Tuesday 17 April 2018

जिम्मेदारी उन्हीं की है, हमारी नहीं .....

जिम्मेदारी उन्हीं की है, हमारी नहीं .....
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यदि न चाहते हुए भी हम भगवान से दूर हो जाएँ तो क्या करें ?
राग, द्वेष, अहंकार, लोभ और प्रमाद के वशीभूत होकर, न चाहते हुए भी हम भगवान से दूर जा कर किसी गहरी खाई में गिर जाते हैं| ऐसी स्थिति में हमें क्या करना चाहिए?
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यह प्रश्न मेरे मन में अनेक बार आया है| गीता में अर्जुन ने भी यह प्रश्न भगवान से एक बार किया है और भगवान ने उसका उत्तर भी दिया है| पर कोई भी बौद्धिक उत्तर संतुष्ट नहीं करता| एक बालक को कोई शिकायत या समस्या है तो वह अपने माँ-बाप से ही अपनी समस्या का निदान करा सकता है| हम भी इस समस्या का निदान करने में असफल रहे हैं और इसका स्थायी निदान प्रत्यक्ष परमात्मा से ही चाहते हैं, किसी अन्य से नहीं| कोई बालक बिस्तर में मल-मूत्र कर गन्दगी में भर जाता है तो वह स्वयं तो उज्जवल हो नहीं सकता| वैसे ही निज प्रयास कोई काम नहीं आते|
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भगवान को हस्तक्षेप करना ही पड़ेगा| कब तक हम अपना हाथ उनके हाथ में थमाते रहेंगे? कब तक उनसे सहायता माँगते रहेंगे? समस्या का स्थायी निदान हमें इसी समय चाहिए| बाकि उनकी मर्जी, वे जैसा चाहे वैसा करें| जिम्मेदारी उन्हीं की है, हमारी नहीं| हमने तो कहा नहीं था कि हमारे लिए ये समस्याएँ उत्पन्न करो| जब तुम ने कर ही दी हैं तो उनसे मुक्त करने की जिम्मेदारी भी तुम्हारी ही है|
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ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
१७ अप्रेल २०१८

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