Friday, 29 October 2021

तुर्की और फ्रांस के मध्य का तनाव ---

 तुर्की और फ्रांस के मध्य में तनाव इस समय (अक्तूबर २०२०) अपने चरम पर है| उनमें युद्ध की भी संभावना है| तुर्की को पाकिस्तान के आणविक अस्त्रों पर भरोसा है| लेकिन राजनीति में कोई किसी का स्थायी शत्रु या मित्र नहीं होता| ईसाईयों व मुसलमानों के मध्य सात बार बड़े भयंकर धर्म-युद्ध हुए थे, जिनमें मुसलमानों का नेतृत्व तुर्की ने किया है और ईसाईयों का फ्रांस ने| क्रीमिया की लड़ाई में तुर्की और फ्रांस दोनों परम मित्र बन गए थे और मिल कर रूस के विरुद्ध युद्ध किया| प्रथम विश्व-युद्ध में दोनों फिर एक-दूसरे के परम शत्रु हो गए| फ्रांस और ब्रिटेन ने मिलकर तुर्की को हरा दिया था| फ्रांस ने अंतिम खलीफा अब्दुल मजीद को अपने यहाँ राजनीतिक शरण भी दी थी| अब दोनों देश फिर एक-दूसरे के विरुद्ध खड़े हो गए हैं| तुर्की के पक्ष में सारा मुस्लिम विश्व खड़ा हो गया है, तो फ्रांस के पक्ष में यूरोप के अनेक देश| तुर्की और जर्मनी सदा से ही परम मित्र रहे हैं, पर अब स्थिति पलट रही है|

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भारत की रुचि एक ही है कि व्यापार के लिए, बास्फोरस जलडमरूमध्य निर्बाध खुला रहे, और भारत के विदेश व्यापार पर कोई संकट न आए| मेरी भावना यह है कि युद्ध, भारत से दूर ही हो| तुर्की और फ्रांस के मध्य कभी युद्ध हुआ तो भारत फ्रांस का समर्थन करेगा| इसमें भारत का हित है| तुर्की ने भारत-पाक युद्धों में सदा पाकिस्तान का साथ दिया है| भारत का यदि चीन व पाकिस्तान से युद्ध हुआ तो भारत की सहायता भी सिर्फ अमेरिका, जापान और फ्रांस ही कर सकते हैं|
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आर्मेनिया व अजरबेज़ान के मध्य हो रहे युद्ध में तुर्की का प्रवेश अब खुलकर हो चुका है| आर्मेनिया के पक्ष में रूस ने भी अपनी सेना का एक भाग वहाँ नियुक्त कर दिया है| चाहे दुनियाँ के सारे मुसलमान देश इकट्ठा होकर आ जाएँ, वे रूस का सामना नहीं कर सकते| फ्रांस का सामना करने की सामर्थ्य भी किसी मुसलमान देश में नहीं है| भूतकाल में भी २४ अप्रेल १८७७ से ३ मार्च १८७८ तक रूस व तुर्की के मध्य युद्ध हुआ था| यदि ब्रिटेन बीच में नहीं पड़ता तो रूस, तुर्की पर अधिकार कर लेता| ब्रिटेन नहीं चाहता था कि 'बास्फोरस जलडमरूमध्य' रूस के अधिकार में चला जाये | Black Sea में प्रवेश का एकमात्र मार्ग बास्फोरस है जो तुर्की के अधिकार में है| अंतर्राष्ट्रीय संधि के अंतर्गत बास्फोरस का मार्ग नौकानयन के लिए सभी देशों के लिए खुला है|
पूर्वी यूरोप के देशों में तुर्की के प्रति बहुत अधिक घृणा है| इसका कारण मैं फिर कभी लिखूंगा|
३० अक्तूबर २०२०

हे माँ, रक्षा करो ---

 हे माँ, रक्षा करो ...

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एक अबोध बालक जब मल-मूत्र रूपी विष्ठा में पड़ा होता है तब माँ ही उसे स्वच्छ कर सकती है| अपने आप तो वह उज्ज्वल नहीं हो सकता| यह सांसारिकता भी किसी विष्ठा से कम नहीं है|
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हे जगन्माता, तुम ने ही इस मायावी जगत की रचना की, और तुम ने ही "बलादाकृष्य मोहाय, महामाया प्रयच्छति", बलात् आकर्षित कर के इस माया-मोह रूपी घोर नर्ककुंड में डाल दिया| इसमें मेरा क्या दोष? सारी दुर्बलताएं भी तुम्हारी ही रचना है|
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कोई भी माता अपनी संतान को दुःखी देखकर सुखी नहीं रह सकती| अब तुम्हारी ही ज़िम्मेदारी है मुझे मुक्त करना| मेरे में कोई सामर्थ्य नहीं है| मुझे न तो ज्ञान की बड़ी-बड़ी बातें चाहिये, और न कोई मार्गदर्शक और धर्म-शास्त्र| मैं जहां भी हूँ वहाँ तुम्हें स्वयं ही आना होगा| मुझे तुम्हारा ज्ञान नहीं, पूर्ण प्रेम चाहिए जिस पर मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है|
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ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
३० अक्तूबर २०२०