Friday 6 April 2018

प्राचीन भारत में कृष्ण मृग निर्भय होकर घुमते थे ....

कृष्ण मृग यानी काले हिरण को प्राचीन भारत में पवित्र माना गया था| प्राचीन भारत में कृष्ण मृग निर्भय होकर घुमते थे, उनका शिकार प्रतिबंधित था| मनुस्मृति में कहा गया है कि जितनी भूमि पर स्वतन्त्रतापूर्वक घूमता हुआ कृष्ण मृग मिले वह यज्ञ की पुण्यभूमि है|
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मुझे एक तपस्वी साधू ने बताया था कि तपस्या करने करने के लिए वह स्थान सर्वश्रेष्ठ है जहाँ .......(१) कृष्ण मृग निर्भय होकर घुमते हों, (२) शमी वृक्ष यानी खेजडी के वृक्ष हों, (३) जहाँ निर्भय होकर मोर पक्षी रहते हों, और (४) कूर्म भूमि हो, यानि कछुए की पीठ के आकार की भूमि हो|
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राजस्थान का विश्नोई समाज तो खेजडी के वृक्षों और कृष्ण मृगों की रक्षा के लिए अपने प्राण भी न्योछावर करता आया है| उन विश्नोइयों के गाँव में जाकर सलमान खान फ़िल्मी हीरो ने कृष्ण मृग का शिकार किया| वह वहाँ से तुरंत भाग गया, यदि गाँव वालों के हाथ में आ जाता तो अपने जीवन में अगले दिन का प्रकाश नहीं देख पाता| धन्य है विश्नोई समाज जो हर प्रकार के प्रलोभन और भय के पश्चात भी इस मुकदमें में अडिग खडा रहा और बीस वर्ष तक प्रतीक्षा कर के भी सलमान खान को सजा दिलवाई|
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हरियाणा में नवाब पटौदी नाम का पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी भी काले हिरण का शिकार करते पकड़ा गया था| उसको भी सजा अवश्य मिलती पर उसको तो प्रकृति ने ही सजा दे दी| वह अधिक दिन जीवित नहीं रहा|

६ अप्रेल २०१८

हे दैवीय शक्तियो, हमारी सहायता करो .....

हे दैवीय शक्तियो, हमारी सहायता करो .....
हमारे राष्ट्र के भीतर व बाहर के सभी शत्रुओं का नाश करो| हमारा राष्ट्र आध्यात्म के शिखर पर आरुढ़ हो अपने परम वैभव को प्राप्त करे| यह हमारा दुर्भाग्य ही है कि जो राष्ट्र, विश्व को मुक्ति का मार्ग दिखाता था वह आज अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहा है| हमें आवश्यकता है दैवीय शक्तियों के अवतरण की जो इस देश में व्याप्त असत्य और अन्धकार की राक्षसी व पैशाचिक शक्तियों को मिटा कर धर्म की पुनर्स्थापना कर सके| हे दैवीय शक्तियो, हमारे अस्तित्व को बचाने में हमारी सहायता करो| यह कार्य मनुष्य की क्षमता से परे है| दैवीय शक्तियाँ ही यह कार्य संपन्न करवा सकती हैं| हम उन दैवीय शक्तियों का आवाहन करते हैं|
ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !
कृपा शंकर
५ अप्रेल २०१७

ब्राह्मण वर्ग की धर्म-रक्षा हेतु विशेष जिम्मेदारी बनती है .....

