Tuesday 20 November 2018

(पुनर्प्रस्तुत). भारत में कभी भी "सती-प्रथा" नहीं थी .....

(पुनर्प्रस्तुत). भारत में कभी भी "सती-प्रथा" नहीं थी .....
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भारत में तथाकथित "सती प्रथा" पर एक बहुत बड़े ऐतिहासिक शोध की आवश्यकता है| हम जो पढ़ रहे हैं वह अंग्रेजों और उनके मानस-पुत्रों का लिखा हुआ इतिहास है जो सत्य नहीं है| इस इतने बड़े असत्य का कारण क्या था इस पर यहाँ कुछ प्रकाश डालने का प्रयास किया गया है|
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अंग्रेज जब भारत छोड़कर गए तब उन्होंने अपने समय के यथासंभव सारे दस्तावेज, वे सारे सबूत जला कर नष्ट कर दिए जो उनके द्वारा किये हुए जनसंहार, अत्याचार और भारतीयों को बदनाम करने के लिए किये गए कार्यों को सिद्ध कर सकते थे| उन्होंने करोड़ों लोगों की हत्याएँ कीं, दुर्भिक्ष की स्थिति उत्पन्न कर करोड़ों को भूख से मरने को विवश किया और हिंदुत्व को बदनाम करने व भारतीय संस्कृति को नष्ट करने के लिए अनेक दुष्कृत्य किये जैसे भारत की शिक्षा व्यवस्था व कृषि प्रणाली को नष्ट करना, हिन्दू धर्मग्रंथों को प्रक्षिप्त करवाना, झूठा इतिहास लिखवाना, आदि आदि| भारत को बहुत धूर्तता, निर्दयता और क्रूरता से बुरी तरह उन्होंने लूटा| पश्चिम की सारी समृद्धि भारत से लूटे हुए धन के कारण ही है| मूल रूप से वे समुद्री लुटेरे थे और भारत में लुटेरों के रूप में लूटने के उद्देश्य से ही आये थे|
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भारत में अंग्रेज़ी शासन स्थापित करने के पश्चात अँगरेज़ शासकों के समक्ष सबसे बड़ी समस्या थी अँगरेज़ सिपाहियों, कर्मचारियों और अधिकारियों को छुट्टी पर इंग्लैंड बापस जाने से रोकना| वे किसी भी कीमत पर उन्हें यहीं रोकना चाहते थे| इसके लिए उन्होंने भारत में अँगरेज़ कर्मचारियों, अधिकारियों और सिपाहियों के लिए वैश्यालय स्थापित किये| भारत के इतिहास में कभी भी व्यवस्थित रूप से वैश्यावृति नहीं थी, वेश्यालयों की तो भारत में कभी कल्पना भी नहीं की गयी थी|
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अंग्रेजों ने सबसे पहिले अपना शासन वर्त्तमान कोलकाता से आरम्भ किया था अतः अपना शासन स्थापित होते ही उन्होंने कोलकाता के सोनागाछी में एशिया का सबसे बड़ा वैश्यालय स्थापित किया| उनकी सबसे बड़ी छावनी भी बंगाल में ही हुआ करती थी| अब उन्हें वैश्या महिलाओं की आवश्यकता थी, अतः उन्होंने अपने शासन के आरम्भ में बंगाल में किसी भी विधवा हुई महिला को बलात बन्दूक की नोक पर अपहृत कर के वैश्या बनने को बाध्य करना आरम्भ कर दिया| बाद में वे विधिवत रूप से गुपचुप छद्म रूप से भारतीय युवतियों का अपहरण करने लगे और उन्हें वैश्या बनने को बाध्य करने लगे| यह कार्य उन्होंने अति निर्दयता और क्रूरता से किया|
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एक बात पर गौर कीजिये कि तथाकथित सती प्रथा वहीं थी जहां अंग्रेजों की छावनियाँ थीं, अन्य कहीं भी नहीं| इसकी प्रतिक्रया यह हुई कि अपनी रक्षा के लिए हिन्दू समाज ने बाल विवाह आरम्भ कर दिए और विधवाओं की अँगरेज़ सिपाहियों से रक्षा के लिए विधवा दहन आरम्भ कर दिये| पर्दा प्रथा भी यहीं से चली|
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इससे पूर्व भारत में अरब, फारस और मध्य एशिया से आये लुटेरों ने भी यही कार्य किया था पर उन्होंने कभी वैश्यालय स्थापित नहीं किये| वे अपने साथ महिलाओं को तो लाये नहीं थे अतः उन्होंने हिन्दुओं की ह्त्या कर के उनकी महिलाओं का अपहरण कर के उनके साथ अपने घर बसाए| जिन हिन्दुओं की वे ह्त्या करते थे उनकी भूमि और महिलाओं पर अपना अधिकार कर लेते थे|
