Thursday 6 January 2022

तुम्हें पाने की कोई इच्छा अब नहीं रही है ---

हे परमात्मा, हे परमेश्वर, तुम अब दूर रहो। तुम्हें पाने की कोई इच्छा अब नहीं रही है। जो आनंद तुम्हारे विरह में है, वह तुमसे मिलने में नहीं हो सकता। अब भगवान को पाने की कोई इच्छा नहीं रही है। उनके विरह में जो मजा आ रहा है वह उनके मिलते ही समाप्त हो जाएगा। अभीप्सा की प्रचंड अग्नि की दाहकता में जलने, और उनके वियोग में तड़फने का अब मजा आने लगा है। मुझे किसी का साथ नहीं चाहिए। पहले मैं भगवान के पीछे पीछे चलता था, अब वे मेरे पीछे पीछे चल रहे हैं। मेरे बिना वे नहीं रह सकते। मैं उन्हें याद नहीं करता, वे ही हर समय मुझे याद रखते हैं।

नारायण ! नारायण ! नारायण ! हरिः ॐ तत्सत् !!
कृपा शंकर
४ जनवरी २०२२

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