Tuesday 18 December 2018

संक्षेप में, सुख और आनंद की खोज क्या है ? .....

संक्षेप में, सुख और आनंद की खोज क्या है ? .....
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वैशेषिक दर्शन के आचार्य ऋषि कणाद के अनुसार चार प्रकार के अस्थायी सुख होते हैं .... (१) विषयभोगजन्य. (२) अभिमानजन्य. (३) मनोरथजन्य. (४) अभ्यासजन्य. उन्होंने इन्हें अस्थायी सुख बताया है|
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सुख की खोज वास्तव में अनजाने में आनंद की खोज है जिसे हम नहीं समझते| आनन्द .... परमात्मा की उपस्थिति का आभास है| "ख" का अर्थ आकाश तत्व है| जो आकाश तत्व यानि परमात्मा के समीप होने की अनुभूति कराता है वह सुख है| जो आकाश तत्व से दूर होने की अनुभूति कराता है वह दुःख है| ये दोनों ही अनुभूतियाँ अस्थायी और मन की अवस्थाएँ मात्र हैं| स्थायी तो सिर्फ आनंद है जिसका स्त्रोत परमप्रेम यानी भक्ति है| सार की बात यह है कि भगवान की अनन्य भक्ति और समर्पण से ही हमें आनंद प्राप्त हो सकता है| अन्य कोई स्त्रोत नहीं है|
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वेदान्त दर्शन के अनुसार जिस आनंद को हम अपने से बाहर खोज रहे हैं, वह आनंद तो हम स्वयं हैं| कृष्ण यजुर्वेद शाखा के तैत्तिरीयोपनिषद में एक पूरा अध्याय ही ब्रह्मानन्दवल्ली के नाम से है| सार की बात है कि आनंद कुछ पाना नहीं, बल्कि स्वयं का होना है| हम आनंद को कहीं से पा नहीं सकते, स्वयं आनंदमय हो सकते हैं| हमारा वास्तविक अस्तित्व ही आनंद है|
शान्तिपाठ :----
ॐ सह नाववतु। सह नौ भुनक्तु। सह वीर्यं करवावहै। तेजस्वि नावधीतमस्तु मा विद्विषावहै। ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥
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ॐ तत्सत् ! ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१७ दिसंबर २०१८

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