Tuesday, 12 October 2021

अपने भीतर के अंधकार को दूर करो, तभी बाहर का अंधकार दूर होगा ---

 

हम सब धीरे-धीरे अंधकार से प्रकाश की ओर जा रहे हैं| दिन-प्रतिदिन असत्य का अंधकार थोड़ा-थोड़ा दूर हो रहा है| विगत दो हजार वर्षों का समय अंधकार और असत्य का था| अब उस में शनैः शनैः बाहर निकल रहे हैं| अब भी चारों ओर, बहुत अधिक असत्य, झूठ-कपट, और अन्याय है, जिन का प्रतिरोध करने की सामर्थ्य हमारे में नहीं है|
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भगवान से प्रार्थना की तो यही उत्तर मिला कि सर्वप्रथम अपने भीतर के अंधकार को दूर करो, तभी बाहर का अंधकार दूर होगा| सर्वव्यापी ज्योतिर्मय ब्रह्म का ध्यान करो, नाद-श्रवण करो, और परमात्मा को पूर्ण समर्पण करो|
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हमारे कूटस्थ-चैतन्य में परमात्मा नित्य हैं| उन्हें ढूँढने कहीं दूर जाने की आवश्यकता नहीं है| कूटस्थ-चैतन्य ही हमारा हृदय है जहाँ परमात्मा नित्य निरंतर बिराजमान हैं| कमी है तो हमारे उत्साह और प्रयास में ही है, अन्यत्र कहीं कोई कमी नहीं है| अपनी कमी स्वयं को ही दूर करनी होगी|
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ॐ तत्सत् !!
कृपा शंकर
१३ अक्टूबर २०२०