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अंग्रेजों ने फिर मुम्बई में फारस रोड़ पर और जहाँ जहाँ भी वे गए, वहाँ वहाँ अपने सिपाहियों और कर्मचारियों के लिए वैश्यालय स्थापित किये|
हिन्दू महिलाएँ इन विदेशी आक्रमणकारियों से अपनी रक्षा के लिए ही आत्मदहन को बाध्य होने लगीं|
यह था भारत में तथाकथित सती प्रथा यानि महिला दहन का कारण|
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भारत में राजा राममोहन रॉय को बहुत बड़ा समाज सुधारक बताया जाता है, जो वास्तव में एक झूठ है| निःसंदेह वे बहुत बड़े विद्वान् थे पर अंग्रेजी शासन के सबसे बड़े समर्थक भी थे| अंग्रेजी शासन, अंग्रेजी भाषा एवं अंग्रेजी सभ्यता की प्रशंसा जितनी उन्होंने की उतनी शायद ही किसी अन्य भारतीय ने की होगी| उन्होने स्वतंत्रता आन्दोलन में कोई प्रत्यक्ष भाग नहीं लिया, और उनकी अन्तिम सांस भी ब्रिटेन में ही निकली|
अंग्रेजों ने पुरष्कार में उन्हें बहुत बड़ी जमींदारी दी थी, अतः अपनी जमींदारी को चमकाते हुए भारतीय समाज में हीन भावना भरने का ही कार्य उन्होंने किया| वे अंग्रेजों के अदृष्य सिपाही थे| भारत में अंग्रेजी राज्य और गुलामी को स्थापित करने में उनका बहुत बड़ा योगदान था| वे कभी अंग्रेजों की कूटनीति को समझ नहीं सके और भारत का सही मार्गदर्शन नहीं कर पाए|
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भारत का वर्त्तमान इतिहास भारत के शत्रुओं ने ही लिखा है, जिस पर एक बहुत बड़े शोध और पुनर्लेखन की आवश्यकता है| भारत में सतीप्रथा नाम की कोई प्रथा थी ही नहीं| यह अंग्रेजों और उनके मानसपुत्रों द्वारा फैलाया गया झूठ है कि भारत में कोई सतीप्रथा नाम की कुप्रथा थी| भारत में मध्यकाल में जिन लाखों क्षत्राणियों ने जौहर किया था वह उन्होंने विदेशी अधर्मी आक्रान्ताओं से अपनी रक्षा के लिए किया| आज़ादी के बाद भारत में दो चार घटनाएँ हुईं उनके पीछे का कारण अज्ञान और अशिक्षा ही हो सकता है, अन्य कुछ नहीं|
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भारत का भविष्य बहुत उज्जवल है| एक पुनर्जागरण आरम्भ हो रहा है| आगे आने वाला समय अच्छा ही अच्छा होगा| एक आध्यात्मिक क्रांति का भी आरम्भ हो चुका है और भविष्य में भारत एक आध्यात्मिक राष्ट्र होगा|
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ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर
२० नवम्बर २०१६
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प्रख्यात वैदिक विद्वान श्री अरुण उपाध्याय जी की टिप्पणी :---
"सती प्रथा जहां भी हुयी वह विदेशियों के अत्याचार से बचने के लिये हुई थी। बंगाल में भी मुस्लिम शासकों के समय सती प्रथा आरम्भ हुयी तथा अंग्रेजी शासन में बहुत बढ़ गयी। अंग्रेज अपने विलास के लिये स्त्रियों का अपहरण करते थे तथा लगान वसूलने के लिये १० लाख से अधिक लोगों की कृरतापूर्वक हत्या की। इसकाम के लिये न्यायालय बना रखे थे जबकि कोई कानून नहीं बना था। उनमें दो जज विलियम जोन्स तथा एरिक पार्जिटर ने इतिहास में कई जालसाजियां की जो भारतीय इतिहासकारों के लिये वेदव्यास हैं और असली वेदव्यास काल्पनिक हो गये हैं। इसके अतिरिक्त हजारों बुनकरों के हाथ काट दिये तो उन परिवारों की असहाय स्त्रियों का क्या हाल होगा? राम मोहन राय की विद्वत्ता इतनी ही थी कि बिना पढ़े सभी भारतीय शास्त्रों की निन्दा करें। अंग्रेजों ने अपने इस प्रिय इसाई शिष्य को लन्दन में दफनाया था।"

अफगानिस्तान में भारत की उपस्थिति भारत की एक कूटनीतिक परीक्षा है .....