वर्तमान विकट परिस्थितियों में जब राष्ट्र और धर्म पर मर्मान्तक प्रहार हो रहे हैं, तब ब्राह्मण वर्ग की धर्म-रक्षा हेतु विशेष जिम्मेदारी बनती है| उन्हें निम्न कदम तो उठाने ही होंगे ......
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(१) वर्त्तमान समय की माँग के अनुसार उपजाति भेद समाप्त करना होगा| उपजातियों को समाप्त किये बिना ब्राह्मण कभी भी संगठित और सशक्त नहीं हो पायेंगे| ये कान्यकुब्ज, सरयूपारीण, गौड़, सारस्वत, अय्यर, अयंगार, नम्बूदरी, दाधीच, खंडल, पारीक, शाकद्वीपीय, सनाढ्य, भूमिहार जैसे सारे सैंकड़ों उपजातीय भेद समाप्त करने होंगे| ब्राह्मण ब्राह्मण है, ये उपजातियाँ नहीं| स्वयं संगठित होकर ही हम पूरे हिन्दू समाज को संगठित कर पायेंगे|
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(२) अपने धर्म को न छोड़ें| अपने धर्म का यथासंभव और यथाशक्ति पूर्णरूपेण पालन करें| संध्या आदि नित्य नैमेत्तिक कर्म पूरी निष्ठा से करें और अपनी संतानों को भी सिखाएँ| धर्म की शिक्षा अपनी संतानों को घर पर ही देने की व्यवस्था करें| संस्कृत भाषा का मूलभूत ज्ञान अपने बच्चों को अवश्य कराएँ| अपने बच्चों को हर तरह से अच्छी से अच्छी शिक्षा दें ताकि वे स्वावलंबी बनें|
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(३) आध्यात्मिक, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक हर दृष्टी से सशक्त बनें और सारे हिन्दू समाज में समरसता और एकता बनाए रखते हुए समाज का नेतृत्व करें| अपना आदर्श औरों के समक्ष रखें|
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शुभ कामनाएँ और नमन ! ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
४ अप्रेल २०१८

समता का अधिकार हमें नहीं है .....

जब तक भारत में वर्तमान लोकतांत्रिक व्यवस्था है, समता का अधिकार हमें कभी भी नहीं मिल सकता| आरक्षण और तुष्टिकरण को बंद करने का साहस कोई भी राजनेता कभी भी नहीं कर पायेगा| हर राजनीतिक दल को सत्ता में रहने के लिए वोट चाहियें| आरक्षण और तुष्टिकरण के बिना भारत में वोट नहीं मिलते| राष्ट्रविरोधी शक्तियाँ शत्रु देशों के साथ मिलकर वर्गसंघर्ष और गृहयुद्ध की स्थिति उत्पन्न कर देंगी| ये राष्ट्रविरोधी शक्तियाँ सत्ता पाने हेतु भारत पर विदेशी आक्रमण भी करवा सकती हैं|
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इस आरक्षण के कारण सबसे अधिक पीड़ित तो ब्राह्मण वर्ग है| सबसे अधिक अत्याचार ब्राह्मणों पर ही हुए हैं| सनातन हिन्दू धर्म को नष्ट करने के लिए कुटिल अंग्रेज विद्वानों ने सबसे पहले ब्राह्मणों को नष्ट करने की योजना बनाई|
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प्रथम चरण में भारत की प्राचीन शिक्षा व्यवस्था को नष्ट करने के लिए गुरुकुलों पर प्रतिबन्ध लगा दिया, और ब्राह्मणों का सब कुछ छीनकर इतना निर्धन बना दिया गया कि वे अपने बच्चों को शिक्षा देने में भी असमर्थ हो गए| फिर मेक्समूलर जैसे वेतनभोगी पादरियों की सहायता से हिन्दुओं के अनेक धर्मग्रंथों में, विशेषतः मनुस्मृति में इस तरह की मिलावट और परिवर्तन कर दिए गए कि भविष्य में हिन्दू सदा आपस में लड़ते ही रहें|
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भारत पर आर्य आक्रमण का झूठा इतिहास रचा गया और एक झूठे इतिहास और झूठी कहानियों की रचना की गयी जिनमें यह बताया गया कि ब्राह्मणों ने अन्य जातियों पर अत्याचार किये| अन्य जातियों की दुर्दशा का जिम्मेदार ब्राह्मणों को बताया गया| इस झूठे इतिहास से जातिगत वैमनस्य उत्पन्न किया गया|
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द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद की परिस्थितियों के कारण ही अंग्रेजों को भारत छोड़ना पड़ा| जाते जाते वे भारत की जितनी हानि कर सकते थे उतनी हानि कर गए, और सत्ता भी एक फर्जी पंडित हिन्दू नामधारी को दे गये जो एक काला अँगरेज़ था| वह हिन्दू भी नहीं था| उसने सनातन हिन्दू धर्म का बहुत बड़ा अहित किया|
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अब सभी हिन्दुओं को संगठित होना पड़ेगा| विशेष कर के ब्राह्मणों को तो अपना उपजाति भेद मिटाकर अपने ब्राह्मणत्व को पुनर्जागृत कर शक्ति-संपन्न होना होगा| देश में कोई वर्ग-संघर्ष और गृह-युद्ध की परिस्थितियाँ उत्पन्न न हों, इसका ध्यान रखना होगा| भगवान निश्चित रूप से इस देश और धर्म की रक्षा करेंगे|
ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
४ अप्रेल २०१८

