अपना पूर्ण प्रेम परमात्मा को दें, किसी भी तरह की कोई शर्त न हो ---
Thursday, 6 January 2022
अपना पूर्ण प्रेम परमात्मा को दें, किसी भी तरह की कोई शर्त न हो ---
गुरु महाराज की जय हो ---
गुरु महाराज की जय हो ---
श्रद्धा और विश्वास ही इस भव सागर से तार देंगे ---
श्रद्धा और विश्वास ही इस भव सागर से तार देंगे। भगवान पर श्रद्धापूर्वक विश्वास करते हुए उनका निरंतर स्मरण कीजिये। उनके ये शाश्वत वचन है ---
त्वदीय पाद पंकजम् नमामि देवी नर्मदे ---
त्वदीय पाद पंकजम् नमामि देवी नर्मदे ---
तुम्हें पाने की कोई इच्छा अब नहीं रही है ---
हे परमात्मा, हे परमेश्वर, तुम अब दूर रहो। तुम्हें पाने की कोई इच्छा अब नहीं रही है। जो आनंद तुम्हारे विरह में है, वह तुमसे मिलने में नहीं हो सकता। अब भगवान को पाने की कोई इच्छा नहीं रही है। उनके विरह में जो मजा आ रहा है वह उनके मिलते ही समाप्त हो जाएगा। अभीप्सा की प्रचंड अग्नि की दाहकता में जलने, और उनके वियोग में तड़फने का अब मजा आने लगा है। मुझे किसी का साथ नहीं चाहिए। पहले मैं भगवान के पीछे पीछे चलता था, अब वे मेरे पीछे पीछे चल रहे हैं। मेरे बिना वे नहीं रह सकते। मैं उन्हें याद नहीं करता, वे ही हर समय मुझे याद रखते हैं।
भक्त होने का या भक्ति करने का भ्रम एक धोखा है ---
भक्त होने का या भक्ति करने का भ्रम एक धोखा है। भगवान अपनी भक्ति स्वयं करते हैं। भगवान एक महासागर हैं और हम एक जल की बूँद। जल की बूँद भी महासागर से मिलकर महासागर हो जाती है। परमशिव में विलीन होकर, हम भी परमशिव हैं।
मेरे लिए फेसबुक सिर्फ एक सत्संग का माध्यम है ---
मेरे लिए फेसबुक सिर्फ एक सत्संग का माध्यम है। बौद्धिक व आध्यात्मिक धरातल पर किसी भी तरह की कोई शंका या संदेह मुझे नहीं है। अधिकांशतः मैं एकांत में ही रहता हूँ, गिने चुने बहुत ही कम लोगों से मिलना-जुलना होता है। जीवन में जो भी अपेक्षाएं हैं वे सिर्फ सृष्टिकर्ता परमात्मा से हैं। किसी से कोई कामना नहीं है। हम एक माध्यम हैं जिन से भगवान प्रवाहित होते हैं। हम अपने अहंकार व लोभ के वशीभूत होकर भगवान के उस प्रवाह को अवरुद्ध कर देते हैं। हम अधिकाधिक निष्ठावान बनने का प्रयास करें। किसी भी तरह की कोई कुटिलता और असत्यता हम में न रहे। एक दिन हम पाएंगे कि हम भगवान के साथ एक हैं, कहीं कोई भेद नहीं है। आप सब मेरी निजात्माएँ हैं। आप सब को नमन।