Tuesday, 12 June 2018

"है" .....

"है" .....
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संसार में कोई भी चीज "है" के बिना नहीं मिलती| मिठाई है, फल है, खाना है, ठण्ड है, गर्मी है, सुख है, दुःख है, फलाँ फलाँ व्यक्ति है, ..... हर चीज में "है" है| वैसे ही भगवान भी "है", यहीं "है", इसी समय "है", सर्वदा "है", और सर्वत्र "है"| यही "ॐ तत्सत्" "है"| हमेशा याद रखो कि भगवान हर समय हमारे साथ "है"|
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मेरे पास इसका पक्का सबूत है .... वह मेरी आँखों से देख रहा है, मेरे पैरों से चल रहा है, मेरे हाथों से काम कर रहा है, मेरे हृदय में धड़क रहा है, और मेरे मन से सोच रहा है| मेरा अलग से कुछ होना एक भ्रम है| वास्तव में वह ही है| इस से बड़ा सबूत और दूसरा कोई नहीं हो सकता|
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हे प्रभु, आप ही आप रहो| यह मैं होने का भ्रम नष्ट हो जाए|
ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१२ जून २०१८

गीता के अनुसार ब्राह्मण के स्वाभाविक कर्म .....

गीता के अनुसार ब्राह्मण के स्वाभाविक कर्म .....
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भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं .....

"शमो दमस्तपः शौचं क्षान्तिरार्जवमेव च | ज्ञानं विज्ञानमास्तिक्यं ब्रह्मकर्म स्वभावजम् ||१८:४२||
अर्थात् शम? दम? तप? शौच? क्षान्ति? आर्जव? ज्ञान? विज्ञान और आस्तिक्य ये ब्राह्मण के स्वभाविक कर्म हैं ||
और भी सरल शब्दों में ब्राह्मण के स्वभाविक कर्म हैं ..... मनोनियन्त्रण, इन्द्रियनियन्त्रण, शरिरादि के तप, बाहर-भीतर की सफाई, क्षमा, सीधापन यानि सरलता, शास्त्र का ज्ञान और शास्त्र पर श्रद्धा|
इनकी व्याख्या अनेक स्वनामधन्य आचार्यों ने की है| इनके अतिरिक्त ब्राह्मण के षटकर्म भी हैं, जो उसकी आजीविका के लिए हैं| पर यहाँ हम उन स्वभाविक कर्मों पर ही विचार कर रहे हैं जो भगवान श्रीकृष्ण ने कहे हैं|

ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१२ जून २०१८

दिव्यप्रेम और शांति की अनुभूति का आनंद लीजिये .....

दिव्यप्रेम और शांति की अनुभूति का आनंद लीजिये .....
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एक बार हम ध्यान में बैठ जाएँ तो जब तक भरपूर दिव्य प्रेम और शान्ति की अनुभूति न हो तब तक उठना नहीं चाहिए| जप व ध्यान साधना के पश्चात मिलने वाली शान्ति और प्रेम की अनुभूति सबसे अधिक महत्वपूर्ण है| यह साधना का प्रसाद है| उस शान्ति और प्रेम का का भरपूर आनंद लीजिये| उसका आनंद लिए बिना उठ जाना ऐसे ही है जैसे आपने एक दूध की बाल्टी भरी और उसको ठोकर मार कर चल दिए| जब भी शान्ति और प्रेम की अनुभूति हो उसका पूरा आनंद लीजिये| कर्ताभाव से मुक्त रहें|
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परस्त्री और पर धन की कामना, दूसरो का अहित और अधर्म की बाते सोचना हमारे मन के पाप हैं, जिनका दंड भुगतना ही पड़ता है| ऐसे ही असत्य और अहंकार युक्त वचन, पर निंदा, हिंसा, अभक्ष्य भक्षण, और व्यभिचार हमारे शरीर के पाप हैं, जिनका भी दंड भुगतना ही पड़ता है|
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ॐ तत्सत ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१२ जून २०१७

भारत-चीन सीमा विवाद, भारत की रक्षा व्यवस्था, भारत में सुराज और भारत का आत्म-सम्मान ......

भारत-चीन सीमा विवाद, भारत की रक्षा व्यवस्था, भारत में सुराज और भारत का आत्म-सम्मान ......
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भारत-चीन सीमा विवाद एक अत्यधिक जटिल समस्या है जिसे एक सामान्य नागरिक नहीं समझ सकता| चीन का राजनीतिक नेतृत्व भी चाहे तो किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुँच सकता| दोनों ओर से जन-भावनाएँ अति प्रबल हैं| अपने अपने आत्म-सम्मान के साथ इस समस्या को सुलझाना अति कठिन है| हमारे से भी बड़ी भयंकर भूलें हुई हैं जिन के कुप्रभाव को मिटाना असंभव है| चीन के लिए भी पीछे हटना असम्भव ही है| पर एक उम्मीद है| अगर दोनों देशों के दो महान नेता सद्भावना से मिलकर समस्या को सम्मानपूर्वक निपटाना चाहें तो निपटा सकते हैं| वर्तमान में भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपती श्री शी जिनपिंग दोनों में बड़ी सदभावना है और दोनों ही चाहते हैं कि इस समस्या का शांतिपूर्ण समाधान हो| वे प्रयास भी कर रहे हैं|
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मैं तो इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूँ कि इस समस्या का समाधान इन दो महान नेताओं के अतिरिक्त अन्य किसी के वश की बात नहीं है| तिब्बत में सामान्य स्थिति लाना, तिब्बती शरणार्थियों व दलाई लामा को बापस ससम्मान तिब्बत भेजना .... यह कार्य भी ये दोनों नेता ही कर सकते हैं| इसके अतिरिक्त तिब्बत से आने वाली नदियों के जल पर भी कोई समझौता भी ये दोनों नेता ही कर सकते हैं|
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भारत की रक्षा व्यवस्था को इतना सुदृढ़ करना, भारत में सुराज लाने का ईमानदारी से प्रयास और भारत का आत्म-सम्मान पुनर्स्थापित करने का श्रेय मैं प्रधान मंत्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदी और उनकी टीम को देता हूँ| भारत का गौरव उन्होंने पूरे विश्व में बढ़ाया है|
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मैं पूरी निष्ठा से भगवान से प्रार्थना करता हूँ कि २०१९ के आम चुनावों में वे सम्पूर्ण बहुमत के साथ विजयी बन कर आयें और भारत माता को परम वैभव प्रदान करें| मैं सदा उनकी विजय के लिए भगवान से प्रार्थना करूँगा|
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ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
११ जून २०१८