सभी समस्याओं का समाधान और सभी प्रश्नों का उत्तर :---
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इसी क्षण मेरे पास सभी समस्याओं का समाधान भी है, और सभी प्रश्नों का उत्तर भी है| पर यह मेरा विशेषाधिकार है कि मैं उसे व्यक्त करूं या नहीं| यहाँ मैं मेरे अनुभव साझा कर रहा हूँ| जिस स्तर पर मेरी सोच है, उत्तर भी उसी स्तर पर होगा| मैं अपना स्तर नीचे नहीं कर सकता| कोई नहीं समझे तो यह उसकी समस्या है|
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सभी समस्याएँ और उनका समाधान :---
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हमारी एक ही समस्या है और उसका समाधान भी एक ही है| हमारी प्रथम, अंतिम और एकमात्र समस्या है ..... "परमात्मा से पृथकता", अन्य कोई समस्या नहीं है|
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इसी क्षण मेरे पास सभी समस्याओं का समाधान भी है, और सभी प्रश्नों का उत्तर भी है| पर यह मेरा विशेषाधिकार है कि मैं उसे व्यक्त करूं या नहीं| यहाँ मैं मेरे अनुभव साझा कर रहा हूँ| जिस स्तर पर मेरी सोच है, उत्तर भी उसी स्तर पर होगा| मैं अपना स्तर नीचे नहीं कर सकता| कोई नहीं समझे तो यह उसकी समस्या है|
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सभी समस्याएँ और उनका समाधान :---
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हमारी एक ही समस्या है और उसका समाधान भी एक ही है| हमारी प्रथम, अंतिम और एकमात्र समस्या है ..... "परमात्मा से पृथकता", अन्य कोई समस्या नहीं है|
इस समस्या का एक ही समाधान है .... "परमात्मा से परम प्रेम, परम प्रेम व
परम प्रेम, और परमात्मा को पूर्ण समर्पण"| अन्य कोई समाधान नहीं है|
यह सृष्टि परमात्मा की रचना है, अतः सारी समस्याएँ उसी की हैं, हमारी नहीं| हमारी एकमात्र समस्या है कि हम परमात्मा को कैसे प्राप्त हों|
कुतर्कों द्वारा स्वयं को ठगें नहीं, कुतर्क बहुत है और कुतर्क भी भी वे ही लोग करते हैं जो स्वयं को परमात्मा का होना बताते हैं| अतः प्रत्यक्ष परमात्मा से ही प्रश्न कीजिये, उत्तर अवश्य मिलेगा|
इधर-उधर भटकने की कोई आवश्यकता नहीं है| अपने मन को शांत करें, अपनी चेतना को भ्रूमध्य या उस से ऊपर रखें और अपने हृदय के पूर्ण प्रेम के साथ परमात्मा का निरंतर स्मरण करें| जगन्माता के रूप में परमात्मा की कृपा अवश्य होगी| फिर कोई समस्या नहीं रहेगी|
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सारे प्रश्न और उनका उत्तर :----
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सारे प्रश्नों का जन्म हमारे व्याकुल, अशांत व सीमित मन के कारण होता है| हमारा सीमित व अशांत मन ही सारे प्रश्नों का जनक है| जिस क्षण हमारा मन शांत होगा, उसकी सीमाएँ टूटेंगी, उसी क्षण हमारे सारे प्रश्न भी तिरोहित हो जायेंगे|
किसी शांत स्थान पर शांत होकर बैठो, परमात्मा से प्रार्थना करो और परमात्मा का ध्यान करो| परमात्मा से प्रेम होगा तो सारे प्रश्नों का उत्तर भी वे स्वयं ही दे देंगे|
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और मेरे पास कहने को कुछ भी नहीं है|
ॐ तत्सत् ! ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१८ दिसंबर २०१८
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पुनश्चः :---- गीता जयंती की शुभ कामनाएँ !
यह सृष्टि परमात्मा की रचना है, अतः सारी समस्याएँ उसी की हैं, हमारी नहीं| हमारी एकमात्र समस्या है कि हम परमात्मा को कैसे प्राप्त हों|
कुतर्कों द्वारा स्वयं को ठगें नहीं, कुतर्क बहुत है और कुतर्क भी भी वे ही लोग करते हैं जो स्वयं को परमात्मा का होना बताते हैं| अतः प्रत्यक्ष परमात्मा से ही प्रश्न कीजिये, उत्तर अवश्य मिलेगा|
इधर-उधर भटकने की कोई आवश्यकता नहीं है| अपने मन को शांत करें, अपनी चेतना को भ्रूमध्य या उस से ऊपर रखें और अपने हृदय के पूर्ण प्रेम के साथ परमात्मा का निरंतर स्मरण करें| जगन्माता के रूप में परमात्मा की कृपा अवश्य होगी| फिर कोई समस्या नहीं रहेगी|
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सारे प्रश्न और उनका उत्तर :----
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सारे प्रश्नों का जन्म हमारे व्याकुल, अशांत व सीमित मन के कारण होता है| हमारा सीमित व अशांत मन ही सारे प्रश्नों का जनक है| जिस क्षण हमारा मन शांत होगा, उसकी सीमाएँ टूटेंगी, उसी क्षण हमारे सारे प्रश्न भी तिरोहित हो जायेंगे|
किसी शांत स्थान पर शांत होकर बैठो, परमात्मा से प्रार्थना करो और परमात्मा का ध्यान करो| परमात्मा से प्रेम होगा तो सारे प्रश्नों का उत्तर भी वे स्वयं ही दे देंगे|
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और मेरे पास कहने को कुछ भी नहीं है|
ॐ तत्सत् ! ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१८ दिसंबर २०१८
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पुनश्चः :---- गीता जयंती की शुभ कामनाएँ !