हम गुलाम क्यों हुए और अब भी क्यों हैं ? .....
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भारत में सद्गुण विकृति के कारण एक ऐसी सोच आ गयी थी कि युद्ध करना सिर्फ क्षत्रिय वर्ग का ही कार्य है| अतः समाज ने एकजूट होकर विदेशी आक्रान्ताओं का प्रतिकार नहीं किया| समाज और राष्ट्र की भावना विकसित नहीं हो पाई| जो भी युद्ध में जीतता, उसी की आधीनता सब लोग स्वीकार कर लेते| यह भारत के पराभव और पराधीनता का मुख्य कारण था|
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जब मध्य एशिया और पश्चिम एशिया से विदेशी लुटेरे आये तब पूरे समाज ने एकजूट होकर उनका प्रतिकार नहीं किया| तभी भारत पराधीन हुआ|
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सबसे पहिले जो पुर्तगाली और अँगरेज़ भारत में आये थे वे सब समुद्री डाकू थे| अंग्रेजों ने तो सबसे पहिले समुद्री मार्ग से सूरत में आकर अपनी छावनी बनाई जिसका विरोध किसी ने नहीं किया| फिर कुछ भाड़े के सिपाहियों को साथ लेकर घोड़ों पर बैठकर सूरत से आगरा आये जहाँ मुग़ल बादशाह जहाँगीर को भेंट में शराब, फिरंगी औरतें, और कुछ लूटे हुए कीमती रत्न देकर, भारत में निर्बाध व्यापार करने की अनुमति प्राप्त की| फिर धीरे धीरे जो हुआ उसी का परिणाम था भारत पर अंग्रेजों की गुलामी|
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अंग्रेजों ने मराठों को कुटिलता से हराकर भारत का राज्य प्राप्त किया था| मराठों ने और महाराजा रणजीतसिंह ने मुगलों को हराकर लगभग सारा भारत उन से मुक्त करा लिया था| पर हमारी ही विकृतियों से हम फिर गुलाम बने| इसमें किसी अन्य का दोष नहीं था|
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अँगरेज़ भारत से गए इसका कारण था ..... द्वितीय विश्वयुद्ध में उनकी पराजय, आज़ाद हिन्द फौज, १९४६ में नौसेना का विद्रोह, भारतीय सिपाहियों द्वारा अँगरेज़ अधिकारियों के आदेश न मानना, और क्रांतिकारियों का भय| जाते जाते वे सत्ता अपने मानस पुत्रों को सौंप गए| मानसिक रूप से हम अभी भी गुलाम हैं|
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ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१४ दिसंबर २०१८
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भारत में सद्गुण विकृति के कारण एक ऐसी सोच आ गयी थी कि युद्ध करना सिर्फ क्षत्रिय वर्ग का ही कार्य है| अतः समाज ने एकजूट होकर विदेशी आक्रान्ताओं का प्रतिकार नहीं किया| समाज और राष्ट्र की भावना विकसित नहीं हो पाई| जो भी युद्ध में जीतता, उसी की आधीनता सब लोग स्वीकार कर लेते| यह भारत के पराभव और पराधीनता का मुख्य कारण था|
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जब मध्य एशिया और पश्चिम एशिया से विदेशी लुटेरे आये तब पूरे समाज ने एकजूट होकर उनका प्रतिकार नहीं किया| तभी भारत पराधीन हुआ|
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सबसे पहिले जो पुर्तगाली और अँगरेज़ भारत में आये थे वे सब समुद्री डाकू थे| अंग्रेजों ने तो सबसे पहिले समुद्री मार्ग से सूरत में आकर अपनी छावनी बनाई जिसका विरोध किसी ने नहीं किया| फिर कुछ भाड़े के सिपाहियों को साथ लेकर घोड़ों पर बैठकर सूरत से आगरा आये जहाँ मुग़ल बादशाह जहाँगीर को भेंट में शराब, फिरंगी औरतें, और कुछ लूटे हुए कीमती रत्न देकर, भारत में निर्बाध व्यापार करने की अनुमति प्राप्त की| फिर धीरे धीरे जो हुआ उसी का परिणाम था भारत पर अंग्रेजों की गुलामी|
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अंग्रेजों ने मराठों को कुटिलता से हराकर भारत का राज्य प्राप्त किया था| मराठों ने और महाराजा रणजीतसिंह ने मुगलों को हराकर लगभग सारा भारत उन से मुक्त करा लिया था| पर हमारी ही विकृतियों से हम फिर गुलाम बने| इसमें किसी अन्य का दोष नहीं था|
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अँगरेज़ भारत से गए इसका कारण था ..... द्वितीय विश्वयुद्ध में उनकी पराजय, आज़ाद हिन्द फौज, १९४६ में नौसेना का विद्रोह, भारतीय सिपाहियों द्वारा अँगरेज़ अधिकारियों के आदेश न मानना, और क्रांतिकारियों का भय| जाते जाते वे सत्ता अपने मानस पुत्रों को सौंप गए| मानसिक रूप से हम अभी भी गुलाम हैं|
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ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१४ दिसंबर २०१८