Tuesday 31 August 2021

भक्ति और आस्था के संगम --

 

भक्ति और आस्था के संगम --
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(१) राजस्थान के झुंझुनूं जिले के लोहार्गल तीर्थक्षेत्र में प्रति वर्ष गोगा-नवमी से भाद्रपद अमावस्या तक अरावली पर्वत माला की हरी-भरी उपत्यकाओं में वैष्णव खाकी अखाड़े के साधू-संतों के नेतृत्व में ठाकुर जी की पालकी के साथ-साथ निकलने वाली मालकेतु पर्वत (ढाई हजार फीट ऊँचा) की ७ दिवसीय, २४ कोसीय परिक्रमा पिछले वर्ष की भाँति इस वर्ष भी कोरोना महामारी के कारण नहीं निकल रही है।
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मालकेतु पर्वत को साक्षात विष्णु का रूप माना जाता है। इस पर्वत के चारों ओर परिक्रमा पथ पर ७ स्थानों से जलधाराएँ निकलती हैं, जिन के दर्शन, और उन के विशाल कुंडों में स्नान लाखों श्रद्धालु भक्त करते हैं। भगवान विष्णु को इस पर्वत के रूप में पूजा जाता है। परिक्रमा में आगे आगे वैष्णव साधु पालकी में ठाकुर जी को लेकर चलते हैं, और पीछे पीछे भजन-कीर्तन करते हुए उनके लाखों भक्त चलते हैं। यह पूरे राजस्थान में होने वाली सबसे बड़ी परिक्रमा है। इस यात्रा में धरती बिछौना होता है और आसमान छत होती है। भाद्रपद अमावस्या के दिन लोहार्गल में बहुत अधिक श्रद्धालु एकत्र हो जाते हैं, जो सूर्यकुंड में स्नान कर अपने अपने घरों को बापस चले जाते हैं। महाभारत युद्ध के पश्चात् इसी दिन पांडवों ने जब यहाँ सूर्यकुंड में स्नान किया तो भीम की लोहे की गदा गल गयी थी, जिससे इस तीर्थ का नाम लोहार्गल पड़ा। अरावली पर्वत माला की घाटियों में यह यात्रा अति मनोरम होती है। अनेक स्वयंसेवी संस्थाएँ पदयात्रियों की हर सुविधा का ध्यान रखती हैं। वर्षा ऋतु में इस क्षेत्र की अरावली के पहाड़ हरे-भरे हो जाते हैं, लेकिन मार्ग पथरीला और कंटकाकीर्ण रहता है। मालकेत बाबा का मंदिर पहाड़ की थोड़ी ही ऊंचाई पर लोहार्गल तीर्थ में स्थित है।
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(२) भाद्रपद अमावस्या पर झुंझुनूं के विश्व प्रसिद्ध श्रीराणीसती जी मन्दिर सहित जिले के सभी सती मंदिरों की वार्षिक पूजा होती है, जो पिछले वर्ष की भाँति इस वर्ष भी स्थगित है। इन पूजाओं में पूरे विश्व से लाखों श्रद्धालु आते हैं।
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(३) राजस्थान के भादरा तहसील के अंतर्गत आने वाले गांव गोगामेड़ी में रक्षाबंधन के दिन से ही पूरे एक माह तक आयोजित होने वाला मेला भी पिछले वर्ष की भाँति इस वर्ष भी स्थगित है। गोगा-नवमी के दिन तो यह चरम पर होता है। इस मेले में भी लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
उपरोक्त तीनों मेले भक्ति और आस्था के संगम होते हैं।
 
३१ अगस्त २०२१