Saturday 4 March 2017

खाटू श्याम जी का मेला .....

खाटू श्याम जी का मेला .....
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मुख्य मेला फाल्गुन शुक्ल पक्ष की द्वादसी को भरता है पर आज अष्टमी के दिन से ही मेले का प्रारम्भ हो गया है जो होली तक चलेगा| कुम्भ के मेले के पश्चात सर्वाधिक भीड़ इस मेले में होती है| भगवान की भक्ति की पराकाष्ठा देखनी हो तो इस मेले से अधिक अच्छा संभवतः ही अन्यत्र कहीं देखने को मिले|
हर रास्तों से लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ इस समय हाथों में ध्वज लिए पैदल ही भजन-कीर्तन करते हुए खाटू की ओर बढ़ रही है| थोड़ी थोड़ी दूर पर हज़ारों सेवार्थी आगंतुकों की सेवा में खड़े हैं| एकादशी को तो पूरी रात ही भजन-कीर्तन होते हैं|
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यह मंदिर राजस्थान के सीकर जिले में पड़ता है| सबसे समीप का रेलवे स्टेशन रींगस है| राजस्थान में शेखावाटी की संस्कृति और भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति ही देखनी हो तो एक बार यहाँ अवश्य आना चाहिए| प्रशासन के द्वारा और स्वयंसेवकों के द्वारा बहुत अच्छी व्यवस्था रहती है|
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इस स्थान की महिमा और कथा का वर्णन स्कन्द पुराण में है| महाभारत युद्ध के समय की घटना है यह| इसका पूरा वर्णन प्रसिद्ध है अतः यहाँ लिखने की कोई आवश्यकता नहीं है|
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इस मंदिर का विस्तृत इतिहास राजस्थान पत्रिका के "नगर परिक्रमा" स्तम्भ के अंतर्गत एक बार छपा था| उसके अनुसार दो बार मुग़ल शासकों ने इस मंदिर को तोड़ा था| एक बार तो औरंगजेब की सेना ने इस मंदिर को नष्ट कर दिया था| उस समय इस मंदिर की रक्षा के लिए अनेक राजपूतों ने अपना प्राणोत्सर्ग किया था| फिर दुबारा मुग़ल बादशाह फर्रूखशियर ने इसको तोड़ा था तब क्षेत्र के राजपूतों के साथ साथ ब्राह्मणों ने भी शस्त्र उठाकर युद्ध किया था| उस समय मंदिर के महंत मंगल दास और उनके भंडारी सुन्दर दास की कथा बहुत प्रसिद्ध हुई थी| उनके सिर कट गए पर धड़ युद्ध करते करते मुग़ल सेना के अन्दर तक चले गए, जिससे डर कर मुग़ल सेना भाग खड़ी हुई| बादशाह फर्रूखशियर ने उनके पैरों में पड़कर माफी माँगी और स्वयं को गाफिल बताया तब जाकर वे धड़ शांत हुए| तब एक कहावत पड़ी थी ... शीश कटा खाटू लड़े महंत मंगलदास| फिर कभी मुग़ल सेना का कभी इस ओर आने का साहस नहीं हुआ|
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यहाँ श्रद्धालुओं की भक्ति और लगन देखकर कोई भी भाव विह्वल हो जाएगा|
भगवान श्रीकृष्ण और उनके भक्त बर्बरीक की जय, जिनका भव्य मंदिर खाटू ग्राम में खाटू श्याम जी के नाम से प्रसिद्ध है| जय हो |

परमात्मा से प्रेम करो .....

मेरे प्रियतम निजात्मगण, आप सब मेरी ही आत्मा और मेरे ही प्राण हो| आप सब को नमन|
मेरे पास इस समय आप को बताने के लिए सिर्फ चार ही बातें हैं| उससे हट कर अन्य कुछ भी नहीं है| इनका आप कुछ भी अर्थ निकालो आप स्वतंत्र हैं .....
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(१) परमात्मा से प्रेम करो|
(२) परमात्मा से और भी अधिक प्रेम करो|
(३) अपने पूर्ण हृदय, मन और शक्ति के साथ परमात्मा से प्रेम करो|
(४) परमात्मा को इतना अधिक अपने पूर्ण हृदय मन और क्षमता से प्रेम करो कि आप स्वयं ही प्रेममय हो जाएँ| आप में और परमात्मा में कोई भेद न रहे| स्वयं की चेतना को पूर्णतः उनमें समर्पित कर दो|
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मेरी बात आप को अच्छी लगी हो तो ठीक है, अन्यथा आप मुझे अवरुद्ध (Block) कर सकते हैं| मेरे पास कहने को और कुछ भी इस समय नहीं है| मेरी किसी से कोई अपेक्षा नहीं है और न मुझे किसी से कुछ चाहिए| आप क्या सोचते हैं यह आपकी समस्या है| आप सब को शुभ कामनाएँ और पुनश्चः नमन|
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ॐ तत्सत् | गुरु ॐ ||

पूरे विश्व में राष्ट्रवाद का पुनर्जागरण .....

