तमोगुण बहुत अधिक शक्तिशाली है| मैं गुणातीत होने की साधना करता हूँ,
पर ज़रा सा भी असावधान होते ही तमोगुण आकर मेरे विवेक की अग्नि को अपनी राख
से ढक देता है|
अतः साधू, सावधान !
हर समय सजग और सतर्क रह, ज़रा सा भी असावधान मत हो|
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यदि मैं सजग हूँ तो मेरे साथ कुछ भी अनिष्ट नहीं हो सकता, कोई मेरा कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता जब तक उसमें परमात्मा की स्वीकृति न हो|
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मैं दुखी और सुखी तो अपने पाप और पुण्य के विचारों से अर्जित प्रारब्ध कर्मों से हूँ, न कि दूसरे व्यक्तियों द्वारा| द्वेषी व्यक्ति तो मेरे हितैषी है क्योंकि वे मेरे पूर्व अर्जित पाप के भार को कम करते हैं| सुख-दुःख का कारण तो मेरे पुण्य और पाप के विचारों का फल हैं, इसमें दूसरे का कोई दोष नहीं है| जिस दुःख-सुख को मैनें अपने कर्मों से उत्पन्न किया है वही मैं भोग रहा हूँ| द्वेषी व्यक्ति तो मेंरा हित ही कर रहे हैं|
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अतः साधू, सावधान ! अब तूँ किसी अन्य को किसी भी परिस्थिति में दोष नहीं देगा|
अतः साधू, सावधान !
हर समय सजग और सतर्क रह, ज़रा सा भी असावधान मत हो|
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यदि मैं सजग हूँ तो मेरे साथ कुछ भी अनिष्ट नहीं हो सकता, कोई मेरा कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता जब तक उसमें परमात्मा की स्वीकृति न हो|
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मैं दुखी और सुखी तो अपने पाप और पुण्य के विचारों से अर्जित प्रारब्ध कर्मों से हूँ, न कि दूसरे व्यक्तियों द्वारा| द्वेषी व्यक्ति तो मेरे हितैषी है क्योंकि वे मेरे पूर्व अर्जित पाप के भार को कम करते हैं| सुख-दुःख का कारण तो मेरे पुण्य और पाप के विचारों का फल हैं, इसमें दूसरे का कोई दोष नहीं है| जिस दुःख-सुख को मैनें अपने कर्मों से उत्पन्न किया है वही मैं भोग रहा हूँ| द्वेषी व्यक्ति तो मेंरा हित ही कर रहे हैं|
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अतः साधू, सावधान ! अब तूँ किसी अन्य को किसी भी परिस्थिति में दोष नहीं देगा|
ॐ तत्सत् | गुरु ॐ | ॐ ॐ ॐ ||
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