Tuesday 20 November 2018

हे परमात्मा, आप बने रहो और यह मोटर साइकिल प्रेम से चलाते रहो .....

हे परमात्मा, आप बने रहो और यह मोटर साइकिल प्रेम से चलाते रहो .....
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इस देह में इन फेफड़ों व नासिकाओं से भगवान सांस ले रहे हैं, इस ह्रदय में धड़क रहे हैं, इन पैरों से चल रहे हैं, इन आँखों से देख रहे हैं, इन हाथों से कार्य कर रहे हैं, यह पूरी देह रूपी मोटर-साइकिल उन्हीं की है| यह मन, बुद्धि, चित्त और अहंकार भी उन्हीं का है| मेरा कुछ होने का आभास एक भ्रम है| हे प्रभु, आप बने रहो..... इसके अतिरक्त मुझे कुछ आता-जाता नहीं है| आप यह मोटर-साइकिल प्रेम से चलाते रहो|

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