आजकल देरी से विवाह के कारण अनेक सामाजिक समस्याओं का जन्म हो रहा है। विवाह योग्य लड़के भी नहीं मिलते और लड़कियाँ भी नहीं मिलतीं। बहुत देरी से विवाह होते हैं, जिसके कारण अनेक समस्याएँ जन्म ले रही हैं। दोनों ही ओर से महत्वाकांक्षाएँ बहुत अधिक बढ़ गई हैं।
किसी भी परिस्थिति में लड़कों का विवाह २५ वर्ष की आयु से पूर्व हो जाना चाहिए, और लड़कियों का विवाह २२ वर्ष की आयु तक हो जाना चाहिए। विवाह के बाद भी उन्हें अपनी पढ़ाई-लिखाई चालू रखने का अवसर मिलना चाहिए।
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भारत के हिन्दू समाज में विदेशी अधर्मी आक्रांताओं के आतंक और अत्याचार के कारण बाल-विवाह की कुप्रथा सामाजिक विवशताओं के कारण आरंभ हुई थी। ये विदेशी अधर्मी आक्रांता भारत में बालिकाओं का अपहरण कर के ले जाते, और उनके परिवार के बड़े-बूढ़ों की हत्या कर देते थे। अब तो स्वतंत्र भारत में बाल-विवाह की प्रथा समाप्त हो गई है।
रात्री में विवाह की कुप्रथा (जो दुर्भाग्य से अभी भी चल रही है) भी विदेशी अधर्मी आक्रांताओं के आतंक के कारण आरंभ हुई थी। विदेशी आक्रमणों से पूर्व विवाह संस्कार दिन में ही होते थे। दिन में विवाह होने से विवाह का बहुत अधिक अनावश्यक खर्च बच जाता है।
कृपा शंकर
27 नवंबर 2022