शक्तिशाली की ही पूजा होती है .....
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हम शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक और आर्थिक हर दृष्टी से संसार में शक्तिशाली बनें, तभी हम सम्मान से रह सकते हैं| कमजोर व्यक्ति को सदा और भी अधिक कमजोर बना कर उसका दमन और शोषण किया जाता है| भारत में आये सभी विदेशी आक्रमणकारियों ने भारतीयों को और भी अधिक बलहीन और सामर्थ्यहीन बनाने का कार्य किया| अभी भी हम उबरे नहीं हैं|
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हम स्वयं शक्तिशाली हों, हमारा समाज शक्तिशाली हो और हमारा राष्ट्र भी शक्तिशाली हो| हमारी साधना भी शक्ति की हो| भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के विफल रहने का मुख्य कारण यह था कि किसी भी भारतीय राजा के पास इतना सामर्थ्य नहीं था कि वे अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोही सैनिकों को दो समय का भोजन करा सकें और उन्हें अस्त्र-शस्त्र प्रदान कर सकें|
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रक्षात्मक युद्ध सदा हारे जाते हैं| भारत पर आये विदेशी आक्रान्ताओं ने लूट-खसोट, वीभत्स नरसंहार और अत्याचारों से ही पैसा जुटाया| अँगरेज़ भारत छोड़कर इसी लिए भागे क्योंकि द्वितीय विश्वयुद्ध ने उनको शक्तिहीन बना दिया था और भारतीय सैनिकों ने उनके आदेश मानने से मना कर दिया था| विजयी हम तभी हो सकते हैं, जब हम रक्षात्मक न होकर आक्रामक हों, और पूरी क्षमता से संपन्न हों| हमारे में इतना सामर्थ्य हो कि हम शत्रु के घर में घुस कर उसका संहार कर सकें| भारत ने शताब्दियों के बाद पहली बार यह साहस जुटाया है| इसके लिए मैं भारत के वर्त्तमान नेतृत्व को साधुवाद देता हूँ|
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ॐ तत्सत् !
१२ मार्च २०१९
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हम शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक और आर्थिक हर दृष्टी से संसार में शक्तिशाली बनें, तभी हम सम्मान से रह सकते हैं| कमजोर व्यक्ति को सदा और भी अधिक कमजोर बना कर उसका दमन और शोषण किया जाता है| भारत में आये सभी विदेशी आक्रमणकारियों ने भारतीयों को और भी अधिक बलहीन और सामर्थ्यहीन बनाने का कार्य किया| अभी भी हम उबरे नहीं हैं|
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हम स्वयं शक्तिशाली हों, हमारा समाज शक्तिशाली हो और हमारा राष्ट्र भी शक्तिशाली हो| हमारी साधना भी शक्ति की हो| भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के विफल रहने का मुख्य कारण यह था कि किसी भी भारतीय राजा के पास इतना सामर्थ्य नहीं था कि वे अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोही सैनिकों को दो समय का भोजन करा सकें और उन्हें अस्त्र-शस्त्र प्रदान कर सकें|
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रक्षात्मक युद्ध सदा हारे जाते हैं| भारत पर आये विदेशी आक्रान्ताओं ने लूट-खसोट, वीभत्स नरसंहार और अत्याचारों से ही पैसा जुटाया| अँगरेज़ भारत छोड़कर इसी लिए भागे क्योंकि द्वितीय विश्वयुद्ध ने उनको शक्तिहीन बना दिया था और भारतीय सैनिकों ने उनके आदेश मानने से मना कर दिया था| विजयी हम तभी हो सकते हैं, जब हम रक्षात्मक न होकर आक्रामक हों, और पूरी क्षमता से संपन्न हों| हमारे में इतना सामर्थ्य हो कि हम शत्रु के घर में घुस कर उसका संहार कर सकें| भारत ने शताब्दियों के बाद पहली बार यह साहस जुटाया है| इसके लिए मैं भारत के वर्त्तमान नेतृत्व को साधुवाद देता हूँ|
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ॐ तत्सत् !
१२ मार्च २०१९