हमारा जीवन उत्तरायण, धर्मपरायण व राममय हो .....
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जीवन में हमारे परम आदर्श आराध्य देव भगवान श्रीराम हैं| उनसे बड़ा कोई दूसरा आदर्श नहीं है| हमारा जीवन राममय हो, यह बड़ी से बड़ी प्रार्थना है| राममय बनकर ही हम अपनी चेतना में अनंत, सर्वव्यापक, असम्बद्ध, अलिप्त व शाश्वत हैं| समझने वाले इसे समझ सकते हैं|
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मकर संक्रांति के दिन संगम स्नान का महत्व है| आध्यात्मिक दृष्टी से संगम स्नान क्या है इस पर विचार करते हैं .....
तंत्र आगमों के अनुसार 'इड़ा' भगवती गंगा है, 'पिंगला' यमुना नदी है और उनके मध्य में 'सुषुम्ना' सरस्वती है| इस त्रिवेणी का संगम तीर्थराज है जहाँ स्नान करने से सर्व पापों से मुक्ति मिलती है| वह तीर्थराज त्रिवेणी प्रयाग का संगम कहाँ है? वह स्थान ... तीर्थराज त्रिवेणी का संगम हमारे भ्रूमध्य में है| अपनी चेतना को भ्रूमध्य में और उससे ऊपर रखना ही त्रिवेणी संगम में स्नान करना है|
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अपनी व्यक्तिगत साधना/उपासना में एक नए संकल्प और नई ऊर्जा के साथ गहनता लायें .....
> रात्रि को सोने से पूर्व भगवान का ध्यान कर के निश्चिन्त होकर जगन्माता की गोद में सो जाएँ|
> दिन का प्रारम्भ परमात्मा के प्रेम रूप पर ध्यान से करें|
>पूरे दिन परमात्मा की स्मृति रखें| यदि भूल जाएँ तो याद आते ही पुनश्चः स्मरण करते रहें|
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ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१४ जनवरी २०१८
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पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध में स्थित हम भारतवासियों के लिए जीवन में तृप्ति, अंतर्ज्ञान, और अनन्त परम पूर्णता को पाने का समय उत्तरायण है| हमारा सम्पूर्ण जीवन ही उत्तरायण हो|
उत्तरायण काल में आज्ञा और सहस्रार चक्रों में ऊर्जा प्रबल रहती है| गुरु-प्रदत्त विधि से कूटस्थ सूर्यमण्डल में जो अनन्य दिव्य परम पुरुष हैं, उन्हीं का अखण्डवृत्ति द्वारा निरंतर ध्यान करते हुए हम उन्हीं को प्राप्त हों|
शुभ कामनाएँ और सप्रेम नमन !
ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१३ जनवरी २०१८
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जीवन में हमारे परम आदर्श आराध्य देव भगवान श्रीराम हैं| उनसे बड़ा कोई दूसरा आदर्श नहीं है| हमारा जीवन राममय हो, यह बड़ी से बड़ी प्रार्थना है| राममय बनकर ही हम अपनी चेतना में अनंत, सर्वव्यापक, असम्बद्ध, अलिप्त व शाश्वत हैं| समझने वाले इसे समझ सकते हैं|
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मकर संक्रांति के दिन संगम स्नान का महत्व है| आध्यात्मिक दृष्टी से संगम स्नान क्या है इस पर विचार करते हैं .....
तंत्र आगमों के अनुसार 'इड़ा' भगवती गंगा है, 'पिंगला' यमुना नदी है और उनके मध्य में 'सुषुम्ना' सरस्वती है| इस त्रिवेणी का संगम तीर्थराज है जहाँ स्नान करने से सर्व पापों से मुक्ति मिलती है| वह तीर्थराज त्रिवेणी प्रयाग का संगम कहाँ है? वह स्थान ... तीर्थराज त्रिवेणी का संगम हमारे भ्रूमध्य में है| अपनी चेतना को भ्रूमध्य में और उससे ऊपर रखना ही त्रिवेणी संगम में स्नान करना है|
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अपनी व्यक्तिगत साधना/उपासना में एक नए संकल्प और नई ऊर्जा के साथ गहनता लायें .....
> रात्रि को सोने से पूर्व भगवान का ध्यान कर के निश्चिन्त होकर जगन्माता की गोद में सो जाएँ|
> दिन का प्रारम्भ परमात्मा के प्रेम रूप पर ध्यान से करें|
>पूरे दिन परमात्मा की स्मृति रखें| यदि भूल जाएँ तो याद आते ही पुनश्चः स्मरण करते रहें|
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ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१४ जनवरी २०१८
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पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध में स्थित हम भारतवासियों के लिए जीवन में तृप्ति, अंतर्ज्ञान, और अनन्त परम पूर्णता को पाने का समय उत्तरायण है| हमारा सम्पूर्ण जीवन ही उत्तरायण हो|
उत्तरायण काल में आज्ञा और सहस्रार चक्रों में ऊर्जा प्रबल रहती है| गुरु-प्रदत्त विधि से कूटस्थ सूर्यमण्डल में जो अनन्य दिव्य परम पुरुष हैं, उन्हीं का अखण्डवृत्ति द्वारा निरंतर ध्यान करते हुए हम उन्हीं को प्राप्त हों|
शुभ कामनाएँ और सप्रेम नमन !
ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१३ जनवरी २०१८
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