Wednesday, 27 November 2024

आज की दुनियाँ में किसी भी व्यक्ति को बहुत सीधा-साधा और सत्य/धर्मनिष्ठ नहीं दिखना चाहिए ---

आज की दुनियाँ में किसी भी व्यक्ति को बहुत सीधा-साधा और सत्य/धर्मनिष्ठ नहीं दिखना चाहिए। भीतर से सीधे-साधे और सत्य/धर्मनिष्ठ रहो, लेकिन अपनी सत्य/धर्मनिष्ठा को छिपा कर रखो। बाहर से ऐसे रहो कि देखने वाला आपको एक बहुत खतरनाक और जहरीला इंसान समझे। आज की दुनियाँ और समाज ही ऐसे हैं। सीधे-साधे और धर्मनिष्ठ व्यक्ति को सबसे अधिक छला, ठगा और परेशान किया जाता है। सीधे वृक्ष और सीधे व्यक्ति पहले काटे जाते हैं। वर्तमान समाज में यदि जीवित रहना है तो दुष्ट और कुटिल होने का झूठा दिखावा करना ही होगा।

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हर कार्य बहुत अच्छी तरह सोच-समझ कर करो। यदि आप के पास धन है तो धार्मिक होने का दिखावा कर के ठग लोग ही आपके पास आप को छलने आएंगे। वे महिलाएं भी हो सकती हैं और पुरुष भी। उनको पहिचानो। विपरीत सेक्स से दूरी रखो और सावधान रहो। भगवान ने हमें विवेक दिया है, उसके प्रकाश में सारे कार्य करो। यह मैं बहुत जिम्मेदारी और अपने अनुभव से लिख रहा हूँ।
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जिन्होंने मेरे साथ छल और विश्वासघात किया है, उन्होने वह भगवान के साथ ही किया है। मेरे साथ जिन्होंने उपकार किया है, वह भी भगवान के साथ ही किया है। मेरे साथ बहुत अधिक छल हुआ है। मैं नहीं चाहता कि और भी कोई छला जाये।
ॐ तत्सत् !! ॐ स्वस्ति !!
कृपा शंकर
२८ नवंबर २०२२

जीवन का हर पल आनंद है, पूरा जीवन एक उत्सव है ---

जीवन का हर पल आनंद है। पूरा जीवन एक उत्सव है। इस उत्सव को भगवान में स्थित होकर मनाओ। भगवान हमारे से पृथक नहीं, हमारे साथ एक हैं। भगवान सत्यनारायण हैं।

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सत्य-सनातन-धर्म की रक्षा स्वयं भगवान करेंगे। वे वचनबद्ध हैं। हम तो धर्म का पालन करें, धर्म हमारी रक्षा करेगा। धर्म का पालन ही धर्म की रक्षा है। पूरा मार्गदर्शन -- रामायण, महाभारत, उपनिषदों और पुराणों में है। इनका स्वाध्याय तो हमें ही करना होगा।
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भगवान से जुड़ कर ही हम दूसरों का और स्वयं का कल्याण कर सकते हैं। यह सबसे बड़ी सेवा है। निज जीवन में भगवान को व्यक्त करो। हमारा निवास भगवान के हृदय में है, और भगवान का निवास हमारे हृदय में है।
ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२८ नवंबर २०२३ . पुनश्च: आज सायंकाल में भगवान ने एक बहुत बड़ी सुषुप्ति से बचा दिया। जैसे किसी को बहुत ज़ोर से पिछवाड़े पर डंडा मारकर चेताते हैं, वैसे ही चेता दिया। कल तक जागृति आ ही जाएगी।
भगवान ने सीधे ही पूछ लिया कि तुम होते कौन हो?
प्रत्युत्पन्नमति से कोई उत्तर नहीं आया।
भगवान ने ही कहा कि तुम न तो कर्ता हो, और न भोक्ता। एक साक्षी और निमित्त मात्र हो। वही रहो।
भगवान का आदेश स्वीकार है। मैं एक साक्षी निमित्तमात्र ही हूँ, वही रहूँगा।
भटक गया था।
ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२८ नवंबर २०२२

आत्मा को ही उपलब्ध होने की एक अभीप्सा/उत्कंठा है ---

आध्यात्म में मेरी बौद्धिक भूख-प्यास तो अब तक पूरी तरह तृप्त हो चुकी है। बौद्धिक स्तर पर किसी भी तरह का कोई संशय, या समझने/जानने योग्य कुछ भी नहीं बचा है। महत्वहीन विषयों में मेरी कोई रुचि नहीं है। सिर्फ आत्मा को ही उपलब्ध होने की एक अभीप्सा/उत्कंठा है, जो आत्मा की साधना/उपासना से ही तृप्त होगी। अन्य बौद्धिक विषयों में रुचि समाप्त हो गई है, विहंगावलोकन की भी कोई अभिलाषा नहीं है।