किसी भी देश की विदेश नीति उस देश के आर्थिक हितों पर आधारित होती है .....

April 7, 2017 
यह लेख आज के मध्य-पूर्व में हुए नवीनतम घटनाक्रम पर है .....
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किसी भी देश की विदेश नीति उस देश के आर्थिक हितों पर आधारित होती है| कोई भी देश अपनी नीतियाँ भावुकता में बह कर नहीं बनाता| सीरिया और इराक में गृहयुद्ध वास्तव में शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच का युद्ध है| रूस और अमेरिका दोनों के आर्थिक हित वहाँ हैं अतः दोनों वहाँ डटे हुए हैं और डटे रहेंगे| एक बार तो दोनों में युद्ध की सी स्थिति आ गयी थी पर वे कभी आपस में लड़ेंगे नहीं, एक दूसरे को गीदड़ भभकी देकर भीतर ही भीतर समझौता कर लेंगे| ISIS सुन्नी मुसलमानों का संगठन था जिसने शियाओं का नरसंहार किया जिससे शिया और सुन्नियों में एक स्थायी दरार आ गयी है|
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ISIS को बनाया भी अमेरिका ने और समाप्त भी किया अमेरिका ने| अमेरिका ने ही उसे हथियार दिए और उकसाया भी| अमेरिका तुर्की के माध्यम से ISIS से बहुत सस्ती कीमत पर कच्चा तेल खरीदता था| जब तक ISIS शिया मुसलमानों को मार रहा था, अमेरिका ने उसे सहन किया, पर जब वह ईसाइयों को मारने लगा तो अमेरिका ने उसे समाप्त कर दिया|
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सीरिया में सुन्नी बहुमत है पर वहाँ का तानाशाह शासक असद एक शिया है जो सुन्नियों का नरसंहार कर रहा है| इराक में शिया बहुमत था| वहाँ के पूर्व सुन्नी तानाशाह सद्दाम हुसैन ने शियाओं का नरसंहार किया था| अब अमेरिका की सहायता से वहाँ शिया सरकार है जो सुन्नियों को दबाकर रखती है| इस की प्रतिक्रया में सुन्नी उग्रवाद पनपा|
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यमन में भी गृहयुद्ध शियाओं और सुन्नियों के मध्य है| यमन पर भी सऊदी अरब की वायु सेना आक्रमण करती रहती है| सऊदी अरब खुल कर यमन पर हमला ईरान के डर से नहीं कर पा रहा है| ईरान दुनिया में कहीं भी शियाओं को हारने नहीं देगा|
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कहते हैं कि सीरिया ने अपने विद्रोहियों पर रासायनिक हमला किया जिसके उत्तर में आज प्रातः अमेरिका ने सीरिया पर 60 से अधिक क्रूज मिसाइल दाग दिए| इस पर दुनिया भर के देशों से समर्थन और विरोध में प्रतिक्रियाएँ आने लगी हैं| अमेरिका की ओर से किये गये जवाबी हमले का जहाँ रूस ने विरोध किया है, वहीं इस्रायल ने उसका समर्थन किया है|
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इस युद्ध में होगा कुछ नहीं| जब तक अरब देशों में तेल है तब तक अमेरिका और रूस अरबों का खून चूसते रहेंगे| जब तेल समाप्त हो जाएगा तब अमेरिका अरबों का सारा धन जब्त कर लेगा जो अमेरिका की बैंकों में पड़ा है| और ये दोनों देश और इजराइल मिल कर अरबों का बहुत बुरा हाल कर देंगे|
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दो माह पूर्व सऊदी अरब .... यमन में जब शियाओं के विरुद्ध नरसंहार कर रहा था तब तो अमेरिका कुछ भी नहीं बोला क्योंकि सऊदी अरब अमेरिका का सहयोगी देश है| पर आज सीरिया में असद ने सुन्नियों पर तथाकथित रासायनिक आक्रमण किया तब अमेरिका ने खुल कर सीरिया पर हमला बोल दिया है क्योंकि सीरिया की सरकार रूस की मित्र है|
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यह सारा मामला महाशक्तियों के आर्थिक हितों का है, अतः इस पर हमें कोई प्रतिक्रिया नहीं करनी चाहिए| वैसे शिया और सुन्नियों के आपसी संघर्षों से अरब देशों में इस्लाम का विघटन आरम्भ हो गया है| सीरिया के पड़ोसी देश ... इराक, इजराइल, जॉर्डन, लेबनान और तुर्की भी कभी आपस में शान्ति से नहीं रहे हैं|
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यहाँ यह भी बता देना चाहता हूँ कि भविष्य में ईरान और इजराइल में युद्ध अवश्यम्भावी है जिसे कोई टाल नहीं सकता| इसमें भयानक विनाश होगा पर युद्ध का परिणाम क्या होगा यह भविष्य के गर्भ में ही है जिसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता| इति ||
ॐ तत्सत् !
कृपा शंकर
७ अप्रेल २०१७

