Wednesday, 18 December 2024

बिना ईश्वर की कृपा के कुछ भी प्राप्त नहीं होता ---

आध्यात्म में बिना ईश्वर की कृपा के कुछ भी प्राप्त नहीं होता| ईश्वर की कृपा का मार्ग भी भक्ति, सत्संग, स्वाध्याय और साधना से ही खुलता है| बिना पुरुषार्थ के कुछ नहीं होता| स्वयं का कल्याण स्वयं के प्रयासों से ही हो सकता है, किसी अन्य के नहीं| सार की बात एक ही है कि अपने हृदय का पूर्ण प्रेम परमात्मा को बिना किसी शर्त के अर्पित कर दो| फिर जो भी होगा वह ठीक ही होगा|

ओम् नमः शम्भवाय च, मयोभवाय च, नमः शंकराय च, मयस्कराय च, नमः शिवाय च, शिवतराय च||
ॐ भद्रं कर्णेभिः शृणुयाम देवा भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्राः स्थिरैरङ्गैस्तुष्टुवांसस्तनूभि र्व्यशेम देवहितं यदायुः
स्वस्ति न इन्द्रो वॄद्धश्रवाः स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः
स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः
ॐ तत्सत् | ॐ नमो भगवते वासुदेवाय | ॐ ॐ ॐ ||
१९ दिसंबर २०१९ 

सनातन धर्म का मूल सिद्धान्त है --- "परमात्मा से प्रेम और समर्पण"; बाकी सब इसी का विस्तार है ---

 सनातन धर्म का मूल सिद्धान्त है --- "परमात्मा से प्रेम और समर्पण"; बाकी सब इसी का विस्तार है ---

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यह मेरा सौभाग्य है कि सनातन धर्म के वर्तमान सभी प्रमुख संप्रदायों के संत-महात्माओं से सत्संग का अवसर मुझे प्राप्त हुआ है| एक सामान्य सूत्र जो सभी को एक साथ बाँधता है, वह है --- परमात्मा से प्रेम और समर्पण|
गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कर्म, भक्ति, और ज्ञान को बहुत अच्छी तरह विस्तार से समझाया है| भक्तिसूत्रों में नारद जी ने परमप्रेम को ही भक्ति कहा है|
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भगवान की भक्ति में उत्तरोतर वृद्धि तिथियाँ जैसे प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया आदि तो निरंतर आती ही रहती हैं, लेकिन पूर्णमासी कभी भी नहीं आती| पूर्णमासी के स्थान पर भगवान स्वयं ही पधारते हैं| भक्ति कभी मत छोड़ो| एक न एक दिन भगवान को आना ही पड़ेगा| यह उनके द्वारा दिया हुआ वचन है|
ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !! 🌹🙏🕉🙏🌹
कृपा शंकर
१९ दिसंबर २०२०

भारत को अपनीआत्मघाती सद्गुण-विकृति छोड़नी ही पड़ेगी ---

 भारत को अपनीआत्मघाती सद्गुण-विकृति छोड़नी ही पड़ेगी, अन्यथा स्वयं का महाविनाश निश्चित है। यह सद्गुण-विकृति एक ढोंग और पाखंड है।

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इज़राइल ने वेस्ट-बैंक पर पूरा अधिकार कर ही रखा था, अब पूरी गोलान-हाइट्स और सीरिया के उस भूभाग पर स्थायी अधिकार कर लिया है, जिस से इराक होते हुए ईरानी शस्त्रास्त्र लेबनान में हिजबुल्ला को प्राप्त होते थे। इस समय इज़राइल की सेना दमिश्क से अधिक दूर नहीं है। दमिश्क पर अधिकार उनकी प्राथमिकता नहीं है, अन्यथा दमिश्क पर अधिकार उनके लिए बहुत आसान है।
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आज एक विडियो देखकर मन प्रसन्न हुआ कि बांग्लादेश की एक सैनिक टुकड़ी -- म्यांमार की अराकान आर्मी के समक्ष बिना लड़े ही आत्म-समर्पण कर रही है। अराकान आर्मी एक विद्रोही सेना है जिनकी कुल संख्या दो-तीन हज़ार से भी कम है। इतनी छोटी सी सेना ने बांग्लादेश के बहुत बड़े भूभाग पर अधिकार कर लिया है, और सैंकड़ों बंगलादेशी सैनिकों को गिरफ्तार कर रखा है।
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मुझे बड़ी ग्लानि होती है और सोच कर बड़ा तरस आता है जब मैं यह प्रश्न स्वयं से पूछता हूँ कि भारत ने सन 1965 और सन 1971 के युद्धों में जो भूमि पाकिस्तान से छीनी थी, वह क्यों लौटाई ? यह हमारी मूर्खता ही थी।
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बांग्लादेश को दो घंटों में ही घुटनों पर लाया जा सकता है यदि बांग्लादेश से चटगाँव व कॉक्सबाज़ार को अलग कर दिया जाये। यह मुश्किल से दो दिन का काम है। लेकिन भारत को अपनी सद्गुण-विकृति का त्याग करना होगा।
१८ दिसंबर २०२४ .
पुनश्च: --- भारत सहित विश्व की सारी व्यवस्थाएँ -- सनातन-धर्म (हिन्दू धर्म) के विरुद्ध हैं, और इसे नष्ट करना चाहती हैं। हम अपनी रक्षा के लिए परमात्मा पर ही निर्भर हैं। हमारे सब के माध्यम से भगवान ही हमारी रक्षा करेंगे। स्वयं में परमात्मा को व्यक्त करें। सनातन धर्म से ही सृष्टि चल रही है। इसे नष्ट करने का प्रयास सारे विश्व को ही नष्ट कर देगा। यह एक चेतावनी है। गीता में भगवान का शाश्वत वचन है ---
"यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदाऽऽत्मानं सृजाम्यहम्।।4.7।।
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय संभवामि युगे युगे।।4.8।।
मच्चित्तः सर्वदुर्गाणि मत्प्रसादात्तरिष्यसि।
अथ चेत्त्वमहङ्कारान्न श्रोष्यसि विनङ्क्ष्यसि।।18.58।।"