तीन दिन पश्चात शिवरात्रि आने वाली है| शिव परमतत्व है जिसका बोध हरिःकृपा से ही होता है| शिव का अर्थ होता है 'कल्याण', 'मंगल' और 'शुभ'| जो सब का कल्याण, मंगल और शुभ करते हैं, वे शिव हैं| भगवान शिव परम चैतन्य हैं| वे दुःख-तस्कर हैं| भगवान शिव अपने भक्तों के दुःख कष्ट हर लेते हैं, अतः अनंत काल से वे हमारे उपास्य देवता रहे हैं| वे जीवात्मा को संसारजाल, कर्मजाल और मायाजाल से मुक्त कराते हैं| जीवों को स्थूल, सूक्ष्म और कारण देह के तीन पुरों को ध्वंश कर महाचैतन्य में प्रतिष्ठित कराते है अतः वे त्रिपुरारी हैं|
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अनंत सर्वव्यापी परम-चैतन्य परम-तत्व का प्रतीक है शिवलिंग| जिसके अन्दर सबका विलय होता है उसे लिंग कहते हैं| स्थूल जगत का सूक्ष्म जगत में, सूक्ष्म जगत का कारण जगत में और कारण जगत का सभी आयामों से परे -- तुरीय चेतना --- में विलय हो जाता है| उस तुरीय चेतना का प्रतीक है ---- शिवलिंग, जो साधक के कूटस्थ चैतन्य में स्वयं निरंतर जागृत रहता है| उसके समक्ष साधना करने से चेतना ऊर्ध्वमुखी होने लगती है| इसकी अनुभूति अधिकांश साधक करते हैं| शिवलिंग अनंत, सर्वव्यापी, परम चैतन्य या परम तत्व का एक प्रतीक हैं जिसकी विधिवत साधना से शिवलिंग प्रत्यक्ष चैतन्य हो जाता है|
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शिव तत्व पर अनेक रहस्य की बाते हैं जिनकी चर्चा सिर्फ अति निष्ठावान उन्नत साधकों के समक्ष ही की जा सकती हैं, सार्वजनिक मंच पर नहीं|
ॐ नमः शम्भवाय च मयोभवाय च नमः शंकराय च मयस्कराय च नमः शिवाय च शिवतराय च|| ऊँ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्||
ॐ नमः शिवाय| ॐ नमः शिवाय| ॐ नमः शिवाय| ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर
१७ फरवरी २०२०
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अनंत सर्वव्यापी परम-चैतन्य परम-तत्व का प्रतीक है शिवलिंग| जिसके अन्दर सबका विलय होता है उसे लिंग कहते हैं| स्थूल जगत का सूक्ष्म जगत में, सूक्ष्म जगत का कारण जगत में और कारण जगत का सभी आयामों से परे -- तुरीय चेतना --- में विलय हो जाता है| उस तुरीय चेतना का प्रतीक है ---- शिवलिंग, जो साधक के कूटस्थ चैतन्य में स्वयं निरंतर जागृत रहता है| उसके समक्ष साधना करने से चेतना ऊर्ध्वमुखी होने लगती है| इसकी अनुभूति अधिकांश साधक करते हैं| शिवलिंग अनंत, सर्वव्यापी, परम चैतन्य या परम तत्व का एक प्रतीक हैं जिसकी विधिवत साधना से शिवलिंग प्रत्यक्ष चैतन्य हो जाता है|
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शिव तत्व पर अनेक रहस्य की बाते हैं जिनकी चर्चा सिर्फ अति निष्ठावान उन्नत साधकों के समक्ष ही की जा सकती हैं, सार्वजनिक मंच पर नहीं|
ॐ नमः शम्भवाय च मयोभवाय च नमः शंकराय च मयस्कराय च नमः शिवाय च शिवतराय च|| ऊँ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्||
ॐ नमः शिवाय| ॐ नमः शिवाय| ॐ नमः शिवाय| ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर
१७ फरवरी २०२०