राष्ट्र के वर्तमान दुखद परिदृश्य के लिए हम स्वयं ही उत्तरदायी हैं ....

राष्ट्र के वर्तमान दुखद परिदृश्य के लिए हम स्वयं ही उत्तरदायी हैं क्योंकि हम में से अनेक ने अब तक अपना मत ..... जाति, मजहब, शराब की बोतल, कुछ रुपयों, या अंधी भावुकता के वशीभूत होकर दिया है| जब तक प्रखर राष्ट्रवादी, निष्ठावान, कार्यकुशल व समर्पित शासक नहीं होंगे, हम ऐसे ही कष्ट पाते रहेंगे| हमारा निश्चयपूर्वक किया हुआ दृढ़ संकल्प राष्ट्र की रक्षा कर सकता है|
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हम धर्म और राष्ट्र रक्षा के लिए भी साधना करें| धर्म उसी की रक्षा करता है जो धर्म की रक्षा करता है| हमारा सर्वोपरि कर्त्तव्य है धर्म और राष्ट्र की रक्षा, जिसे हम परमात्मा को समर्पित होकर ही कर सकते हैं| हमें अपने साधन पूजन में भी अपने घर परिवार व स्वयं के साथ साथ --- ''राष्ट्र और धर्म के कल्याण के लिए'' भी संकल्प जोड़ना चाहिए| हमारी साधना से एक दैवीय शक्ति का प्रादुर्भाव होगा , जो '' राष्ट्रहित '' में कार्य करने के लिए हमारे ''बल और बुध्दि'' को प्रखर करेगी| आज हमें आवश्यकता है एक ब्रह्म तेज की | जो इस बात को समझते हैं वे समझते हैं, जो नहीं समझते हैं उन्हें समझाया भी नहीं जा सकता|
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यह कार्य हम स्वयं के लिए नहीं अपितु भगवान के लिए कर रहे हैं| मोक्ष की हमें व्यक्तिगत रूप से कोई आवश्यकता नहीं है| आत्मा तो नित्य मुक्त है, बंधन केवल भ्रम मात्र हैं| ज्ञान की गति के साथ साथ हमें भारत की आत्मा का भी विस्तार करना होगा| यह परिवर्तन बाहर से नहीं भीतर से करना होगा| वर्तमान में जब धर्म और राष्ट्र के अस्तित्व पर मर्मान्तक प्रहार हो रहे है तब व्यक्तिगत कामना और व्यक्तिगत स्वार्थ हेतु साधना उचित नहीं है| भारत की सभी समस्याओं का निदान हमारे भीतर है| एक बात ना भूलें कि भारत की आत्मा सनातन हिन्दू धर्म है| सनातन हिन्दू धर्म ही भारत की अस्मिता है| भारत का अस्तित्व ही सनातन धर्म के कारण है| सनातन धर्म ही नष्ट हो गया तो भारत भी नहीं बचेगा और यह सृष्टि भी नष्ट हो जाएगी| सनातन धर्म ही भारत है, और भारत ही सनातन धर्म है|