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गंतव्य सामने है, दृष्टि वहीं पर स्थिर है, और कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा है। मेरे साथ क्या होता है, अब इसका कोई महत्व नहीं है। उन अनुभवों से मैं क्या बनता हूँ, सिर्फ उसी का महत्व है। मुझे आप सदा अपने हृदय में पाओगे। भगवान से मेरी एक ही प्रार्थना है कि वे मुझे अनावश्यक गतिविधियों में न उलझाएं, और मुझे सदा अपने हृदय में रखें।
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ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२८ नवंबर २०२३

लगता है ३० मार्च २०२५ के पश्चात नव-निर्माण की एक नयी व्यवस्था का जन्म होगा। उससे पूर्व ही महाविनाश पूर्ण हो चुका होगा ---

लगता है ३० मार्च २०२५ के पश्चात नव-निर्माण की एक नयी व्यवस्था का जन्म होगा। उससे पूर्व ही महाविनाश पूर्ण हो चुका होगा ---

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XXX बहुत अधिक नशे के सेवन से मनुष्य का विवेक नष्ट हो गया है। इस समय इस पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध पर महा विनाश के बादल छाये हुए हैं। स्थिति बहुत विकट है। अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडेन अपने कार्यकाल 20 जनवरी 2025 तक से पहिले पहिले पृथ्वी की आधी से अधिक जनसंख्या को नष्ट करने पर आमादा हैं। वे Deep State के गुलाम, जिद्दी और महा अहंकारी व्यक्ति हैं। उन का Remote Control बरकत हुसैन ओबामा और कमाला हैरिस के हाथ में है।
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समाचार आ रहे हैं कि अमेरिका और ब्रिटेन -- यूक्रेन को अणुबम दे सकते हैं। यूक्रेनी राष्ट्रपति झेलोन्स्की रूस पर अणुबम से तुरंत हमला कर देगा। उससे पहिले ही रूस -- अमेरिका व ब्रिटेन पर आणविक आक्रमण कर सकता है। अमेरिका ने अपने अणुबमवर्षक रूस की सीमा पर तैनात कर दिये हैं। आणविक युद्ध हुआ तो पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध की आधी से अधिक जनसंख्या नष्ट हो जायेगी। और भी अनेक खतरनाक technical issues हैं। आणविक युद्ध हुआ तो इस पृथ्वी पर आधे से अधिक लोग मारे जायेंगे।
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यह सृष्टि महामाया के आधीन है। वे बड़े बड़े ज्ञानियों को भी महामोह में डाल देती हैं। यदि यह महामाया की ही इच्छा है तो आने वाले इस महाविनाश को कोई नहीं रोक सकता। भगवान ही हमारी रक्षा कर सकते हैं।
"ॐ ज्ञानिनामपि चेतांसि देवी भगवती हि सा।
बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति॥"
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ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२७ नवंबर २०२४

(प्रश्न) : भगवान के ध्यान से हमें क्या मिलेगा? (उत्तर) : जो कुछ भी हमारे पास है, वह सब कुछ छीन लिया जाएगा।

 (प्रश्न) : भगवान के ध्यान से हमें क्या मिलेगा?

(उत्तर) : जो कुछ भी हमारे पास है, वह सब कुछ छीन लिया जाएगा।
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बाकी रह जायेगी केवल एक अनंत सर्वव्यापी सच्चिदानंद की अनुभूति। वे ही कर्ता और भोक्ता हैं। उनके श्रीचरणों में आश्रय मिल जायेगा तो आगे के सारे द्वार अपने आप ही खुलने लगेंगे। सारे दीप भी अपने आप ही प्रज्ज्वलित हो उठेंगे। सारा अंधकार दूर हो जाएगा।
तब आप परमात्मा की वह ज्योति बन जाओगे जो कभी बुझाई नहीं जा सकती। वह ज्योति, उसका अनंत विस्तार, और उसमें से निःसृत हो रहे नाद की ध्वनि आप स्वयं हैं। परमप्रेममय होकर उसी का ध्यान कीजिये। आपका मौन और एकाग्रता -- परमात्मा का सिंहासन बन जाएगा। आप यह मनुष्य देह नहीं, स्वयं साक्षात सर्वव्यापी परमब्रह्म हैं।
ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२७ नवंबर २०२४