सारे सद्गुणों व ज्ञान के स्त्रोत परमात्मा हैं| हमारा प्रेम और समर्पण उन्हीं के प्रति हो| उन्हीं का हम ध्यान करें| पात्रतानुसार सारा मार्गदर्शन वे स्वयं करते हैं| परमात्मा से प्रेम -- सबसे बड़ा सद्गुण है जो सभी सद्गुणों को अपनी ओर आकर्षित करता है| अपने हृदय का पूर्ण प्रेम परमात्मा को दें| उन्हीं में सुख, शांति, समृद्धि, सुरक्षा, संतुष्टि, और तृप्ति है|
तारक मंत्र "राम" से अधिक सुंदर अन्य कोई दूसरा मंत्र नहीं है| "र" अग्नि का बीजमंत्र है, जो कर्म बंधनों का दाहक है| "अ" सूर्य का बीजमंत्र है, जो ज्ञान का प्रकाशक है| "म" चंद्रमा का बीजमंत्र है जो मन को शांत करता है|
शिव पूजा, -- गीता, सुंदरकांड, हनुमान चालीसा आदि का पाठ, -- जपयोग व भगवान का यथासंभव ध्यान, तो हरेक घर में नित्य होना ही चाहिए| जिनका उपनयन यानि यज्ञोपवीत संस्कार हो गया है, उन्हें गायत्री या सावित्री मंत्र का खूब जप करना चाहिए|
भारत की शासन व्यवस्था धर्मसम्मत व धर्मनिष्ठ हो| "सत्य सनातन धर्म" -- भारत की राजनीति हो|
परिस्थितियाँ अंधकारमय हैं, लेकिन मेरी पूर्ण आस्था परमशिव परमात्मा में है| उनकी शक्ति निश्चित रूप से भारत का उत्थान करेगी| असत्य का अंधकार दूर होगा|
आध्यात्मिक उपासना द्वारा भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाएँगे| भारत एक सनातन धर्मावलम्बी धर्मसम्मत धर्मनिष्ठ हिन्दू राष्ट्र होगा| भारत माँ अपने द्वीगुणित परमवैभव के साथ अखंडता के सिंहासन पर बिराजमान होगी| सनातन धर्म का प्रसार पूरे विश्व में होगा|
कृपा शंकर
१६ जनवरी २०२१