कुछ यक्ष प्रश्न जिन पर कृपा कर के कुछ विचार करो .......
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{AA} हमारी संवेधानिक व्यवस्था में प्रयुक्त कुछ शब्द जो आधिकारिक रूप से परिभाषित नहीं है| ये आधिकारिक रूप से परिभाषित होने चाहिएँ .....
(१) "धर्मनिरपेक्षता" .
(२) "साम्प्रदायिकता" .
(४) "पिछड़ा" .
(5) अति पिछड़ा" .
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{BB} अल्पसंख्यक कौन है? भारत में यदि मजहब के आधार पर अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक होते हैं तो "यहूदी" मजहब के अनुयायी वास्तव में असली अल्पसंख्यक हैं| भारत में यहूदियों की संख्या एक हज़ार से भी कम है|
भारत में पारसी मजहब के अनुयायी भी एक लाख से कम हैं|
(१) भारत में यहूदी और पारसी मतानुयायिओं को "अल्पसंख्यक क्यों नहीं माना जाता ?
(२) जो नास्तिक हैं वे भी धर्म के आधार पर अल्पसंख्यक की श्रेणी में आते हैं| नास्तिकों को अल्पसंख्यक क्यों नहीं माना जाता?
(३) जो किन्नर यानि हिंजड़े हैं उनका भी अपना अलग ही मज़हब होता है| धर्म के आधार पर वे अल्पसंख्यक क्यों नहीं हैं?
(४) और भी अनेक नगण्य मजहबों के लोग भारत में रहते हैं| क्या वे अल्पसंख्यक नहीं हैं?
(५) भारत में अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक की अवधारणा वास्तव में क्या एक पाखण्ड और धोखा नहीं है?
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धन्यवाद|
१५ नवम्बर २०१५