Wednesday, 4 March 2020

शिवरात्रि की शुभ कामनायें .....

तीन दिन पश्चात शिवरात्रि आने वाली है| शिव परमतत्व है जिसका बोध हरिःकृपा से ही होता है| शिव का अर्थ होता है 'कल्याण', 'मंगल' और 'शुभ'| जो सब का कल्याण, मंगल और शुभ करते हैं, वे शिव हैं| भगवान शिव परम चैतन्य हैं| वे दुःख-तस्कर हैं| भगवान शिव अपने भक्तों के दुःख कष्ट हर लेते हैं, अतः अनंत काल से वे हमारे उपास्य देवता रहे हैं| वे जीवात्मा को संसारजाल, कर्मजाल और मायाजाल से मुक्त कराते हैं| जीवों को स्थूल, सूक्ष्म और कारण देह के तीन पुरों को ध्वंश कर महाचैतन्य में प्रतिष्ठित कराते है अतः वे त्रिपुरारी हैं|
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अनंत सर्वव्यापी परम-चैतन्य परम-तत्व का प्रतीक है शिवलिंग| जिसके अन्दर सबका विलय होता है उसे लिंग कहते हैं| स्थूल जगत का सूक्ष्म जगत में, सूक्ष्म जगत का कारण जगत में और कारण जगत का सभी आयामों से परे -- तुरीय चेतना --- में विलय हो जाता है| उस तुरीय चेतना का प्रतीक है ---- शिवलिंग, जो साधक के कूटस्थ चैतन्य में स्वयं निरंतर जागृत रहता है| उसके समक्ष साधना करने से चेतना ऊर्ध्वमुखी होने लगती है| इसकी अनुभूति अधिकांश साधक करते हैं| शिवलिंग अनंत, सर्वव्यापी, परम चैतन्य या परम तत्व का एक प्रतीक हैं जिसकी विधिवत साधना से शिवलिंग प्रत्यक्ष चैतन्य हो जाता है|
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शिव तत्व पर अनेक रहस्य की बाते हैं जिनकी चर्चा सिर्फ अति निष्ठावान उन्नत साधकों के समक्ष ही की जा सकती हैं, सार्वजनिक मंच पर नहीं|
ॐ नमः शम्भवाय च मयोभवाय च नमः शंकराय च मयस्कराय च नमः शिवाय च शिवतराय च|| ऊँ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्||
ॐ नमः शिवाय| ॐ नमः शिवाय| ॐ नमः शिवाय| ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर
१७ फरवरी २०२०

शैतान एक वास्तविकता है जिसका मैं साक्षी हूँ .....

