Wednesday, 3 January 2018

साधना मार्ग के कुछ अनुभव .....

साधना मार्ग के कुछ अनुभव .....
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स्वामी रामतीर्थ ने अद्वैत वेदान्त पर देश-विदेश में बहुत सारे प्रवचन दिए थे जिनको लखनऊ की एक संस्था "रामतीर्थ प्रतिष्ठान" ने अंग्रेजी और हिंदी में छपा कर उपलब्ध करवाया था| दोनों भाषाओं में उनके सारे साहित्य को मैनें कोई पचीस वर्ष पूर्व खरीद कर मंगाया था| अंग्रेजी में उनका साहित्य १० खण्डों में था और हिंदी में १६ खण्डों में| अलग से उनकी जीवनी और उनके एक विद्वान् मानस शिष्य द्वारा गीता पर पुस्तक रूप में लिखे लेख भी मंगाकर उनका अध्ययन किया था|
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इस से पूर्व स्वामी विवेकानंद के सम्पूर्ण साहित्य का भी दो बार अध्ययन कर लिया था| रमण महर्षि का भी उपलब्ध साहित्य सारा पढ़ लिया था| ओशो की भी अनेक पुस्तकें पढ़ीं| पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ा परमहंस योगानंद के साहित्य का| श्रीअरविन्द का साहित्य मुझे कभी रुचिकर नहीं लगा, संभवतः उसे समझना मेरी तत्कालीन बौद्धिक क्षमता से परे था| उनके महाकाव्य 'सावित्री' को तो कभी समझ ही नहीं पाया|
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परमहंस स्वामी योगानंद के साहित्य से ध्यान साधना में रूचि जगी और ध्यान का अभ्यास आरम्भ कर दिया| ध्यान में आनन्द आने लगा तो पुस्तकों का अध्ययन छूट गया| फिर उतना ही पढ़ता जिस से ध्यान करने की प्रेरणा मिलती| स्वामी योगानंद के साहित्य की यही खूबी है कि उसे पढने वाले की रूचि पढने से अधिक ध्यान साधना में लग जाती है|
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भगवान की कृपा से मुझे विविध सम्प्रदायों के अनेक महात्माओं का सत्संग मिला, इसलिए मैं सभी का सम्मान करता हूँ| सभी सम्प्रदायों के एक से बढकर एक तपस्वी और विद्वान् महात्मा मिले|
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ध्यान साधना का यह लाभ हुआ कि वेदान्त में रूचि जागृत हुई और वेदान्त की अनुभूतियों से सारे संदेह दूर हो गए| अब बौद्धिक रूप से न तो कुछ पढने की इच्छा है और न कुछ जानने की| कोई संदेह या शंका नहीं है| सारा मार्ग स्पष्ट है| बचा खुचा जो जीवन है वह परमात्मा के ध्यान में ही बिता देना है| भगवान ही प्रेरणा देकर कुछ पढवा देंगे तो पढ़ लूंगा, अन्यथा नहीं|
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एक समय था जब जीवन में बहुत अधिक असंतोष था| क्रोध भी बहुत अधिक आता था| अनेक कुंठाएँ थीं| कई बार अवसादग्रस्त भी हुआ जीवन में| आत्महत्या तक के नकारात्मक विचार जीवन में अनेक बार आये| दो बार हृदयाघात भी हुआ| पर अब वह सब एक स्वप्न सा लगता है| सारा जीवन एक मधुर सपना था|
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अब तो पूर्ण प्रसन्नता है, कोई कुंठा नहीं है, कोई अवसाद नहीं है, अब क्रोध नहीं आता, कोई असंतोष या पछतावा नहीं है| भगवान की अनुभूतियाँ भी खूब होती हैं, जिनसे खूब आनंद आता है| कामनाएँ और अपेक्षाएं भी समाप्त हो गयी हैं| कुल मिलाकर जीवन सुख और प्रसन्नता से भर गया है| अब शांति ही शांति है|
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हे प्रभु, आपकी यह कृपा सदा बनी रहे| ॐ ॐ ॐ !!
०४ जनवरी २०१८ 

हम परमात्मा के प्रवाह के माध्यम हैं .....

