जो अपनी आध्यात्मिक साधना में प्रगति चाहते हैं उन्हें साधना काल में निम्न दस नियमों का पालन करना ही पड़ेगा .....
(१) माता पिता परमात्मा के अवतार हैं, उनका पूर्ण सम्मान|
(२) प्रातः और सायं विधिवत साधना, और निरंतर प्रभु का स्मरण|
(३) गीता के कम से कम पाँच श्लोकों का नित्य अर्थ सहित पाठ|
(४) कुसंग का सर्वदा त्याग|
(५) कर्ताभाव से मुक्त रहना| (कर्ता सिर्फ परमात्मा ही हैं)
(६) किसी भी प्रकार के नशे का त्याग|
(७) सदा सात्विक भोजन ही करना|
(७) एकाग्रता से अनन्य भक्ति का अभ्यास|
(८) वैराग्य और एकांत का अभ्यास|
(९) किसी भी प्रकार की तामसिक साधनाओं से बचना|
(१०) साधना का अहंकार न हो अतः उनके फल का भगवान को अर्पण|
.
भगवान का हर अनन्य भक्त ब्राह्मण है| हर श्रद्धालु क्षत्रिय है| सिर्फ नाम या वस्त्र बदलने से कोई विरक्त साधू नहीं होता| वैराग्य प्रभु कि कृपा से ही प्राप्त होता है| गुरुलाभ भी भगवान की कृपा से ही प्राप्त होता है| संन्यास मन की अवस्था है|
ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
(१) माता पिता परमात्मा के अवतार हैं, उनका पूर्ण सम्मान|
(२) प्रातः और सायं विधिवत साधना, और निरंतर प्रभु का स्मरण|
(३) गीता के कम से कम पाँच श्लोकों का नित्य अर्थ सहित पाठ|
(४) कुसंग का सर्वदा त्याग|
(५) कर्ताभाव से मुक्त रहना| (कर्ता सिर्फ परमात्मा ही हैं)
(६) किसी भी प्रकार के नशे का त्याग|
(७) सदा सात्विक भोजन ही करना|
(७) एकाग्रता से अनन्य भक्ति का अभ्यास|
(८) वैराग्य और एकांत का अभ्यास|
(९) किसी भी प्रकार की तामसिक साधनाओं से बचना|
(१०) साधना का अहंकार न हो अतः उनके फल का भगवान को अर्पण|
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भगवान का हर अनन्य भक्त ब्राह्मण है| हर श्रद्धालु क्षत्रिय है| सिर्फ नाम या वस्त्र बदलने से कोई विरक्त साधू नहीं होता| वैराग्य प्रभु कि कृपा से ही प्राप्त होता है| गुरुलाभ भी भगवान की कृपा से ही प्राप्त होता है| संन्यास मन की अवस्था है|
ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!