शैतान एक वास्तविकता है जिसका मैं साक्षी हूँ (The Devil exists, This is my testimony)
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शैतान (Satan या Devil) की परिकल्पना इब्राहिमी (Abrahamic) मजहबों (यहूदी, इस्लाम और ईसाईयत) की है| भारत में उत्पन्न किसी भी मत में शैतान की परिकल्पना नहीं है| शैतान .... इब्राहिमी मज़हबों में सबसे दुष्ट हस्ती का नाम है, जो दुनियाँ की सारी बुराई का प्रतीक है| इन मज़हबों में ईश्वर को सारी अच्छाई प्रदान की जाती है और बुराई शैतान को| इब्राहिमी मतों के अनुसार शैतान पहले ईश्वर का एक फ़रिश्ता था, जिसने ईश्वर से ग़द्दारी की और इसके बदले ईश्वर ने उसे स्वर्ग से निकाल दिया| शैतान पृथ्वी पर मानवों को पाप के लिये उकसाता है|
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हिन्दू परम्परा में शैतान जैसे किसी व्यक्ति का कोई अस्तित्व नहीं है, क्योंकि हिन्दू मान्यता कहती है कि मनुष्य अज्ञान वश पाप करता है जो दुःखों की सृष्टि करते हैं| मनुष्य का यह अज्ञान ही शैतान है जो हमारे लोभ और अहंकार के रूप में व्यक्त होता है| वास्तव में हमारा लोभ और अहंकार ही शैतान है जो हमारी सब बुराइयों और सब पापों का कारण है|
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जिस तरह से दैवीय जगत होता है वैसे ही आसुरी और पैशाचिक जगत भी होते हैं जो हमारे जीवन पर निरंतर प्रभाव डालते रहते हैं| जैसे देवता हमारी सहायता करते हैं वैसे ही असुर भी निरंतर हमारे ऊपर अधिकार कर हमें बुराई की और धकेलने का प्रयास करते रहते हैं| कई बार हम ऐसे गलत कार्य कर बैठते हैं जिनका हमें स्वयं को भी विश्वास नहीं होता कि हमारे रहते हुए भी ऐसा क्यों हुआ| हमें पता भी नहीं चलता कि कब किसी आसुरी शक्ति ने हमें अपना उपकरण बना कर हमारा प्रयोग या उपयोग कर लिया|
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मैंने स्पष्ट रूप से एक दैवीय जगत को भी स्पष्ट अनुभूत किया है और एक अति शक्तिशाली आसुरी जगत को भी| सूक्ष्म जगत में कई बड़े बड़े शक्तिशाली असुर हैं जिनसे भगवान ही हमारी रक्षा कर सकते हैं| जिन मनुष्यों को हम पापी या दुष्ट कहते हैं वे तो शैतान यानि आसुरी जगत के शिकार हैं, इसमें उनका क्या दोष? हम स्वयं आसुरी प्रभाव से पूर्णतः मुक्त होकर ही उनकी सहायता कर सकते हैं|
ॐ तत्सत् ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर

भारत की वर्तमान परिस्थितियों में भांग-गांजे पर से प्रतिबंध हटा देने चाहियें ....

