Friday, 14 December 2018

हम गुलाम क्यों हुए और अब भी क्यों हैं ? .....

हम गुलाम क्यों हुए और अब भी क्यों हैं ? .....
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भारत में सद्गुण विकृति के कारण एक ऐसी सोच आ गयी थी कि युद्ध करना सिर्फ क्षत्रिय वर्ग का ही कार्य है| अतः समाज ने एकजूट होकर विदेशी आक्रान्ताओं का प्रतिकार नहीं किया| समाज और राष्ट्र की भावना विकसित नहीं हो पाई| जो भी युद्ध में जीतता, उसी की आधीनता सब लोग स्वीकार कर लेते| यह भारत के पराभव और पराधीनता का मुख्य कारण था|
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जब मध्य एशिया और पश्चिम एशिया से विदेशी लुटेरे आये तब पूरे समाज ने एकजूट होकर उनका प्रतिकार नहीं किया| तभी भारत पराधीन हुआ|
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सबसे पहिले जो पुर्तगाली और अँगरेज़ भारत में आये थे वे सब समुद्री डाकू थे| अंग्रेजों ने तो सबसे पहिले समुद्री मार्ग से सूरत में आकर अपनी छावनी बनाई जिसका विरोध किसी ने नहीं किया| फिर कुछ भाड़े के सिपाहियों को साथ लेकर घोड़ों पर बैठकर सूरत से आगरा आये जहाँ मुग़ल बादशाह जहाँगीर को भेंट में शराब, फिरंगी औरतें, और कुछ लूटे हुए कीमती रत्न देकर, भारत में निर्बाध व्यापार करने की अनुमति प्राप्त की| फिर धीरे धीरे जो हुआ उसी का परिणाम था भारत पर अंग्रेजों की गुलामी|
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अंग्रेजों ने मराठों को कुटिलता से हराकर भारत का राज्य प्राप्त किया था| मराठों ने और महाराजा रणजीतसिंह ने मुगलों को हराकर लगभग सारा भारत उन से मुक्त करा लिया था| पर हमारी ही विकृतियों से हम फिर गुलाम बने| इसमें किसी अन्य का दोष नहीं था|
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अँगरेज़ भारत से गए इसका कारण था ..... द्वितीय विश्वयुद्ध में उनकी पराजय, आज़ाद हिन्द फौज, १९४६ में नौसेना का विद्रोह, भारतीय सिपाहियों द्वारा अँगरेज़ अधिकारियों के आदेश न मानना, और क्रांतिकारियों का भय| जाते जाते वे सत्ता अपने मानस पुत्रों को सौंप गए| मानसिक रूप से हम अभी भी गुलाम हैं|
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ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१४ दिसंबर २०१८

लोगों को मुफ्तखोर, हरामी और बेईमान मत बनाओ .....

लोगों को मुफ्तखोर, हरामी और बेईमान मत बनाओ .....
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मुफ्त का सामान बाँटना बंद करो| फ्री राशन. फ्री शौचालय, फ्री गैस, फ्री मकान .... सब बंद करो| लोगो को काम करना सिखाओ, उनको ईमानदार, देशभक्त, मेहनती और चरित्रवान बनाओ| उनमें काम करने की आदत डालो| लोगों को भिखारी और बेईमान मत बनाओ| योग्यता का सम्मान करो, सब तरह का आरक्षण बंद करो| समान नागरिक संहिता लाओ, तुष्टिकरण बंद करो| 

जनसंख्या नियंत्रित करो, धारा ३७०, ३५अ, ३०, जैसी देश विरोधी धाराएँ हटाओ| वास्तविक विकास आत्मा का विकास है| देशभक्त, स्वाभिमानी, चरित्रवान, ईमानदार, निष्ठावान, शिक्षित, कार्यकुशल और राष्ट्र को समर्पित नागरिक ही राष्ट्र की वास्तविक संपत्ति हैं| वे होंगे तो सब कुछ सही होगा| हमें अपनी अस्मिता और राष्ट्रीय चरित्र की रक्षा करनी चाहिए| साफ सुथरी चौड़ी चौड़ी सड़कें और अति सुन्दर बड़े बड़े भवनों से ही राष्ट्र विकसित नहीं होता|

भारत का मतदाता .....

भारत का मतदाता .....
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भारत के एक सामान्य मतदाता को क्या पता है कि ..... (१) राजकोषीय घाटा क्या होता है?, (२) जो सब्सिडी में और निःशुल्क वितरण में मिलता है उसका मूल्य कौन चुकाता है?, (३) जीडीपी रेट में वृद्धि क्या होती है?.
भारत का मतदाता सदा शिकायत ही करता रहता है| उसे प्याज और दाल बहुत सस्ते में चाहिए, उसी समय किसान को उसकी ऊंची कीमत भी मिलनी चाहिए| भारत के मतदाता में ऐसी धारणा है कि हर कार्य सरकार ही करेगी, उसे तो शिकायत और निंदा के सिवाय और कुछ भी नहीं करना है| भारत के मतदाता को दूरगामी परिणामों के बारे कोई चिंता नहीं है| उसको तो सब कुछ इसी समय और अभी चाहिए| भारत के मतदाता की याददाश्त बहुत कम है और भविष्य की दृष्टी भी बहुत सीमित है| भूतकाल को तो वह बहुत ही शीघ्र भूल जाता है|
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भारत का मतदाता जाति के आधार पर मतदान करता है| जातिवाद सरकारी आरक्षण के कारण जीवित है| इस जातिवादी आरक्षण के कारण भारत में योग्यता की कोई कद्र नहीं है, प्रतिभाशाली लोग देश छोड़कर चले जाते हैं, और अयोग्य लोग प्रशासन चलाते हैं|
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भारत के समृद्ध किसान ऋण माफी के लिए आन्दोलन करते हैं| पर उस ऋण की कीमत कौन चुकाएगा? वह राशि तो देश के नागरिकों से ही करों के रूप में वसूली जायेगी| क्या उस ऋण की राशि को सचमुच कृषि में ही लगाया जाता है? उससे कृषि मजदूर और बटाई पर खेती करने वाले को क्या लाभ होता है?
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भारत की रक्षा व्यवस्था पांच वर्ष पहिले से बहुत अच्छी है| पाकिस्तान और चीन भारत से युद्ध करने में घबराते हैं| पर यह कैसे हुआ इसका मतदाता को क्या पता है?
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भारत के दूरगामी हितों के बारे में ही सोचते रहने से कोई चुनाव नहीं जीता जा सकता| चुनाव वही जीत सकता है जो खाओ और खाने दो की नीति में विश्वास रखता हो| बड़ी जटिल अवस्था है भारत की| भगवान ही मालिक है| वही २०१९ के चुनावों में भारत का बेड़ा पार लगाएगा|
ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
१३ दिसंबर २०१८