परमात्मा परम सत्य हैं। वे सत्यनारायण हैं, जिनका अनुसंधान हम स्वयं करें। जीवन का उद्देश्य ही सत्य की खोज है।
सारा मार्गदर्शन उपनिषदों, श्रीमद्भगवद्गीता व कुछ आगम ग्रन्थों में है। यदि उन्हें समझने में हम असमर्थ हैं तो किन्हीं ब्रह्मनिष्ठ श्रौत्रीय आचार्य की सहायता लें।
सबसे अधिक महत्वपूर्ण तो है कि हमारे हृदय में परमात्मा को पाने की एक अभीप्सा हो, और हम सत्यनिष्ठ हों। यदि हम अपनी पूर्ण सत्यनिष्ठा से परमात्मा से मार्गदर्शन की प्रार्थना करेंगे तो वे निश्चित रूप से हमारी सहायता करेंगे। यह मेरा निजी अनुभव है।
भगवान से जब भी मैंने मार्गदर्शन की प्रार्थना की है, मुझे भगवान से मार्गदर्शन मिला है। उनकी परम कृपा सदा मुझ अकिंचन पर रही है। उनका मार्गदर्शन मुझे निम्नतम से उच्चतम हर स्तर पर मिला है। इस समय भी वे मेरे चैतन्य हृदय में बिराजमान हैं। सभी को उनकी सहायता और मार्गदर्शन मिलेगा। यह उनका आश्वासन है।
हरिः ॐ तत्सत्॥ ॐ ॐ ॐ ॥
कृपा शंकर
२२ नवंबर २०२४