Thursday, 25 September 2025

नक्षत्र भी अंधकार में ही ज्योतिर्मय होते हैं ---

 नक्षत्र भी अंधकार में ही ज्योतिर्मय होते हैं ---

प्रकाश का अस्तित्व अंधकार से है। असत्य के अंधकार से हम विचलित न हों। जो परमात्मा प्रकाश में हैं, वे ही अंधकार में हैं; लेकिन वे इन दोनों से परे हैं। हमारी चेतना में निरंतर परमात्मा का प्रकाश हो जिस से असत्य व अज्ञान का अन्धकार दूर हो। परमशिव के ध्यान में शाश्वत प्रकाश है। सुख-दुःख, पाप-पुण्य, धर्म-अधर्म -- सब उन्हीं के मन की कल्पना है। प्रकाश का अभाव ही अंधकार है, और अंधकार का अभाव ही प्रकाश। इस प्रकाश और अंधकार के खेल से ही यह सृष्टि चल रही है।
मनुष्य विवश है, परिस्थितियों का दास है। सब कुछ प्रकृति के वश में है; मनुष्य का राग-द्वेष और अहंकार ही बंधन है। लोभ और अहंकार से मुक्त व्यक्ति ही स्वतंत्र, धार्मिक और जीवनमुक्त है। ॐ तत्सत्॥
कृपा शंकर
२६ सितंबर २०२५