एक बात अंतर्राष्ट्रीय राजनीति की कर रहा हूँ जो भारत के लिए बहुत खतरनाक है, वह है अफगानिस्तान में खूंखार आतंकी संगठन ISIS (इस्लामिक स्टेट) का बड़ी तेज़ी से फ़ैलाव| अफगानिस्तान पर जब पूर्व सोवियत संघ ने अधिकार कर लिया था वह भारत के हित में एक बहुत ही महत्वपूर्ण और अच्छी घटना थी| पर भारत की तत्कालीन सरकार ने इसका समर्थन नहीं किया| भारत की तत्कालीन सरकार की सहानुभूति दुर्भाग्य से पकिस्तान से अधिक थी| पाकिस्तान के विरुद्ध पूर्व सोवियत संघ का उपयोग किया जा सकता था| पकिस्तान की सीमाओं पर सोवियत संघ की उपस्थिति पाकिस्तान के अस्तित्व को ही मिटा सकती थी|
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अमेरिका ने सोवियत संघ को अफगानिस्तान से हटाने के लिए अपनी पूरी शक्ति झोंक दी| अमेरिका ने ही तालिबान को जन्म दिया, और पाकिस्तान को खूब आर्थिक और सैन्य सहायता दी| इसका परिणाम हुआ कि एक लम्बे युद्ध के उपरांत सोवियत संघ को अफगानिस्तान से हटना पड़ा और वहाँ तालिबान का भारत विरोधी शासन स्थापित हुआ जो अंततः अमेरिका का भी घोर विरोधी हो गया| अमेरिका को वहाँ अपनी सेना भेज कर तालिबानी शासन को हटाना ही पड़ा| अमेरिका के हज़ारों सैनिक मरे और बहुत अधिक खर्चा हुआ| अंततः अमेरिका को भी वहाँ से हटना ही पड़ा| इस का सबसे अधिक लाभ पाकिस्तान को हुआ| इस बीच इस कारण व कुछ अन्य कारणों से सोवियत संघ का भी विघटन हो गया था|
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वर्तमान में स्थिति यह है कि अफगानिस्तान भारत का एक मित्र देश है जहाँ भारत ने अनेक महत्वपूर्ण योजनाओं में बहुत अधिक निवेश कर रखा है| पर यह पकिस्तान को स्वीकार्य नहीं है| पाकिस्तान की तालिबान से भी नहीं बन रही है, इसका कारण यह है कि पकिस्तान की सहानुभूति ISIS (इस्लामिक स्टेट) से अधिक है| 'इस्लामिक स्टेट' और तालिबान एक-दूसरे के जानी दुश्मन बन चुके हैं, उनमें सैंकड़ों झड़पें हो चुकी हैं जिन में उन के हज़ारों लड़ाके मारे गए हैं| पकिस्तान भारत के विरुद्ध इस्लामिक स्टेट के लड़ाकों का प्रयोग करना चाहेगा|
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राजनीति में कोई स्थाई शत्रु-मित्र नहीं होते| तालिबान जो कल तक रूस का परम शत्रु था, आज रूस का मित्र है| तालिबान और रूस में तीन वर्ष पूर्व ताजिकिस्तान में शिखर वार्ता भी हो चुकी है| रूस कभी भी यह सहन नहीं करेगा कि इस्लामिक स्टेट का प्रभाव किसी मध्य एशिया के देश में फैले| अब रूस तालिबान की सहायता से इस्लामिक स्टेट को समाप्त कर देना चाहता है| अगर इस्लामिक स्टेट अफगानिस्तान में शक्तिशाली हो जाता है तो यह भारत, ईरान और रूस के लिए बड़ा खतरा होगा| अमेरिका की नीति अफगानिस्तान में विफल रही है और रूस इसका अब पूरा लाभ उठाएगा| क्रीमिया और सीरिया में भी रूस के विरुद्ध अमेरिकी नीति विफल रही है| अफगानिस्तान में रूस निश्चित रूप से 'इस्लामिक स्टेट' के खात्मे के लिए दखल देगा| मध्य एशिया के देश रूस के साथ हैं| इस कार्य के लिए रूस तालिबान की सहायता ले सकता है|
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भारत को भी यह सुनिश्चित करना होगा कि इस्लामिक स्टेट, अफगानिस्तान में अपना अड्डा न बनाए| इस्लामिक स्टेट एक विकराल दैत्य है, जो भारत के लिए बहुत खतरनाक है|अफगानिस्तान में भारत की उपस्थिति भारत की एक कूटनीतिक परीक्षा है|
कृपा शंकर
१९ नवम्बर २०१८

हे परमात्मा, आप बने रहो और यह मोटर साइकिल प्रेम से चलाते रहो .....

