देश-काल से परे .....
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समय नित्य नूतन है| समय को खंडित नहीं किया जा सकता| पर कालगणना के लिए प्रकृति के नियमानुसार युग, संवत्, वर्ष इत्यादि बनाए गए हैं| इसके लिए भारतीय मनीषियों ने बहुत गहन साधना और अध्ययन किया है| इसीलिए भारतीय कालगणना सर्वाधिक वैज्ञानिक है| गृह नक्षत्रों की स्थितियों और प्रभावों का गहन अध्ययन कर ज्योतिषादि शास्त्र निर्मित हुए, और विशिष्ट कार्यों के लिए विशिष्ट तिथियाँ, मुहूर्त आदि निर्धारित करने की विधियाँ बनीं| इनके पीछे भारत के प्राचीन ऋषियों का बहुत बड़ा योगदान रहा है|
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जिस तरह से आजकल नववर्ष मनाया जाता है यह भारत की परम्परा नहीं है| पर समय के प्रभाव के कारण हम इसे मानने को बाध्य हैं| भारत की परम्परानुसार हर पल, हर क्षण एक उत्सव है| जब भी परमात्मा की अनुभूति हो वह क्षण ही शुभ से शुभ है|
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परमात्मा के गहन ध्यान में हम देश-काल से परे (Beyond Time and Space) चले जाते हैं| देश-काल (Time & Space) दोनों ही बंधन हैं| हमारी चेतना इनसे मुक्त होकर इनसे परे हो, यही योग और वेदांत की शिक्षा है, और यही हमारी साधना है| हम यह भौतिक देह नहीं हैं, हम परमात्मा के अंश हैं, हम असीम और अनंत हैं| समय हमारा भाग है, हम समय के नहीं| सब प्रकार के बंधनों से मुक्त हम शाश्वत आत्मा हैं, परमात्मा के साथ एक हैं, हम जीव नहीं अपितु शिव हैं| यही हमारा ध्यान का विषय है|
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ॐ तत्सत् | ॐ नमः शिवाय| ॐ ॐ ॐ ||
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समय नित्य नूतन है| समय को खंडित नहीं किया जा सकता| पर कालगणना के लिए प्रकृति के नियमानुसार युग, संवत्, वर्ष इत्यादि बनाए गए हैं| इसके लिए भारतीय मनीषियों ने बहुत गहन साधना और अध्ययन किया है| इसीलिए भारतीय कालगणना सर्वाधिक वैज्ञानिक है| गृह नक्षत्रों की स्थितियों और प्रभावों का गहन अध्ययन कर ज्योतिषादि शास्त्र निर्मित हुए, और विशिष्ट कार्यों के लिए विशिष्ट तिथियाँ, मुहूर्त आदि निर्धारित करने की विधियाँ बनीं| इनके पीछे भारत के प्राचीन ऋषियों का बहुत बड़ा योगदान रहा है|
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जिस तरह से आजकल नववर्ष मनाया जाता है यह भारत की परम्परा नहीं है| पर समय के प्रभाव के कारण हम इसे मानने को बाध्य हैं| भारत की परम्परानुसार हर पल, हर क्षण एक उत्सव है| जब भी परमात्मा की अनुभूति हो वह क्षण ही शुभ से शुभ है|
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परमात्मा के गहन ध्यान में हम देश-काल से परे (Beyond Time and Space) चले जाते हैं| देश-काल (Time & Space) दोनों ही बंधन हैं| हमारी चेतना इनसे मुक्त होकर इनसे परे हो, यही योग और वेदांत की शिक्षा है, और यही हमारी साधना है| हम यह भौतिक देह नहीं हैं, हम परमात्मा के अंश हैं, हम असीम और अनंत हैं| समय हमारा भाग है, हम समय के नहीं| सब प्रकार के बंधनों से मुक्त हम शाश्वत आत्मा हैं, परमात्मा के साथ एक हैं, हम जीव नहीं अपितु शिव हैं| यही हमारा ध्यान का विषय है|
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ॐ तत्सत् | ॐ नमः शिवाय| ॐ ॐ ॐ ||