"चित्तवृत्तिनिरोध" क्या होता है?
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मनुष्य की निम्न प्रकृति और उच्च प्रकृति ..... दोनों जब विपरीतगामी होती हैं, तब बड़ी पीड़ादायक स्थिति उत्पन्न हो जाती है|आत्मा की अभीप्सा परमात्मा के लिए होती है, यह उच्च प्रकृति है जो परमात्मा की ओर खींचती है|
निम्न प्रकृति वासनाओं की ओर खींचती है| वासनायें चित्त का धर्म हैं| ये मनुष्य को परमात्मा से दूर ले जाती हैं|
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वासनाओं की ओर आकर्षण चित्त की स्वाभाविक वृत्ति है, जिस का निरोध कर उसे परमात्मा की ओर उन्मुख करने की साधना योगसाधना है| तभी इसे "चित्त वृत्ति निरोध:" कहते है|
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ॐ तत्सत् !! ॐ स्वस्ति !!
२५ जून २०२०