भगवान का भजन क्या है ? .......
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धन्य हैं वे लोग जो भगवान का भजन करते हैं, पर एक प्रश्न उत्पन्न होता है कि भगवान का भजन क्या है? क्या किसी भक्ति छंद का गायन ही भजन है या कुछ और भी? भजनानंदी कौन है?
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मेरे विचार से तो भजन वह साधना है जो साधक को परमात्मा की प्राप्ति करा दे| भजनानंदी भी वही साधक है जो भगवान को प्राप्त करने का अधिकारी है|
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इस विषय पर गीता का दृष्टिकोण यह है .....
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धन्य हैं वे लोग जो भगवान का भजन करते हैं, पर एक प्रश्न उत्पन्न होता है कि भगवान का भजन क्या है? क्या किसी भक्ति छंद का गायन ही भजन है या कुछ और भी? भजनानंदी कौन है?
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मेरे विचार से तो भजन वह साधना है जो साधक को परमात्मा की प्राप्ति करा दे| भजनानंदी भी वही साधक है जो भगवान को प्राप्त करने का अधिकारी है|
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इस विषय पर गीता का दृष्टिकोण यह है .....
भगवान कहते हैं .....
विविक्तसेवी लघ्वाशी यतवाक्कायमानसः|
ध्यानयोगपरो नित्यं वैराग्यं समुपाश्रितः ||१८.५२||
अहङ्कारं बलं दर्पं कामं क्रोधं परिग्रहम् |
विमुच्य निर्ममः शान्तो ब्रह्मभूयाय कल्पते ||१८.५३||
ब्रह्मभूतः प्रसन्नात्मा न शोचति न काङ्क्षति
समः सर्वेषु भूतेषु मद्भक्तिं लभते पराम् ||१८.५४||
ऐसे श्लोकों की व्याख्या मर्मज्ञ आचार्यों के मुख से प्रत्यक्ष ही सुन कर समझनी चाहिए| पुस्तकों से इन्हें समझना असंभव है| इन पंक्तियों को लिखने का मेरा उद्देश्य सिर्फ पाठकों में एक रूचि जागृत करना है|
सभी को सप्रेम सादर नमन !
ॐ तत्सत ! ॐ ॐ ॐ !!
१५ जनवरी २०१८
विविक्तसेवी लघ्वाशी यतवाक्कायमानसः|
ध्यानयोगपरो नित्यं वैराग्यं समुपाश्रितः ||१८.५२||
अहङ्कारं बलं दर्पं कामं क्रोधं परिग्रहम् |
विमुच्य निर्ममः शान्तो ब्रह्मभूयाय कल्पते ||१८.५३||
ब्रह्मभूतः प्रसन्नात्मा न शोचति न काङ्क्षति
समः सर्वेषु भूतेषु मद्भक्तिं लभते पराम् ||१८.५४||
ऐसे श्लोकों की व्याख्या मर्मज्ञ आचार्यों के मुख से प्रत्यक्ष ही सुन कर समझनी चाहिए| पुस्तकों से इन्हें समझना असंभव है| इन पंक्तियों को लिखने का मेरा उद्देश्य सिर्फ पाठकों में एक रूचि जागृत करना है|
सभी को सप्रेम सादर नमन !
ॐ तत्सत ! ॐ ॐ ॐ !!
१५ जनवरी २०१८