मेरी दृष्टी में भारत की सभी समस्याएँ और उन सब का समाधान :---
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भारत की एकमात्र समस्या राष्ट्रीय चरित्र की है | यह कोई गहरी समस्या नहीं है | इसका समाधान भी कोई जटिल नहीं है | इसके अतिरिक्त भारत की अन्य कोई समस्या नहीं है | जब राष्ट्रीय चरित्र जागृत होगा तो अन्य सब समस्याएँ तिरोहित हो जायेंगी |
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इसका समाधान बाहर नहीं बल्कि प्रत्येक भारतीय के भीतर है | इसे जानने के लिए सबसे पहिले प्रखर राष्ट्रवाद को जगाना होगा | यदि मैं यह कहूँ कि भारत की सभी समस्याओं के समाधान के लिए सबसे पहली आवश्यकता 'हिन्दू राष्ट्रवाद' है तो मैं गलत नहीं हूँ | यहाँ हिंदुत्व से मेरा अभिप्राय एक ऊर्ध्वमुखी चेतना से है | हिंदुत्व एक ऊर्ध्वमुखी वैचारिक चेतना है जो मनुष्य को देवत्व की ओर अग्रसर करती है | ऐसे लोगों की भूमि ही 'भारतवर्ष' है |
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भारतीयों के स्वाभिमान को जगाने की सबसे पहली आवश्यकता है | भारत का वर्तमान इतिहास तो भारत के शत्रुओं का लिखा हुआ है | भारत के सही इतिहास की जानकारी सबको देना सबसे पहली सीढ़ी है | अनेक संस्थाएँ इस कार्य में लगी हुई हैं | भारत का सही इतिहास सबको पढ़ाया जाए तो भारतीयों में एक निज गौरव और स्वाभिमान की भावना जागृत होगी | जब प्रत्येक भारतीय में स्वाभिमान जागृत होगा तभी उनका सर्वश्रेष्ठ बाहर आयेगा |
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विश्व के जितने भी देशों ने प्रगति की है उसके पीछे मूल कारण उनका राष्ट्रवाद था | अन्य देशों का राष्ट्रवाद उनके पड़ोसियों के लिए घातक रहा है पर भारत का राष्ट्रवाद समस्त सृष्टि के लिए कल्याणकारी होगा क्योंकि भारतीय दर्शन सबके कल्याण की कामना करता है और सर्वस्व में वासुदेव के दर्शन कराता है |
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भारत का भविष्य भारत के प्रखर राष्ट्रवाद में है, पूरी पृथ्वी का भविष्य भारत के भविष्य पर निर्भर है, और पूरी सृष्टि का भविष्य पृथ्वी के भविष्य पर निर्भर है क्योंकि इस पृथ्वी पर भारत में ही परमात्मा की अभिव्यक्ति सर्वाधिक हुई है | अगर भारत का अभ्युदय नहीं हुआ तो इस विश्व का सम्पूर्ण विनाश निश्चित है | सिर्फ और सिर्फ हिंदुत्व ही इस विनाश से रक्षा कर सकता है | यहाँ मैं यह भी कहना चाहूँगा की भारतवर्ष कोई भूखंड नहीं है यह हमारी साक्षात् माता है | भारतवर्ष ही सनातन धर्म है जिस पर सारी सृष्टि टिकी हुई है और सनातन धर्म ही भारतवर्ष है | जो भी संस्थाएँ इस दिशा में जुटी हुई हैं वे सब सही कार्य कर रही हैं | ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||
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कृपा शंकर
३० सितम्बर २०१३
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भारत की एकमात्र समस्या राष्ट्रीय चरित्र की है | यह कोई गहरी समस्या नहीं है | इसका समाधान भी कोई जटिल नहीं है | इसके अतिरिक्त भारत की अन्य कोई समस्या नहीं है | जब राष्ट्रीय चरित्र जागृत होगा तो अन्य सब समस्याएँ तिरोहित हो जायेंगी |
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इसका समाधान बाहर नहीं बल्कि प्रत्येक भारतीय के भीतर है | इसे जानने के लिए सबसे पहिले प्रखर राष्ट्रवाद को जगाना होगा | यदि मैं यह कहूँ कि भारत की सभी समस्याओं के समाधान के लिए सबसे पहली आवश्यकता 'हिन्दू राष्ट्रवाद' है तो मैं गलत नहीं हूँ | यहाँ हिंदुत्व से मेरा अभिप्राय एक ऊर्ध्वमुखी चेतना से है | हिंदुत्व एक ऊर्ध्वमुखी वैचारिक चेतना है जो मनुष्य को देवत्व की ओर अग्रसर करती है | ऐसे लोगों की भूमि ही 'भारतवर्ष' है |
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भारतीयों के स्वाभिमान को जगाने की सबसे पहली आवश्यकता है | भारत का वर्तमान इतिहास तो भारत के शत्रुओं का लिखा हुआ है | भारत के सही इतिहास की जानकारी सबको देना सबसे पहली सीढ़ी है | अनेक संस्थाएँ इस कार्य में लगी हुई हैं | भारत का सही इतिहास सबको पढ़ाया जाए तो भारतीयों में एक निज गौरव और स्वाभिमान की भावना जागृत होगी | जब प्रत्येक भारतीय में स्वाभिमान जागृत होगा तभी उनका सर्वश्रेष्ठ बाहर आयेगा |
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विश्व के जितने भी देशों ने प्रगति की है उसके पीछे मूल कारण उनका राष्ट्रवाद था | अन्य देशों का राष्ट्रवाद उनके पड़ोसियों के लिए घातक रहा है पर भारत का राष्ट्रवाद समस्त सृष्टि के लिए कल्याणकारी होगा क्योंकि भारतीय दर्शन सबके कल्याण की कामना करता है और सर्वस्व में वासुदेव के दर्शन कराता है |
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भारत का भविष्य भारत के प्रखर राष्ट्रवाद में है, पूरी पृथ्वी का भविष्य भारत के भविष्य पर निर्भर है, और पूरी सृष्टि का भविष्य पृथ्वी के भविष्य पर निर्भर है क्योंकि इस पृथ्वी पर भारत में ही परमात्मा की अभिव्यक्ति सर्वाधिक हुई है | अगर भारत का अभ्युदय नहीं हुआ तो इस विश्व का सम्पूर्ण विनाश निश्चित है | सिर्फ और सिर्फ हिंदुत्व ही इस विनाश से रक्षा कर सकता है | यहाँ मैं यह भी कहना चाहूँगा की भारतवर्ष कोई भूखंड नहीं है यह हमारी साक्षात् माता है | भारतवर्ष ही सनातन धर्म है जिस पर सारी सृष्टि टिकी हुई है और सनातन धर्म ही भारतवर्ष है | जो भी संस्थाएँ इस दिशा में जुटी हुई हैं वे सब सही कार्य कर रही हैं | ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||
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कृपा शंकर
३० सितम्बर २०१३