इस समय पूरे विश्व में राष्ट्रवाद का पुनर्जागरण हो रहा है| पता नहीं यह एक शुभ लक्षण है या अशुभ, पर भारत के लिए तो मैं इसे शुभ ही मानता हूँ| भारत की सोई हुई चेतना को राष्ट्रवाद ही जगा सकता है|
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राष्ट्रवाद की विचारधारा द्वीतीय विश्व युद्ध के पश्चात भारत में तीब्रता से फ़ैली जिसने अंग्रेजों को भारत छोड़ने को बाध्य कर दिया था| भारत में राष्ट्रवाद को जगाने में वीर सावरकर, नेताजी सुभाष बोस और डा.हेडगेवार आदि का बहुत बड़ा योगदान था| चीन में माओ ने भी वहाँ के साम्यवाद को चीनी राष्ट्रवाद से जोड़ा| पर भारत में साम्यवाद सदा ही राष्ट्रवाद का विरोधी रहा| रूस में पुतिन ने भी रूसी राष्ट्रवाद को प्रमुखता दी है| अमेरिकी राष्ट्रवाद की परिणिति ट्रम्प का राष्ट्रपति बनना है| राष्ट्रवाद के कारण ही ब्रिटेन योरोपीय संघ से अलग हुआ| अब फ़्रांस और हॉलैंड में भी राष्ट्रवाद उफान पर है| पूर्वी योरोप के देशों में भी राष्ट्रवादी विचारधारा तेजी से जागृत हो रही है| राष्ट्रवाद के कारण ही माननीय श्री नरेन्द्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बन पाए|
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भारत में राष्ट्रवाद के साथ साथ भक्ति का भी जागरण हो रहा है, यह एक अच्छा लक्षण है| इसी माह की दस तारीख को एक अमेरिकी लडकी हमारे यहाँ आ रही है हिन्दू रीती से अपना विवाह करवाने के लिए| उसका पूरा परिवार और सारे सम्बन्धी सनातन धर्म का पालन करते हैं| इस विवाह में अमेरिका और आस्ट्रेलिया से लगभग ६० परिवार आ रहे हैं| अब तक विश्व में पिछ्ले कुछ समय से लोग हठयोग की बाते करते थे, अब भक्ति की बातें अधिक हो रही हैं|
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मैं तो इस नतीजे पर पहुंचा हूँ कि आने वाला समय अच्छा ही अच्छा होगा| पिछले पचास वर्षों में लोगों की चेतना और ज्ञान असामान्य रूप से बहुत अधिक बढे हैं| और उत्तरोत्तर चेतना का तीब्र गति से विकास ही हो रहा है|
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पूरे विश्व की चेतना भारत से यह अपेक्षा करती है कि भारत एक आध्यात्मिक देश बने और आध्यात्म की ज्योति के दर्शन पूरे विश्व को कराये| अब यह भारत के लोगों पर निर्भर है कि वे कितने आध्यात्मिक बनते हैं|
सारी दुनिया इस समय एक तनाव, भय और असुरक्षा के भाव से ग्रस्त है| सब लोग सुख, शांति और सुरक्षा को ही ढूँढ रहे हैं जो उन्हें कहीं नहीं मिलती|
वह सुख, शांति और सुरक्षा उन्हें भारत के आध्यात्म में ही मिल सकती है|
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न तो ईसाई देश और न मुस्लिम देश और न कोई नास्तिक देश, कोई भी इस समय सुखी नहीं हैं| सब जगह एक भयावह तनाव, असुरक्षा और भय व्याप्त है| सारे अब्राहमिक मतों ने अपने अनुयाइयों को अनंत सुख और शान्ति की आशा दी जो उन्हें कभी भी नहीं मिली| विश्व एक संक्रांति काल से गुजर रहा है| कुछ न कुछ निश्चित रूप से निकट भविष्य में सकारात्मक रूप से घटित होगा| विश्व की चेतना बापस अन्धकार के युग में नहीं जा सकती|
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सभी को शुभ कामनाएँ और नमन ! ॐ ॐ ॐ ||