंडित करना अति आवश्यक है|
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उस से पूर्व जम्मू-कश्मीर राज्य को तीन भागों में विभाजित किया जाय| जम्मू एक अलग राज्य हो, लेह-लद्दाख मिलाकर एक अलग राज्य हो और कश्मीर एक अलग राज्य हो| भविष्य में पकिस्तान अधिकृत कश्मीर भी वर्तमान कश्मीर का ही भाग हो| पकिस्तान अधिकृत कश्मीर पर अधिकार लेने के लिए अमेरिका का सहयोग आवश्यक होगा क्योंकि गिलगिट में एक बहुत बड़ा अमेरिकी सैनिक अड्डा है|
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ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ ||
१७ अप्रेल २०१७
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