Sunday 5 March 2017

आध्यात्मिक रक्षा कवच की आवश्यकता ...

वर्तमान समय में अनिष्ट आसुरी शक्तियों से रक्षा के लिए घर में एक आध्यात्मिक सुरक्षा कवच का निर्माण आवश्यक है| प्रातः सायंकाल की आरती से, नियमित ध्यान साधना से, निरंतर हरि स्मरण से, या अमोघ शिव कवच, बजरंग बाण, दुर्गा कवच आदि में से किसी एक के पाठ से, एक रक्षा कवच का निर्माण होता है|

पूजा के समय शंख में जल रखें व उसमे तुलसी पत्र हो| पूजा के उपरांत वह जल घर के दरवाजे से लेकर सभी कमरों में छिडकें| इस कार्य में नियमितता और निरंतरता बनाए रखें|

माथे पर तिलक और शिखा धारण, परमात्मा में दृढ़ आस्था, सादा जीवन उच्च विचार, भारतीय वेषभूषा, घर का सात्विक वातावरण, सात्विक आहार, नियमित दिनचर्या ..... ये सब हमारी आसुरी शक्तियों से रक्षा करते हैं|
आनेवाले संकटों से बचने और बचाने के लिए आध्यात्मिक शक्ति का आवाहन व संवर्धन आवश्यक हो गया है|

सभी को शुभ कामनाएँ और नमन ! ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||

तमोगुण बहुत अधिक शक्तिशाली है .....

तमोगुण बहुत अधिक शक्तिशाली है| मैं गुणातीत होने की साधना करता हूँ, पर ज़रा सा भी असावधान होते ही तमोगुण आकर मेरे विवेक की अग्नि को अपनी राख से ढक देता है|
अतः साधू, सावधान !
हर समय सजग और सतर्क रह, ज़रा सा भी असावधान मत हो|
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यदि मैं सजग हूँ तो मेरे साथ कुछ भी अनिष्ट नहीं हो सकता, कोई मेरा कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता जब तक उसमें परमात्मा की स्वीकृति न हो|
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मैं दुखी और सुखी तो अपने पाप और पुण्य के विचारों से अर्जित प्रारब्ध कर्मों से हूँ, न कि दूसरे व्यक्तियों द्वारा| द्वेषी व्यक्ति तो मेरे हितैषी है क्योंकि वे मेरे पूर्व अर्जित पाप के भार को कम करते हैं| सुख-दुःख का कारण तो मेरे पुण्य और पाप के विचारों का फल हैं, इसमें दूसरे का कोई दोष नहीं है| जिस दुःख-सुख को मैनें अपने कर्मों से उत्पन्न किया है वही मैं भोग रहा हूँ| द्वेषी व्यक्ति तो मेंरा हित ही कर रहे हैं|
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अतः साधू, सावधान ! अब तूँ किसी अन्य को किसी भी परिस्थिति में दोष नहीं देगा|

ॐ तत्सत् | गुरु ॐ | ॐ ॐ ॐ ||