Tuesday 2 October 2018

गाँधी-नेहरु-अंबेडकर आदि की अन्धपूजा हम कब तक करते रहेंगे ? ....

गाँधी-नेहरु-अंबेडकर आदि की अन्धपूजा हम कब तक करते रहेंगे ? ....
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भारत में राजनेताओं की व्यक्ति पूजा का प्रचलन नेहरु की देन है| नेहरू रूस से अत्यधिक प्रभावित थे जहाँ मार्क्स, लेनिन, फ्रेडरिक एंगल्स, और स्टालिन को देवताओं की तरह पूजा जाता था| चीन में माओ को, उत्तरी कोरिया में किम इल सुंग को, क्यूबा में फिडेल कास्त्रो, और कुछ दक्षिणी अमेरिकी देशों में चे गेवारा को देवताओं की तरह पूजा जाता था| नेहरु भी स्वयं को भारत में पुजवाना चाहते थे| अतः उन्होंने भारत में गाँधी और स्वयं की व्यक्ति-पूजा का क्रम आरम्भ करवाया| सन १९५० के दशक में मैं जब स्कूल में पढ़ता था तब १५ अगस्त और २६ जनवरी को सभी स्कूलों में बच्चों से "महात्मा गाँधी की जय", "पंडित जवाहरलाल नेहरु की जय" के नारे लगवाये जाते थे, उनके चित्रों पर फूलमालाएँ चढ़ाई जाती थीं और बताया जाता था कि देश में इन्हीं दो महापुरुषों के कारण आज़ादी आई है|
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वोट बैंक की राजनीति के कारण गाँधी और नेहरु के अतिरिक्त बाबा साहब अम्बेडकर नाम के एक और देवता भारत के क्षितिज पर प्रकट हुए हैं| भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री भी "बापू" और "बाबा साहिब" के परम भक्त हैं| वे अपने सता में आने का रहस्य बाबा साहब की कृपा को बताते हैं|
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हमारे देश की पाठ्य-पुस्तकों में नेहरू का गुण गान साम्यवादी देशों की परंपरा की नकल है| अन्य देशों में किसी की ऐसी पूजा नहीं होती जैसी यहाँ भारत में गाँधी, नेहरू और अम्बेडकर की होती है| अब तो रूसियों और चीनियों ने भी व्यक्ति पूजा बंद कर दी है अतः भारत में भी यह बंद हो जानी चाहिए| भारत में गाँधी और नेहरू को देश का प्रथम मार्गदर्शक, महामानव, और दार्शनिक आदि बताने का चलन रहा है| अब बहुत हो चुका है, देश को इस गाँधी, नेहरू और अम्बेडकर की मूर्तीपूजा से मुक्ति चाहिए|
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सभी को धन्यवाद और सादर नमन !
कृपा शंकर
२ अक्तूबर २०१८

हमारे धर्म में एक ही परमात्मा है .....

हमारे धर्म में एक ही परमात्मा है| इंद्र, वरुण, अग्नि, वायु और ब्रह्मा, विष्णु, महेश आदि आदि सब उसी के विभिन्न रूप हैं| परमेश्वर का कौन सा रूप हमारे लिए आदर्श है, उसी की हम उपासना करते हैं| हमारे हृदय में श्रद्धा होगी तब यह सत्य भी समझ में आयेगा| सनातन वैदिक हिन्दू धर्म बहुदेववादी नहीं है| भगवान तो एक ही हैं, पर उनकी अभिव्यक्तियाँ अलग अलग हैं| भगवान को अलग अलग समझना हमारी अज्ञानता है|

हम अनवरत चलते रहें .....

महासागरों में विशाल जलयान (Ocean going ships) चलते हैं वे कभी छोटी-मोटी लहरों से विचलित होकर अपनी दिशा या मार्ग (Course) नहीं छोड़ते| जीवन में कैसी भी परिस्थिति हो, हमें विचलित नहीं होना चाहिए| हम स्वयं की और परमात्मा की दृष्टी में क्या हैं, महत्त्व सिर्फ इसी का है| हमारा लक्ष्य परमात्मा है, उसको पाने के मार्ग पर हम चलते रहें, कभी विचलित न हों|
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बिना पेंदे के मिर्जापुरी लोटे की तरह हम न बनें जिसे कोई किधर भी लुढ़का दे| हम चट्टान की तरह दृढ़ बनें| महासागरों में अकेली खड़ी चट्टानों पर लहरें कितना भयानक आघात करती हैं, पर चट्टान कभी नहीं विचलित होती| वैसे ही हम बनें| हम परशु की तरह तीक्ष्ण भी बनें| कोई हम पर आघात करे तो वह स्वयं ही कट जाए| चाकू खरबूजे पर गिरे या खरबूजा चाकू पर गिरे, कटना खरबूजे को ही है| हमारे में स्वर्ण की सी पवित्रता भी हो| किसी के प्रति कोई दुर्भावना हमारे हृदय में न हो|

जब एक बार यह निश्चय कर लिया है कि हमें कहाँ जाना है तब यह न सोचें कि हमारे साथ कोई और भी चल रहा है या नहीं| हम अनवरत चलते रहें|

०१ अक्टूबर २०१८  

पाकिस्तानी भैंस .....

पाकिस्तानी भैंस .....
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पाकिस्तान में भैंस भी कोई बहुत ही धनवान व्यक्ति रख सकता है| गोधन तो वहाँ समाप्त कर दिया गया है, सारी गायों को मार मार कर लोग उनका मांस खा गए हैं| पूरे पाकिस्तान में एक भी गाय नहीं बची है| दूध का स्त्रोत या तो भैंस, बकरी, भेड़, गधी और ऊँटनी है या ऑस्ट्रेलिया से मंगाया हुआ दूध का पाउडर|
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अब गरीबी से तंग आकर लोग अपनी भैंसें भी बेचने लगे है| कहते हैं कि भैंस के दूध से बुद्धि मोटी होती है, अतः उनकी मोटी बुद्धि का कारण भैंस का दूध है| वहाँ के लोग इतने समृद्ध भी नहीं हैं कि अपनी बकरियों के दूध को गाढ़ा बनाने के लिए उन्हें नित्य एक किलो बादाम, काजू और किशमिश खिला सकें|
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कहते हैं कि गधी का दूध पीने से चेचक नहीं होता, बकरी के गाढ़े दूध से दिमाग ठंडा रहता है, ऊंटनी के दूध से ताक़त आती है, और गाय के दूध से बुद्धि तेज और शांत होती है| पाकिस्तान के शासकों को चाहिए कि भारत से देशी नस्ल की गायों का आयात करें, उन्हें प्रेम से पालें और उनका दूध पीयें| इस से उनकी बुद्धि तेज और स्वभाव शांत होगा| उनकी बंजर भूमि भी गाय के गोबर से उपजाऊ हो जायेगी| पर मोटी बुद्धि वाले इसे समझ नहीं पायेंगे|
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प्रधानमंत्री की कीमती कारें और भैंस बेचकर चीन की उधार नहीं उतार सकते| ग्वादर बन्दरगाह तो चीन का हो चुका है अब अगला नम्बर कराची का है| इंशा अल्लाह !


३० सितम्बर २०१८