Sunday, 1 October 2017

बिना पैंदे के लोटे की तरह हम न बनें .....

बिना पैंदे के लोटे की तरह हम न बनें .....
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बिना पैंदे के लोटे की तरह हम न बनें जिसे कोई भी चाहे जैसी दिशा में ही गुड़ा दे यानि झुका दे ... प्राचीन भारत में बालकों को उपदेश दिया जाता था ... "अश्मा भव परशुर्भव हिरण्यमस्तृतं भव"| यानि चट्टान की तरह अडिग और शक्तिशाली बन (समुद्र में खड़ी चट्टान पर सागर की प्रचंड लहरें बड़े वेग से टक्कर मारती हैं, पर चट्टान पर उसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता|), परशु की तरह तीक्ष्ण बन (परशु पर कोई गिरे वह कट जाए और परशु जिस पर गिरे वह भी कट जाए), स्वर्ण की तरह पवित्र बन (जिसे कोई अपवित्र न कर सके)|
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पता नहीं भारत में क्लीव कायरता कहाँ से आ गयी? सत्य को समझने का हम प्रयास नहीं करते| स्वयं को झूठे आदर्शों और झूठे नारों, व दूसरे क्या सोचेंगे इस तरह के भ्रामक विचारों से बाँध रखा है|
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सत्य ही नारायण है, सत्य ही परमात्मा है और सत्य ही सबसे बड़ा गुण है|
दूसरों के कन्धों पर रख कर बन्दूक न चलाएँ| अपनी कमी को दूर करें, दूसरों को दोष न दें|

ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||