भारत की वर्तमान परिस्थितियों में भांग-गांजे पर से प्रतिबंध हटा देने चाहियें ....
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ईसा की उन्नीसवीं शताब्दि तक उत्तरी व दक्षिणी अमेरिकी महाद्वीपों में, विशेषकर संयुक्त राज्य अमेरिका में भांग-गांजे का सेवन पूरे विश्व में सबसे अधिक होता था| वहाँ के मूल निवासी, गरीब काले नीग्रो और गरीब गोरे लोग भांग-गांजे का खूब सेवन करते थे| अमीर गोरे लोग शराब पीते थे| शराब मंहगी होती थी और उसे अमीर लोग ही पी सकते थे| भांग के पौधे free होते थे जिन्हें कहीं पर भी उगाया जा सकता था, इस लिए गरीब अमेरिकन लोग खूब भांग खाते थे| वहाँ की सरकार भी इसे प्रोत्साहित करती थी| फिर एक समय ऐसा आया कि शराब बनाने वाली कंपनियों ने अपने डॉलरों के जोर से अमेरिकी सरकार पर दबाव डाल कर अमेरिका में ही नहीं पूरे विश्व में भांग-गांजे पर प्रतिबंध लगवा दिया ताकि शराब खूब बिके| सरकारों को भी शराब की बिक्री से खूब टेक्स मिलने लगा इसलिए सरकारों ने भी शराब की बिक्री को खूब बढ़ावा दिया और फ्री में मिलने वाले भांग-गांजे पर और भी अधिक सख्ती से प्रतिबंध लगा दिया|
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आजकल नई मेडिकल शोधों में भांग में कैंसर रोधी तत्व पाये गए हैं और यह देखा गया है कि भांग खाने वालों को केन्सर नहीं होता| अब अमेरिका में एक आन्दोलन चल पड़ा है भांग-गांजा फिर से free करने के लिए| उनका तर्क है कि जहाँ तंबाकू और शराब का सेवन कर हर वर्ष हजारों लोग मरते हैं, वहाँ आज तक के पूरे विश्व के इतिहास में भाँग-गांजे के सेवन से एक भी आदमी नहीं मरा है|
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भारत में नियम बड़े सख्त हैं| बिना लाइसेंस के भांग-गाँजा और अफीम उगाना एक अपराध है जिसमें जमानत भी नहीं होती और बहुत अधिक सजा का प्रावधान है| अतः भांग-गांजा पास में भी रखने जैसी गलती भूल कर भी न करें| भारत में इनके सेवन करने के लिए लाइसेंस लेना पड़ता है, अन्यथा इनको पास में रखना भी गंभीर अपराध है| इसलिए सावधान रहें|
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आजकल भारत में बढ़ रही शराब के नशे की प्रवृति बड़ी दुखद है| समाज के हर वर्ग में, क्या अमीर और क्या गरीब,यहाँ तक कि महिलाओं में भी पनप रही शराब पीने की प्रवृति बड़ी दुखद है| यह भ्रष्टाचार से भी अधिक भयावह है| यह भारत को खोखला कर रही है| भारत में अंग्रेजों के आने से पूर्व मद्यपान बहुत कम लोग करते थे| अंग्रेजों ने इसे लोकप्रिय बनाया| अंग्रेजों के आने से पूर्व नशा करने वाले भांग खाते थे और गांजा पीते थे जो बहुत कम हानि करता था| भांगची और गंजेड़ी लोग अपनी पत्नियों को नहीं पीटते थे, और किसी का कोई नुकसान नहीं करते थे| पर सरकारों को इसमें कोई टेक्स नहीं मिलता था इसलिए सरकारों ने इस पर प्रतिबन्ध लगा दिया| शराब की बिक्री से सरकार को 40% कर मिलता है इसलिए सरकारें शराब को प्रोत्साहन देती हैं|
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मेरी बात कुछ लोगों को बुरी लग सकती है| मैं किसी भी तरह का नशा नहीं करता| देश-विदेशों में खूब घूमा हूँ| जीवन का सर्वश्रेष्ठ भाग विदेशों में ही बीता है| अपने अनुभव से कह रहा हूँ कि भारत में जनता को शराब, ड्रग्स, गुटखा आदि के नशे से मुक्त करने के लिए सरकार को चाहिए कि भांग और गांजे पर से सारे प्रतिबंध हटा ले| हर वर्ष तंबाकू के सेवन से हजारो लोग केंसर से मरते हैं| गाँजा पी कर विश्व के पूरे इतिहास में आज तक एक भी आदमी नहीं मरा है| शराब के नशे से भांग का नशा बहुत कम हानि पहुंचाता है| शराब पीने से लीवर खराब होता है, पर अति अल्प मात्रा में भांग खाने वाले को कभी केंसर नहीं होता| इस विषय पर वैज्ञानिक शोध होने चाहिये| शिवजी को प्रिय भांग औषधीय गुणों से भरा पडा है|
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भारत में साधू संत अति प्राचीन काल से भांग गांजे का सेवन करते आ रहे हैं| जंगलों में और पहाड़ों की दुर्गम ऊंची चोटियों पर रहने वाले साधु स्वस्थ रहने के लिए भांग-गांजे का सेवन करते हैं और बीमार पड़ने पर शंखिया नाम के जहर का एक कण खाते हैं, इस से वे ठीक हो जाते हैं| किसी दवा का कोई साधन उनके पास नहीं होता और वे इन्हीं से काम चलाते हैं| सीमित मात्रा में नियमित भांग खाने वालों ने बहुत लम्बी उम्र पाई है| अधिक तो खाना खाने से भी हानि होती है|
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प्राचीन भारत के राजा बड़े गर्व से कहते थे कि मेरे राज्य में कोई चोर नहीं है और कोई शराब नहीं पीता| भगवान से प्रार्थना करता हूँ कि भारत में एक दिन ऐसा अवश्य आये जब कोई चोर, दुराचारी और शराबी नहीं हो|
ॐ तत्सत् ॐ ॐ ॐ
कृपा शंकर
१६ फरवरी २०२०