क्या में मुक्त हूँ? इसका उत्तर अपने अंतर्मन में झांक कर बहुत अच्छी तरह से सोच-विचार कर दे रहा हूँ -- नहीं, बिल्कुल नहीं।
Monday, 18 October 2021
क्या में मुक्त हूँ? ---
पूरी सख्ती के साथ ड्रग्स के धंधे को बंद कर देना चाहिए ---
मेरे इष्टदेव कौन हैं? ---
जिसे हम खोज रहे हैं, वह तो हम स्वयं हैं ---
जिसे हम खोज रहे हैं, वह तो हम स्वयं हैं। भगवान से पृथकता ही हमारे सब दु:खों का कारण है। अन्य कोई कारण नहीं है। उन से जुड़ाव ही आनंद है, बाकि सब एक मृगमरीचिका है, जिसकी परिणिति मृत्यु है। भगवान को अपने भीतर प्रवाहित होने दो, फिर उस प्रवाह में सब कुछ समर्पित कर दो। कहीं पर भी कोई अवरोध नहीं होना चाहिए। दिन का प्रकाश, रात्रि का अन्धकार, प्रकृति का सौंदर्य, फूलों की महक, पक्षियों की चहचहाहट, सूर्योदय और सूर्यास्त, प्रकृति की सौम्यता और विकरालता, यह सारा विस्तार और उस से परे जो कुछ भी है, सर्वव्यापकता, सर्वशक्तिमत्ता, सर्वज्ञता, सारे विचार, सारे दृश्य और सम्पूर्ण अस्तित्व मैं हूँ। मुझ से परे अन्य कुछ भी नहीं है। मैं यह देह नहीं, परमशिव हूँ।
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दशहरा की अनंत शुभ कामनाएं। एक स्मृति ग्रेट निकोबार की ---
बुराई पर अच्छाई की विजय एक भ्रम है, इन दोनों से ही ऊपर उठना होगा ----
बुराई पर अच्छाई की विजय एक भ्रम है। इन दोनों से ही ऊपर उठना होगा। यह छाया और प्रकाश का खेल है। सूर्य की ओर मुंह करेंगे तो हमारे समक्ष प्रकाश होगा, और विपरीत दिशा में अंधकार। परमात्मा की ओर उन्मुख होंगे तो सुख है और उससे विपरीत दिशा में दुःख। हमारे अनुभव हमें सब सीखा देंगे। जीवन का उद्देश्य भगवत्-प्राप्ति है। यह भगवत्-प्राप्ति ही सत्य-सनातन धर्म है। यही भारत की अस्मिता और भारत का प्राण है।
भारत में वास्तविक विकास तभी होगा जब पूरे देश में ---
भारत में वास्तविक विकास तभी होगा जब पूरे देश में ---
भारत विजयी हो ---
इस सृष्टि में परमात्मा ही एकमात्र सत्य हैं, वे नित्य हैं, कुछ भी अनित्य नहीं है ---
मेरा अस्तित्व ही भगवान की अभिव्यक्ति है। जहाँ तक भगवान की भक्ति है वह दो चरणों में होती है ---
हमारा चरित्र, श्वेत कमल की भाँति इतना उज्जवल हो, जिसमें कोई धब्बा ना हो ---
हम नवरात्रि के त्योहार क्यों मनाते हैं?