गुरु चरणों में आश्रय हमारी रक्षा करता है .....
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यह मेरा पूर्ण व्यावहारिक अनुभव है कि जब तक गुरु चरणों का ध्यान रहता है, तब तक हर बुराई, जैसे राग-द्वेष, अहंकार, क्रोध, लोभ और ईर्ष्या आदि सब, दूर ही रहती है| गुरु चरणों का आश्रय छोड़ते ही ये फिर पकड़ लेती हैं| अतः गुरु की शरण में रहना ही सर्वश्रेष्ठ बुद्धिमानी का काम है|
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मेरे लिए तो सहस्त्रार में सहस्त्र दल कमल ही गुरु महाराज की चरण पादुका है, वहीं साक्षात गुरु महाराज सर्वदा बिराजमान हैं| ध्यान में गुरु महाराज तो सर्वत्र अनंतता में व्याप्त परम प्रेम बन जाते हैं जिसने इस सम्पूर्ण सृष्टि को धारण कर रखा है, उनको समर्पण ही मेरी साधना है| वे स्वयं को कूटस्थ अक्षर ब्रह्म और कूटस्थ ज्योति के रूप में व्यक्त करते हैं| वही मेरा उपास्य है| सूक्ष्म देह में आज्ञाचक्र ही मेरा ह्रदय है|
इससे अधिक मुझे कुछ नहीं मालूम|
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आप सब दिव्य निजात्माओं को सप्रेम सादर नमन| आप सब के ह्रदय में भगवान की पराभक्ति जागृत हो| ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||
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यह मेरा पूर्ण व्यावहारिक अनुभव है कि जब तक गुरु चरणों का ध्यान रहता है, तब तक हर बुराई, जैसे राग-द्वेष, अहंकार, क्रोध, लोभ और ईर्ष्या आदि सब, दूर ही रहती है| गुरु चरणों का आश्रय छोड़ते ही ये फिर पकड़ लेती हैं| अतः गुरु की शरण में रहना ही सर्वश्रेष्ठ बुद्धिमानी का काम है|
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मेरे लिए तो सहस्त्रार में सहस्त्र दल कमल ही गुरु महाराज की चरण पादुका है, वहीं साक्षात गुरु महाराज सर्वदा बिराजमान हैं| ध्यान में गुरु महाराज तो सर्वत्र अनंतता में व्याप्त परम प्रेम बन जाते हैं जिसने इस सम्पूर्ण सृष्टि को धारण कर रखा है, उनको समर्पण ही मेरी साधना है| वे स्वयं को कूटस्थ अक्षर ब्रह्म और कूटस्थ ज्योति के रूप में व्यक्त करते हैं| वही मेरा उपास्य है| सूक्ष्म देह में आज्ञाचक्र ही मेरा ह्रदय है|
इससे अधिक मुझे कुछ नहीं मालूम|
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आप सब दिव्य निजात्माओं को सप्रेम सादर नमन| आप सब के ह्रदय में भगवान की पराभक्ति जागृत हो| ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||