Tuesday, 17 April 2018

क्या सत्य की सदा विजय होती है ?

कहते हैं कि सत्य की सदा विजय होती है| यह बात सत्ययुग के लिए ही सही होगी| इस युग में तो असत्य ही सत्य पर हावी है और विजय असत्य की ही हो रही है|
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"सत्यमेव जयते" (संस्कृत विस्तृत रूप : सत्यं एव जयते) भारत का राष्ट्रीय आदर्श वाक्य है| इसका अर्थ है : सत्य ही जीतता है / सत्य की ही जीत होती है| यह भारत के राष्ट्रीय प्रतीक के नीचे देवनागरी लिपि में अंकित है| यह प्रतीक वाराणसी के निकट सारनाथ में २५० ई.पू. में सम्राट अशोक द्वारा बनवाये गए सिंह स्तम्भ के शिखर से लिया गया है, लेकिन उसमें यह आदर्श वाक्य नहीं है| "सत्यमेव जयते" मूलतः मुण्डक-उपनिषद का सर्वज्ञात मंत्र है| पूर्ण मंत्र इस प्रकार है:---
"सत्यमेव जयते नानृतम सत्येन पंथा विततो देवयानः|
येनाक्रमंत्यृषयो ह्याप्तकामो यत्र तत् सत्यस्य परमम् निधानम् ||
अर्थात अंततः सत्य की ही जय होती है न कि असत्य की। यही वह मार्ग है जिससे होकर आप्तकाम (जिनकी कामनाएं पूर्ण हो चुकी हों) मानव जीवन के चरम लक्ष्य को प्राप्त करते हैं|
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'सत्यमेव जयते' को राष्ट्रपटल पर लाने और उसका प्रचार करने में मदन मोहन मालवीय (विशेषतः कांग्रेस के सभापति के रूप में उनके द्वितीय कार्यकाल (१९१८) में) की महत्वपूर्ण भूमिका रही|
चेक गणराज्य और इसके पूर्ववर्ती चेकोस्लोवाकिया का आदर्श वाक्य "प्रावदा वीत्येज़ी" ("सत्य जीतता है") का भी समान अर्थ है|

1 comment:

  1. बृहदारण्यक उपनिषद् में एक प्रार्थना उन लोगों की लिए है जो निरंतर अन्धकार और अज्ञान में हैं, पर स्वयं को प्रकाश में होने का भ्रम रखते हैं .....

    "ॐ असतो मा सद्गमय| तमसो मा ज्योतिर्गमय| मृत्योर्माऽमृतं गमय| ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:||"

    ये लोग आजकल की मान्यता के अनुसार अति उच्च शिक्षित, धर्मनिरपेक्ष, और मानवतावादी हैं| उनको पता है कि वे शुन्य हैं पर स्वयं को वे अत्यधिक बुद्धिमान और मानवता का ध्वजवाहक बताते हैं| ये तथाकथित सेकुलर वामपंथी लोग उन पशुओं की तरह हैं जो कसाई द्वारा स्वयं की ह्त्या करवाने की प्रार्थना कर रहे हैं| भगवान इनको सदबुद्धि दे|

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