हर व्यक्ति एक माध्यम है जिस से परमात्मा प्रवाहित होते हैं| पर हम अपने अहंकारवश परमात्मा के उस प्रवाह को अवरुद्ध कर देते हैं| ध्यान साधना और गहन प्रभु चिंतन द्वारा हम अपने निज जीवन में प्रभु को आकर्षित करते हैं| जितना गहरा हमारा ध्यान और चिंतन होता है, उतनी ही गहराई से भगवान हमारे में व्यक्त होते हैं| हम अधिकाधिक निष्ठावान बनने का प्रयास करें, किसी भी तरह की कोई कुटिलता और असत्यता हम में न रहे| 
आप सब को नमन| ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
०३ दिसंबर २०१८

मेरे लिए फेसबुक एक सत्संग का माध्यम है .....

मेरे लिए फेसबुक सिर्फ एक सत्संग का माध्यम है| परमात्मा पर गहरा ध्यान और हरि-चिंतन ही मेरा मनोरंजन है| मैं अपने जीवन से पूर्ण संतुष्ट, प्रसन्न और सुखी हूँ| किसी से भी कोई शिकायत नहीं है| बौद्धिक व आध्यात्मिक धरातल पर किसी भी तरह की कोई शंका या संदेह मुझे नहीं है| मेरी जितनी पात्रता है, उस से भी बहुत ही अधिक परमात्मा की पूर्ण कृपा मुझ पर है|
मैं स्वभाववश अधिकांशतः एकांत में ही रहता हूँ, गिने चुने बहुत ही कम लोगों से मिलना-जुलना होता है| सत्संग के उद्देश्य से ही कहीं आता-जाता हूँ| बेकार की गपशप और अनावश्यक बातों की आदत नहीं है| ७० वर्ष की आयु के कारण शरीर में भी अधिक भागदौड़ की क्षमता नहीं है| जिस उपनगर में रहता हूँ वह भी नगर के मुख्य केंद्र से बहुत दूर है| आध्यात्म और राष्ट्रवाद के अतिरिक्त अन्य किसी विषय पर मैं बात नहीं करता| आत्म-साक्षात्कार के अतिरिक्त जीवन में कोई अपेक्षा या कामना नहीं रही है|
आप सब मेरी निजात्माएँ हैं| आप सब को नमन| ॐ ॐ ॐ !!

गायत्री, अजपा-जप और ध्यान .....

गायत्री, अजपा-जप और ध्यान .....
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जो द्विज हैं यानी जिन्होनें यज्ञोपवीत धारण कर रखा है उन के लिए गायत्री जप किसी भी परिस्थिति में अनिवार्य है, अन्यथा उनका द्विजत्व च्युत हो जाता है| एक माला तो अनिवार्य है, पर यदि हो सके तो दस माला नित्य करनी चाहिए|
कुछ आचार्यों के अनुसार इस नियम से वे ही मुक्त हैं जो खूब लम्बे समय तक अजपा-जप (सांस के साथ "हं" और "सः" का मानसिक जप) करते हैं| उनके अनुसार अजपा-जप लघु गायत्री है|
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गायत्री मन्त्र के देवता सविता ही ज्योतिर्मय ब्रह्म हैं जिन की भर्गः ज्योति का हम कूटस्थ में ध्यान करते हैं| वे ही परब्रह्म परमशिव हैं, वे ही नारायण हैं, और वे ही आत्म-सूर्य यानी सभी तत्वों के तत्व हैं| उन्हीं के बारे में श्रुति भगवती कहती है ....
"न तत्र सूर्यो भांति न चन्द्र-तारकं
नेमा विद्युतो भान्ति कूतोऽयमग्नि |
तम् एव भान्तम् अनुभाति सर्वं
तस्य भासा सर्वम् इदं विभाति ||"
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"हिरन्मयेन पात्रेण सत्यस्यापिहितं मुखम्
तत् त्वं पूषन्न्-अपावृणु सत्य-धर्माय दृष्टये |"
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"पूषन्न् अकर्ये यम सूर्य प्राजापत्य व्युह-रश्मीन् समूह तेजो यत् ते रूपं कल्याणतमं तत् ते पश्यामि यो ऽसव् असौ पुरुषः सो ऽहम् अस्मि |
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हमें उस आभासित ब्रह्म आत्मसूर्य का ही ध्यान करना चाहिए| वह ही हम हैं|
प्रार्थना :---
हे प्रभु, हे परमात्मा, मैं अपनी तुच्छ और अति अल्प बुद्धि से कुछ भी समझने में असमर्थ हूँ| मुझे इस द्वैत से परे ले चलो, अपनी पवित्रता दो, अपना परम प्रेम दो| इसके अतिरिक्त मुझे कुछ भी नहीं मालूम, और कुछ भी नहीं चाहिए|
हे परम प्रिय, तुम हवाओं में बह रहे हो, झोंकों में मुस्करा रहे हो, सितारों में चमक रहे हो, हम सब के विचारों में नृत्य कर रहे हो, समस्त जीवन तुम्हीं हो| हे परमात्मा, हे गुरु रूप ब्रह्म, तुम्हारी जय हो|
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ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
०३ जनवरी २०१८