हे परमात्मा, आप बने रहो और यह मोटर साइकिल प्रेम से चलाते रहो .....
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इस देह में इन फेफड़ों व नासिकाओं से भगवान सांस ले रहे हैं, इस ह्रदय में धड़क रहे हैं, इन पैरों से चल रहे हैं, इन आँखों से देख रहे हैं, इन हाथों से कार्य कर रहे हैं, यह पूरी देह रूपी मोटर-साइकिल उन्हीं की है| यह मन, बुद्धि, चित्त और अहंकार भी उन्हीं का है| मेरा कुछ होने का आभास एक भ्रम है| हे प्रभु, आप बने रहो..... इसके अतिरक्त मुझे कुछ आता-जाता नहीं है| आप यह मोटर-साइकिल प्रेम से चलाते रहो|

दुनियाँ का सबसे बड़ा झूठ :--

दुनियाँ का सबसे बड़ा झूठ :-- 

"सर्वधर्म समभाव" ये शब्द किसी महाकुटिल घोर धूर्त नास्तिक के मन की कल्पना है जो हिन्दुओं को मुर्ख बनाने के लिए की गयी है| जो लोग ऐसा कहते हैं वे या तो धूर्त हैं या मुर्ख जिन्होनें किसी भी धर्म का अध्ययन नहीं किया है| वास्तविकता तो यह है कि सारे मज़हब ही आपस में लड़ना सिखाते हैं| विश्व में जितनी भी लडाइयाँ चल रही हैं वे मज़हब के नाम पर ही चल रही हैं| यदि सभी धर्म समान ही होते हैं, तो फिर धर्मांतरण और विध्वंश की क्या आवश्यकता थी और है?

ड्रग्स का दुष्प्रभाव :---

ड्रग्स का दुष्प्रभाव :--- 

पिछले बीस वर्षों में अमेरिका में जितने भी बड़े पैमाने पर हत्याकांड हुए उन सब के कारणों का मनोवैज्ञानिक अध्ययन किया गया तो पाया गया कि सारे हत्यारे मन को प्रभावित करने वाले ड्रग्स (powerful psychotropic drugs) यानि घने नशे के आदि थे| सारे हत्यारे या तो ड्रग्स के आदि थे या ह्त्या के समय ड्रग्स के प्रभाव में थे|

सिंगापुर, मलयेशिया, और इंडोनेशिया में अति अति अल्प मात्रा में भी ड्रग्स के मिलने पर मृत्यु-दंड की सजा है| जापान और अमेरिका जैसे देशों में उम्र-कैद की सजा है| विश्व में ड्रग्स की तस्करी सबसे बड़ा घोषित अपराध है|

भारत में ड्रग्स के धंधे को पूरी सख्ती से पूरी तरह बंद कर के युवा पीढी को बर्बाद होने से बचाया जाए|

राम नाम की महिमा :---

राम नाम की महिमा :---
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"बंदउँ नाम राम रघुवर को। हेतु कृसानु भानु हिमकर को॥
बिधि हरि हरमय बेद प्रान सो। अगुन अनूपम गुन निधान सो॥
महामंत्र जोइ जपत महेसू। कासीं मुकुति हेतु उपदेसू॥
महिमा जासु जान गनराउ। प्रथम पूजिअत नाम प्रभाऊ॥
जान आदिकबि नाम प्रतापू। भयउ सुद्ध करि उलटा जापू॥
सहस नाम सम सुनि सिव बानी। जपि जेई पिय संग भवानी॥
हरषे हेतु हेरि हर ही को। किय भूषन तिय भूषन ती को॥
नाम प्रभाउ जान सिव नीको। कालकूट फलु दीन्ह अमी को॥"
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"राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे| सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने||"
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"विष्णोरेकैकनामानि सर्ववेदाधिकं मतम्| तादृङ् नामसहस्रेण रामनाम समं मतम्||"
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"रमन्ते योगिनोSनन्ते सत्यानन्दे चिदात्मनि| इति रामपदेनासौ परम् ब्रह्माभिधीयते||"
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"र" अग्निबीज है जो शोक, मोह, और कर्मबंधनों का दाहक है|
"आ" सूर्यबीज है जो ज्ञान का प्रकाशक है|
"म" चंद्रबीज है जो मन को शांति व शीतलता दायक है|
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"राम" नाम और "ॐ" का महत्व एक ही है| "राम" नाम तारक मन्त्र है, और "ॐ" अक्षर ब्रह्म है| दोनों का फल एक ही है|
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राम राम राम !!