निरंतर यह भाव रखें कि हम स्वयं ही अखंड भारतवर्ष हैं और हम स्वयं ही सनातन धर्म हैं| पूरा भारत हमारी देह है जो विस्तृत होकर समस्त सृष्टि में फ़ैल गया है| हमारी हर साँस के साथ भारत का विस्तार हो रहा है, असत्य और अन्धकार की शक्तियों का नाश हो रहा है, व भारत माँ अपने द्विगुणित परम वैभव के साथ अखण्डता के सिंहासन पर बिराजमान हो रही है| हमारा संकल्प परमात्मा का संकल्प है| एक व्यक्ति का दृढ़ संकल्प भी पूरी सृष्टि की दिशा बदल सकता है, फिर हमारा संकल्प तो परमात्मा का संकल्प है| हमारे शिव संकल्प के सम्मुख असत्य व अन्धकार की शक्तियों का नाश हो जाएगा|
भारत एक ऊर्ध्वमुखी चेतना है| भारत एक ऐसे लोगों का समूह है जिनकी अभीप्सा और ह्रदय की तड़फ ऐसे लोगों की हैं जो जीवन में पूर्णता चाहते हैं, जो अपने नित्य जीवन में परमात्मा को व्यक्त करना चाहते हैं| भारत की आत्मा आध्यात्मिक है और एक प्रचंड आध्यात्मिक शक्ति भारत का पुनरोत्थान करेगी| भगवान को कर्ता ही नहीं, दृष्टा और दृश्य भी बनाइये| 'कर्ता' तो जगन्माता स्वयं 'काली' है जो यज्ञ रूप में हमारे कर्मफल श्रीकृष्ण को अर्पित करती है| वे 'कर्ता' ही नहीं 'दृष्टा' और 'दृश्य' भी हैं| भगवन श्रीकृष्ण का अभय वचन है ----- "मच्चितः सर्वदुर्गाणि मत्प्रसादात् तरिष्यसि |"
अपना चित्त मुझे दे देने से तूँ समस्त कठिनाइयों और संकटों को मेरे प्रसाद से पार कर लेगा| भगवान श्रीराम का भी अभय वचनं है ---
"सकृदेव प्रपन्नाय तवास्मीति च याचते| अभयं सर्वभूतेभ्यो ददाम्येतद् व्रतं ममः ||"
एक बार भी जो मेरी शरण में आ जाता है उसको सब भूतों (यानि प्राणियों से) अभय प्रदान करना मेरा व्रत है|
हमें मार्गदर्शन मिलेगा और रक्षा भी होगी| भगवान हमारे साथ है|
ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
७ अप्रेल २०१४