जातिवादी भावनाएँ भड़काने वालों से बचें .....

जातिवादी भावनाएँ भड़काने वालों से बचें  .....

देश में कई स्थानों पर जातिवादी भावनाएँ भड़का कर दंगे कराने का प्रयास किया जा रहा है| इस के पीछे चुनाव में हारे राजनेताओं व दलों का हाथ लगता है| यह जातिवाद देश में एक विष घोल रहा है| इस से बचने का एकमात्र उपाय यही है कि सभी सरकारी कागजों पर जाति के उल्लेख पर स्थायी प्रतिबन्ध लगा दिया जाए| ये दंगे भड़काने वाले कौन लोग हैं, इनकी पहिचान कर इन्हें दण्डित किया जाए| क्या सरकार यह पता नहीं कर सकती कि इन के पीछे कौन हें, व कहाँ से इन्हें पैसा मिल रहा है?
कम्युनिस्ट लोग भी किसान आन्दोलन के नाम पर जातिगत जहर घोल रहे हैं| जातिवाद के नाम पर सता में आने के प्रयास देश में कहीं एक गृह युद्ध नहीं आरम्भ करवा दें| क्या जातिवाद पर आधारित राजनीतिक दलों पर प्रतिबन्ध नहीं लगाया जा सकता ?
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जिस तरह से देश में जातिगत भावनाएँ भड़का कर वर्ग-संघर्ष का प्रयास कराया जा रहा है वह बड़ा खतरनाक है| इस से गृहयुद्ध जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है| वर्ग-सहयोग हमारा आदर्श है, न कि वर्ग-संघर्ष| मार्क्सवादियों के खूनी हाथ का सबसे बड़ा अस्त्र ... वर्ग-संघर्ष है, जो अब कांग्रेस का अस्त्र बन रहा है|
समय रहते ही इसे कुचल देना चाहिए अन्यथा यह देश के लिए बड़ा घातक होगा| भारत का श्रुतिसम्मत परम आदर्श समष्टिवाद है, न कि अन्य कुछ और|
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सन २०१९ में होने वाले चुनावों तक का समय देश के लिए बड़ा महत्वपूर्ण है| २०१९ के आम चुनावों में राष्ट्रवादियों का सता में आना बहुत अनिवार्य है| सता में वे ही लोग आने चाहिएँ जो राष्ट्र की आकांक्षाओं को समझते हैं, न कि कांग्रेसी, जातिवादी, सेकुलर या वामपंथी जो भारत की अस्मिता के विरुद्ध हैं|
पूरे देश को जाति के नाम पर तोड़ कर कांग्रेस २०१९ का चुनाव जितना चाहती है| हर कदम पर हमें कांग्रेस का विरोध करना होगा|
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वर्तमान परिस्थिति में समय की आवश्यकता धर्म प्रचार की है| परमात्मा से प्रेम, ध्यान साधना, धर्म के लक्षणों के ज्ञान, अपने सनातन धर्म और संस्कृति पर स्वाभिमान आदि से धर्म प्रचार होगा| हम अपने निज जीवन में भी गीता में बताये हुए स्वधर्म का पालन करें| इसी से धर्म की रक्षा होगी|
धर्म-निरपेक्षता यानि सेकुलरिज्म के नाम पर झूठा इतिहास पढ़ाकर हिन्दुओं में आत्महीनता का बोध उत्पन्न किया गया है| दुर्भाग्य से आज के अधिकांश हिन्दू युवा वर्ग को अपने धर्म का ज्ञान ही नहीं है|
मुझे पूरा विश्वास है कि आने वाला समय सत्य सनातन धर्म का ही होगा| 

ॐ तत्सत्  !   ॐ ॐ ॐ  !!